सरकारी नौकरी की चाह में लोग दिन रात एक करके पढ़ाई करते है, मेहनत करते हैं। कई बार असफल होने के बाद भी लगातार कोशिश करते हैं। सरकारी नौकरी मिलते ही अधिकतर लोगों को लगता है कि लाइफ सिरक्योर हो गई। हालांकि इस बीच सोशल मीडिया पर एक पोस्ट ने सभी को हैरान कर दिया है।
हमारे सहयोगी फाइनेंशियल एक्सप्रेस ने एक वायरल पोस्ट के हवाले से बताया कि, एक बैंक के कर्मचारी ने अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी, शख्स का कहना है कि वह अपना जिंदगी वापस चाहता है। उसने अपनी लाइफ के 15 साल इस नौकरी को दे दिए, उसका कहना है कि उसे घुटन महसूस होती है। शख्स का कहना है कि गंभीर बीमारी, काम का प्रेशर औऱ पर्सनल लाइफ की शांति को देखते हुए मैंने यह फैसला लिया।
रेडिट के आर/इंडियनवर्कप्लेस फोरम पर एक गुमनाम पोस्ट में एक 39 साल के बैंकर ने कहा कि वह अब उस सरकारी नौकरी को जारी नहीं रख सकता जिसे कई लोग “सुरक्षित और प्रतिष्ठित” मानते हैं। Redditor ने अपने ऑफिस की एक तस्वीर के साथ लिखा, “मैं अपनी सरकारी बैंक की नौकरी में घुटन महसूस करता हूं। मुझे नहीं लगता कि मैं अब यह कर सकता हूं।”
खुद को सुरक्षित करने के लिए राष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के तीन राउंड पास करने के बाद, बैंकर ने अपने शुरुआती करियर को एक सपना पूरा होने जैसा बताया लेकिन समय के साथ, वह सपना बढ़ते तनाव और बिगड़ते स्वास्थ्य के साथ संघर्ष में बदल गया।
पोस्ट में आगे कहा गया है, “मुझे पता है कि कई लोग इन नौकरियों को पाना चाहते हैं लेकिन यह मुझसे जनता को बेकार बीमा बेचने, टारगेट पूरा करने के लिए रविवार को काम करने, मालिकों की अनुचित इच्छाओं का पालन करने और कभी भी अपनी आवाज नहीं उठाने के लिए मजबूर करती है। यहां तक की सोशल प्लेटफॉर्म पर भी नहीं। यह आपकी गरिमा को खत्म करने जैसा है।” बैंकर ने लिखा, “इस नौकरी ने मुझे हाई बीपी, थायराइड की समस्या और फैटी लीवर भी दे दिया है।”
पोस्ट में आगे लिखा है, “पीएसयू बैंक की नौकरी स्थिरता, एक अच्छा घर, एक कार, एक स्थिर वेतन और समाज में एक सम्मान के साथ आती है लेकिन अब यह मुझे जो नहीं देती…वह है शांति।” इसमें बताया गया है कि लगातार टारगेट, वीकेंड पर काम और दूरदराज के इलाकों में बार-बार ट्रांसफर से किस तरह नुकसान हुआ है। दिन अक्सर सुबह 10 बजे से रात 10 बजे तक खिंच जाता था और कर्मचारियों पर लक्ष्य पूरा करने के लिए उत्पाद बेचने का नियमित दबाव होता था।
‘उम्मीद है मुझे अपनी जिंदगी वापस मिल जाएगी’
बैंकर ने स्वीकार किया कि यह एक कठोर कदम था, उसने काम पर आना बंद कर दिया है। उन्होंने लिखा, “हां, इसका मतलब है कि मेरा वेतन रुक जाएगा। मेरा वित्तीय संघर्ष शुरू हो सकता है लेकिन मुझे उम्मीद है – पूरे दिल से कि मैं अपनी जिंदगी वापस पा लूंगा।” इस पोस्ट ने ऑनलाइन कई उपयोगकर्ताओं को प्रभावित किया, जिन्होंने भारत के सार्वजनिक क्षेत्र में वर्क कल्चर पर टिप्पणी की। एक यूजर ने टिप्पणी की, “हम पीएसयू नौकरियों की विषाक्त प्रकृति के बारे में पर्याप्त बात नहीं करते हैं।” एक अन्य ने कहा, “मेरी बहन एक सरकारी बैंक में काम करती है और उसी दबाव का सामना करती है। वह अपनी चार साल की बेटी को मुश्किल से देख पाती है।” इसके अलावा भी कई लोगों ने इस पोस्ट पर कमेंट किया है।
(यह कहानी एक सोशल मीडिया उपयोगकर्ता के शेयर की गई पोस्ट पर आधारित है। यहां दी गई जानकारी, राय और बयान पूरी तरह से मूल पोस्टर के हैं और जनसत्ता.कॉम के विचारों को प्रतिबिंबित नहीं करते हैं। हमने दावों को स्वतंत्र रूप से सत्यापित नहीं किया है।)