Google Trends: इजरायल और हमास के बीच जारी युद्ध के बीच संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक प्रस्ताव आया और सवाल उठा कि क्या समाधान के तौर पर फिलिस्तीन को एक अलग देश बनाया जाए, या नहीं? यह प्रस्ताव फ्रांस ने पेश किया था। इस प्रस्ताव के लिए हुई वोटिंग में भारत ने समर्थन में वोटिंग की, मतलब ये कि भारत ने फिलिस्तीन को एक अलग देश बनाने की बात कही।

खास बात यह है कि फ्रांस की तरफ से पेश किए गए इस प्रस्ताव को 142 देशों ने समर्थन दिया और यह प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र महासभा में पारित भी हो गया। भारत के अलावा खाड़ी के सभी अरब देशों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया। प्रस्ताव के विरोध में मतदान करने वाले देशों में इजरायल, अमेरिका, अर्जेंटीना, हंगरी, माइक्रोनेशिया, नाउरू, पलाऊ, पापुआ न्यू गिनी, पैराग्वे और टोंगा ने जैसे शामिल हैं।

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इजरायल के लिए क्या प्रस्ताव?

संयुक्त राष्ट्र के घोषणा पत्र में इजरायली नेतृत्व से द्वि-राज्य समाधान के प्रति स्पष्टता व्यक्त करने का आह्वान किया गया। इजरायल से फिलिस्तीनियों के विरुद्ध हिंसा और उकसावे को तुरंत समाप्त करने के साथ ही पूर्वी यरुशलम सहित अधिकृत फिलिस्तीनी क्षेत्र में सभी प्रकार की बस्तियों, भूमि अधिग्रहण और अधिग्रहण गतिविधियों को तुरंत रोकने और बसने वालों की हिंसा को समाप्त करने का भी प्रस्ताव दिया गया है।

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भारत ने बदला अपना रुख?

ध्यान देने वाली बात यह भी है कि संयुक्त राष्ट्र में भारत का मतदान गाजा पर उसके पहले के रुख से स्पष्ट बदलाव का संकेत दे रहा है। मोदी सरकार संघर्ष में युद्धविराम की मांग वाले प्रस्तावों का समर्थन करने से बचती रही है। भारत ने तीन वर्षों में चार बार गाजा में युद्धविराम की मांग वाले संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव से खुद को अलग रखा था लेकिन लंबे वक्त बाद भारत ने इजरायल और अमेरिका से अलग राय रखी है।

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इजरायल-अमेरिका ने की प्रस्ताव की निंदा

संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव की इजरायल ने तीखी आलोचना की है। इस मामले में इजरायली विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ओरेन मार्मोरस्टीन ने एक्स पर लिखा, “एक बार फिर, यह साबित हो गया है कि महासभा वास्तविकता से दूर एक राजनीतिक सर्कस है। इस प्रस्ताव द्वारा समर्थित घोषणापत्र के दर्जनों खंडों में एक बार भी इस बात का जिक्र नहीं है कि हमास एक आतंकवादी संगठन है।”

दूसरी ओर अमेरिका ने भी विरोध जाहिर किया है। अमेरिकी राजनयिक मॉर्गन ऑर्टागस ने इसे राजनीतिक दिखावा बताया और कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि यह प्रस्ताव हमास के लिए एक उपहार है।

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