Google Doodle Holi 2018: भारत के अधिकतर राज्यों में शुक्रवार (2 मार्च) को ‘रंगों का त्योहार’ होली पूरे उल्लास से मनाया जा रहा है। यह त्योहार हिंदू पंचांग के मुताबिक फाल्गुन माह में पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। देश के दूसरे त्योहारों की तरह होली को भी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। ढोल की धुन और घरों के लाउड स्पीकरों पर बजते तेज संगीत के साथ एक दूसरे पर रंग और पानी फेंकने का मजा देखते ही बनता है। होली के साथ कई प्राचीन पौराणिक कथाएं भी जुड़ी हैं और हर कथा अपने आप में विशेष है। यह रंगो का त्योहार कब से शुरू हुआ इसका जिक्र भारत की विरासत यानी कि हमारे कई ग्रंथों में मिलता है। शुरू में इस पर्व को होलाका के नाम से भी जाना जाता था। इस दिन आर्य नवात्रैष्टि यज्ञ किया करते थे।
इस खास मौके पर दुनिया के सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले सर्च इंजन गूगल ने अपने होमपेज पर होली का डूडल बनाया है। इस क्रिएटिव में बहुत से लोग होली खेलते दिख रहे हैं। किसी के हाथ में पिचकारी है तो कोई बाल्टी में रंग भरकर उड़ेल रहा है। कोई ढोल-नगाड़े लेकर मस्ती में सराबोर है तो कोई अपनी ही धुन में नाचता नजर आ रहा है। गूगल ने इस डूडल को सोशल मीडिया वेबसाइट्स पर शेयर करने का ऑप्शन भी दे रखा है।
होली को लेकर जिस पौराणिक कथा की सबसे ज्यादा मान्यता है वह है भगवान शिव और पार्वती की। पौराणिक कथा में हिमालय पुत्री पार्वती चाहती थीं कि उनका विवाह भगवान शिव से हो लेकिन शिव अपनी तपस्या में लीन थे। कामदेव पार्वती की सहायता के लिए आते हैं और प्रेम बाण चलाते हैं जिससे भगवान शिव की तपस्या भंग हो जाती है।
शिवजी को उस दौरान बड़ा क्रोध आता है और वह अपनी तीसरी आंख खोल देते हैं। उनके क्रोध की ज्वाला में कामदेव का शरीर भस्म हो जाता है। इन सबके बाद शिवजी पार्वती को देखते हैं। पार्वती की आराधना सफल हो जाती है और शिवजी उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लेते हैं। होली की आग में वासनात्मक आकर्षण को प्रतीकत्मक रूप से जला कर सच्चे प्रेम के विजय के उत्सव में मनाया जाता है।
वहीं दूसरी पौराणिक कथा हिरण्यकश्यप और उसकी बहन होलिका की है। प्राचीन काल में अत्याचारी हिरण्यकश्यप ने तपस्या कर भगवान ब्रह्मा से अमर होने का वरदान पा लिया था। उसने ब्रह्मा से वरदान में मांगा था कि उसे संसार का कोई भी जीव-जन्तु, देवी-देवता, राक्षस या मनुष्य रात, दिन, पृथ्वी, आकाश, घर, या बाहर मार न सके।
वरदान पाते ही वह निरंकुश हो गया। उस दौरान परमात्मा में अटूट विश्वास रखने वाला प्रहलाद जैसा भक्त पैदा हुआ। प्रहलाद भगवान विष्णु का परम भक्त था और उसे भगवान विष्णु की कृपा-दृष्टि प्राप्त थी। हिरण्यकश्यप ने सभी को आदेश दिया था कि वह उसके अतिरिक्त किसी अन्य की स्तुति न करे लेकिन प्रहलाद नहीं माना। प्रहलाद के न मानने पर हिरण्यकश्यप ने उसे जान से मारने का प्रण लिया। प्रहलाद को मारने के लिए उसने अनेक उपाय किए लेकिन वह हमेशा बचता रहा। हिरण्यकश्यप की बहन होलिका को अग्नि से बचने का वरदान प्राप्त था।
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हिरण्यकश्यप ने उसे अपनी बहन होलिका की मदद से आग में जलाकर मारने की योजना बनाई। और होलिका प्रहलाद को गोद में लेकर आग में जा बैठी। हुआ यूं कि होलिका ही आग में जलकर भस्म हो गई और प्रहलाद बच गया। तभी से होली का त्योहार मनाया जाने लगा ।