Bartolomé Esteban Murillo Google Doodle: अमेरिकी सर्च इंजन गूगल आज (29 नवंबर) स्पेन के जाने-माने पेंटर Bartolomé Esteban Murillo की 400वीं जयंती मना रहा है। गूगल ने उनकी याद में एक खास डूडल बनाया है, जिसमें Murillo की चित्रकला दर्शाई गई है। डूडल के डिजाइन में दो महिलाएं एक खिड़की के पास नजर आ रही थीं। एक ने कपड़े से अपना मुंह ढंक रखा था, जबकि दूसरी मुस्कुरा रही थी। आपको बता दें कि Murillo का जन्म 1618 के अंत के आसपास स्पेन के सेविल शहर में हुआ था। वह धार्मिक चित्रकला बनाने को लेकर खासा मशहूर थे। दो महिलाओं वाली चित्रकला Murillo ने साल 1655 से 60 के बीच में बनाई थी, जिसे अमेरिका के वॉशिंगटन डीसी स्थित नेशनल गैलरी ऑफ आर्ट्स में प्रदर्शित भी किया गया था।
Bartolomé Esteban Murillo Google Doodle: कौन थे वह, इसलिए 1645 में हो गए थे प्रसिद्ध
Bartolomé Esteban Murillo Google Doodle: 14 लोगों के परिवार में स्पेनिश चित्रकार सबसे छोटे थे। 26 साल की उम्र में उन्होंने मैड्रिड में आर्ट्स की पढ़ाई की, जिसके बाद उनकी शादी बीट्रिज कैबरेरा वाई विलालोबोज से हुई।
Written by जनसत्ता ऑनलाइन
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First published on: 29-11-2018 at 10:17 IST
मुरिल्लो, खास ऐतिहासिक और धार्मिक चित्रकला बनाने के लिए जाने जाते थे। उन्होंने अपनी कला के माध्यम से आर्ट में विभिन्न रंग और विषयों को जगह दी। यही कारण है कि उन्होंने खुद के चित्रकारी का स्टाइल विकसित किया और करियर को नई राह देते गए। मुरिल्लो की चित्रकलाओं ने आगे थॉमस गेन्सबॉरो व जॉन बापित्स ग्रेउज को प्रेरित किया।
उनका जन्म 31 दिसंबर साल 1617 को सविले शहर में हुआ था। गूगल आज (29 नवंबर) को उनकी 400वीं जयंती मना रहा है। डूडल में मुरिलो की सबसे मशहूर पेंटिंग्स में से एक 'टू विमेन एट अ विंडो' को दिखाया गया है। इस पेंटिंग को साल 1655-60 में बनाया गया था।
उनकी ज्यादातर पेंटिंग्स सेंट पीटर्सबर्ग के म्यूजियम में रखी हुई हैं और वर्ल्ड फेमस 'टू विमेन एट अ विंडो' पेंटिंग वाशिंगटन में नेशनल गैलरी ऑफ आर्ट के संग्रह में है। साल 1682 में उनका निधन हो गया।
एक वक्त ऐसा आया कि मुरिलो इतने प्रसिद्ध हो गए कि एक राजा ने उनकी आर्ट वर्क पर रोक लगा दी। मुरिलो स्पेन के बाहर कभी नहीं गए।
1645 में वो वर्ल्ड फेमस हो गए। मुरिलो रोजमर्रा के जीवन पर पेंटिंग बनाने लगे। जिसको पसंद किया जाने लगा। वो स्पेन के एंडालुसियन के जीवन को पेंटिंग के जरिए दिखाते थे।
मुरिलो पहले धार्मिक विषयों पर पेंटिंग बनाते थे। जिसकी काफी प्रशंसा हुई। लोग उनकी पेंटिंग को बहुत पसंद करते थे। उन्होंने सफलता बहुत जल्द हासिल कर ली थी।
मुरिलो का बचपन गरीबी में बीता गया था। उनके पिता नाई और सर्जन थे। उन्होंने अपने अंकल से पेटिंग सीखी। बचपन में वो जो भी पेंटिंग बनाते थे वो मेले में बेच देते थे। उनको देखा-देखी कई पेंटर मेले में पेंटिंग बेचने लगे। मेले में पेंटिंग बेचने के काम उन्होंने जवानी तक किया।
मुरिल्लो की सबसे मशहूर पेटिंग्स में 'द होली फैमिली विद डॉग' और 'द अडोरेशन ऑफ द शेफर्ड्स' हैं, जो म्यूसियो डेल प्राडो में प्रदर्शित की गई हैं। वहीं, स्पेन के म्यूजिम ऑफ कैडिज में चित्रकारों के लिए एक कमरा बनाया गया है, जिसका नाम 'द मुरिल्लो रूम' रखा गया है।
गूगल ने होमपेज पर जो डूडल बनाया है, वह मुरिल्लो की एक चर्चित पेंटिंग की डिजाइन ही है। उसमें दो महिलाएं खिड़की के पास खड़ी थीं। वे बाहर देख रही थीं। एक उनमें से उम्रदराज थी, जबकि एक युवा थी। तस्वीर के जरिए चित्रकार दिखाना चाहते थे कि वे दोनों भी बाहर की दुनिया का हिस्सा बनना चाहती हैं।
मुरिल्लो, 18वीं और 19वीं शताब्दी के दौरान यूरोप में खासा मशहूर हो गए थे। सड़कों पर जगह-जगह उनके द्वारा बनाई गई तस्वीरें लोगों के आकर्षण का केंद्र बनती थीं।
मुरिल्लो ने मैड्रिड में डच और इटली के चित्रकारों एंथनी वैन डिक और जुसेपे डे रिबेरा की चित्रकारी को बारीकी से जाना-समझा। समय के साथ उनकी कला में भी निखार आया है और वह सेविल के मशहूर गोल्डन ऐज के चित्रकारों में गिने जाने लगे।
मुरिल्लो की कला में गिरजाघर, महल और अन्य यूरोपीय इमारतों की झलक देखने को मिलती है। पर चित्रकारी की दुनिया में मशहूर होने के बाद भी उनका जीवन त्रासदियों से भरा रहा। नौ साल की उम्र में उनके सिर से पिता का साया उठ गया, जबकि उसके कुछ ही महीनों बाद मां गुजर गईं। आगे शादी हुई, पर पत्नी भी चल बसीं, जिसके बाद उनकी नौ संतानों में से चार का निधन हो गया।
जाने-माने अमेरिकी इंटरनेट सर्च इंजन गूगल ने आज खास डूडल बनाया है। यह स्पेन के मशहूर चित्रकार Bartolomé Esteban Murillo की 400वीं जयंती के मौके पर बनाया गया। पर गूगल ने इसमें कोई कारीगरी नहीं की है। बल्कि उसने तो मुरिल्लो की पेटिंग को ही डूडल के डिजाइन के रूप में पेश किया है। इस तस्वीर में दो महिलाएं खिड़की से झांकती नजर आ रही थीं। मुरिल्लो अपनी इस पेटिंग के जरिए दिखाना चाहते थे कि वे दोनों महिलाएं बाहरी दुनिया का हिस्सा बनना चाहती हैं।
मुरिल्लो की 400वीं जयंती पर उनके सेविल स्थित म्यूजिम ऑफ फाइन आर्ट्स में उनके काम से जुड़ी प्रर्दशनी लगाई गई है। साल 1682 में 64 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया था।
मुरिल्लो की सबसे मशहूर पेटिंग्स में 'द होली फैमिली विद डॉग' और 'द अडोरेशन ऑफ द शेफर्ड्स' हैं, जो म्यूसियो डेल प्राडो में प्रदर्शित की गई हैं। वहीं, स्पेन के म्यूजिम ऑफ कैडिज में चित्रकारों के लिए एक कमरा बनाया गया है, जिसका नाम 'द मुरिल्लो रूम' रखा गया है।
मुरिल्लो, खास ऐतिहासिक और धार्मिक चित्रकला बनाने के लिए जाने जाते थे। उन्होंने अपनी कला के माध्यम से आर्ट में विभिन्न रंग और विषयों को जगह दी। यही कारण है कि उन्होंने खुद के चित्रकारी का स्टाइल विकसित किया और करियर को नई राह देते गए। मुरिल्लो की चित्रकलाओं ने आगे थॉमस गेन्सबॉरो व जॉन बापित्स ग्रेउज को प्रेरित किया।