Manmohan Singh Sushma Swaraj Video: पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जिनका गुरुवार की रात निधन हो गया को पीवी नरसिम्हा राव के शासनकाल के दौरान भारत के Economic Reformer के रूप में देखा जाता है। उन्होंने देश के आर्थिक विकास का मार्ग प्रशस्त किया था। लेकिन अर्थशास्त्र के अलावा, उनकी ‘शायरी’ में भी काफी रुचि थी। वे अक्सर संसद के अंदर और बाहर विपक्ष पर हमले करने के लिए कविताओं का इस्तेमाल करते थे।
ऐसे समय में जब संसद में दुश्मनी नहीं बल्कि हंसी मजाक का बोलबाला था, इन कविताओं के हमलों ने सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ओर से जोरदार तालियां बटोरीं। उनके और 2009-14 तक, बीजेपी की दिग्गज नेता और लोकसभा में विपक्ष की नेता रहीं दिवंगत सुषमा स्वराज के बीच ‘शायरी’ की ‘जुगलबंदी’ काफी वायरल हुई थी। लोग उस वीडियो को खूब पसंद करते हैं।
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दरअसल, मार्च 2011 में, संसद में विकीलीक्स केबल को लेकर हंगामा हुआ, जिसमें तत्कालीन सत्तारूढ़ कांग्रेस पर 2008 के विश्वास मत के दौरान सांसदों को रिश्वत देने का आरोप लगाया गया था। विपक्ष के हमले का नेतृत्व करते हुए स्वराज ने शहाब जाफरी की मशहूर पंक्तियों के साथ प्रधानमंत्री पर निशाना साधा था, “तू इधर उधर की न बात कर, ये बता कि काफिला क्यों लुटा, हमें रहजनों से गिला नहीं, तेरी रहबरी का ख्याल है।”
इस हमले का प्रधानमंत्री ने अल्लामा इकबाल के दोहे के साथ जवाब दिया, जिससे स्वराज के चेहरे पर मुस्कान आ गई थी और सदन में खुशी की लहर दौड़ गई थी। उन्होंने कहा था,”माना कि तेरी दीद के काबिल नहीं हूं मैं, तू मेरा शौक देख मेरा इंतजार देख।”
बता दें कि 2013 में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस के दौरान भी दोनों नेताओं के बीच जुगबंदी छिड़ गई थी। विपक्ष पर एक हमले में, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मिर्जा गालिब की शेर का इस्तेमाल किया, “हमें उनसे है वफ़ा की उम्मीद जो नहीं जानते वफ़ा क्या है।” इस पर विपक्ष के नेता ने दो शेरों के साथ जवाब दिया। पहला बशीर बद्र का था, “कुछ तो मजूरियां रही होंगी, यूं ही कोई बेवफ़ा नहीं होता।”
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अपनी दूसरी शायरी में, उन्होंने कहा, “तुम्हें वफ़ा याद नहीं, हमें जफ़ा याद नहीं, ज़िंदगी और मौत के तो दो ही तराने हैं, एक तुम्हें याद नहीं, एक हमें याद नहीं”।
गौरतलब है कि अगस्त 2019 में जब सुष्मा स्वराज का निधन हुआ, तो डॉ. सिंह ने उन्हें एक महान सांसद और असाधारण रूप से प्रतिभाशाली केंद्रीय मंत्री बताया था। उन्होंने कहा था, “सुषमा स्वराज के अचानक निधन के बारे में सुनकर मुझे सदमा लगा। मुझे उनके साथ अपने जुड़ाव की बहुत अच्छी यादें हैं, जब वो लोकसभा में विपक्ष की नेता थीं।” अब आज दोनों ही नेता हमारे बीच नहीं है और उनकी ‘शायरी जुगलबंदी’ अब केवल हमारी यादों में रहेगी।