Lucy Wills Google Doodle: गूगल आज ब्रिटेन की मशहूर कोशिका विज्ञानी (Haematologist) लूसी विल्स का जन्मदिन सेलिब्रेट कर रहा है। गूगल ने लूसी विल्स के 131वें जन्मदिन पर डूडल बनाकर उन्हें याद किया। लूसी विल्स को गर्भावस्था के दौरान होने वाली खून की कमी (एनीमिया) की बीमारी और उसके इलाज की खोज करने के लिए जाना जाता है। लूसी विल्स की यह खोज पूरी दुनिया की महिलाओं के लिए वरदान साबित हुई है।

लूसी विल्स के निजी जीवन की बात करें तो उनका जन्म साल 10 मई, 1888 को हुआ था। लूसी विल्स ने ब्रिटेन के पहले बोर्डिंग स्कूल Cheltenham College for Young Ladies से विज्ञान और गणित की पढ़ाई की। साल 1911 में कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के न्यूहैम कॉलेज से उन्होंने बॉटनी और जियोलॉजी में ऑनर्स की डिग्री हासिल की।

इसके बाद लूसी विल्स ने भारत का दौरा किया और यहां मुंबई, उस वक्त के बॉम्बे, में टेक्सटाइल वर्कस में गर्भवती महिलाओं को होने वाले जानलेवा एनीमिया पर रिसर्च की। अपनी रिसर्च के आधार पर लूसी विल्स ने एक प्रयोग किया। इस प्रयोग के तहत लूसी ने एक अतिरिक्त यीस्ट एक्ट्रैक्ट को चूहों और बंदरों की डाइट में शामिल किया। इसके बाद प्रयोग किए गए चूहों और बंदरों में एनीमिया की समस्या नहीं हुई। लूसी विल्स की इस खोज को विल्स फैक्टर नाम दिया गया।

आज पूरी दुनिया उस यीस्ट एक्सट्रैक्ट को फॉलिक एसिड के नाम से जानती है, जो कि गर्भवती महिलाओं को दिया जाता है। इसके साथ ही अब महिलाओं को आयरल, बी12 आदि पोषक तत्व भी दिए जाते हैं, जिनसे आज गर्भवती महिलाओं में खून की कमी (एनीमिया) की समस्या नहीं होती है। लूसी विल्स का 16 अप्रैल, 1964 को निधन हो गया था।

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Highlights

    13:24 (IST)10 May 2019
    ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में छपी थी रिसर्च

    लूसी विल्स की गर्भावस्था में होने वाले एनीमिया से संबंधी रिसर्च पहली बार ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में छपी थी।

    10:56 (IST)10 May 2019
    रॉयल स्कूल ऑफ मेडिसिन से की थी मेडिकल की पढ़ाई

    लंदन रॉयल स्कूल ऑफ मेडिसिन फॉर वूमेन से लूसी विल्स ने मेडिकल की पढ़ाई की। बता दें कि इस कॉलेज से कई भारतीय महिलाओं ने भी डॉक्टरी की पढ़ाई की थी।

    10:13 (IST)10 May 2019
    क्या होता है मैक्रोसाइटिक एनीमिया, जिसमें गर्भवती महिलाओं में खून की कमी हो जाती है

    मैक्रोसाइटिक एनीमिया जैसी गंभीर बीमारी हो रही है। माइक्रोसाइटिक अनीमिया के कारण गर्भावस्था में रेड ब्लड सेल्स का साइज नॉर्मल से काफी ज्यादा बढ़ जाता है।