Gwalior hospital news: मध्य प्रदेश के ग्वालियर से एक हैरान करने वाली खबर सामने आ रही है। यहां एक सरकारी अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में वेंटिलेटर पर एक मरीज था। तभी कमरे में लगी एसी में आग लग गई। आग लगने के कारण कमरे में धुआं भर गया। इसके बाद वेंटिलेटर सपोर्ट पर इलाज करा रहे मरीजों को दूसरे कमरे में शिफ्ट किया जा रहा था। इसी बीच एक मरीज की मौत हो गई। परिजन ने आरोप लगाया है कि एसी में आग लगने के कारण ऐसा हुआ जबकि अस्पताल ने इस आरोप का खंडन किया है। यह घटना जयारोग्य अस्पताल की है। जानिए कि पूरा माजरा क्या है।
मरीज ने तोड़ा दम
परिजन ने कहा कि कमरे में धुआं भर जाने के कारण मरीज को बाहर ले जाते समय मौत हुई, जबकि अस्पताल अधिकारियों ने दावा किया कि मृतक की हालत पहले से ही गंभीर थी। अधिकारियों ने कहा कि सेंटर में भर्ती अन्य नौ मरीज सुरक्षित हैं। गजरा राजा मेडिकल कॉलेज (जीआरएमसी) के डीन डॉ. आरकेएस धाकड़ ने बताया कि ट्रॉमा सेंटर की एक वातानुकूलन ईकाई में सुबह आग लग गई, जिसके बाद अधीक्षक समेत सभी कर्मचारी मौके पर पहुंच गए। उन्होंने बताया कि घटना के वक्त ट्रॉमा सेंटर में वेंटिलेटर पर 10 मरीज थे और सभी को दूसरे कमरे में ट्रांसफर कर दिया गया।
बेटे का दावा, शफ्टिंग के दौरान हुई मौत
ट्रॉमा केयर सेंटर में पिता का इलाज करा रहे आबिद खान ने दावा किया कि उनके पिता वेंटिलेटर पर थे और उनका बिस्तर उस एसी के ठीक नीचे था जिसमें आग लगी। उन्होंने आगे आरोप लगाया कि आईसीयू में धुआं फैल जाने के कारण जब उनके पिता को शिफ्ट किया जा रहा था तभी उनकी मौत हुई। कुछ देर में आग पर काबू पा लिया गया। खान ने यह भी दावा किया कि उनके पिता आजाद खान की मौत दूसरे कमरे में ले जाने के दौरान हुई।
हालांकि डॉ. धाकड़ ने कहा कि यह कहना गलत है कि मरीज की मौत एसी में आग लगने के कारण हुई। मरीज को शिवपुरी से अस्पताल लाया गया था और उसकी ब्रेन सर्जरी की गई थी। वह एम-एक श्रेणी का मरीज थे जो ब्रेन डेड व्यक्ति के समान होता है। उन्होंने आगे कहा कि आग सुबह करीब सात बजे लगी, जबकि मरीज की मौत सुबह 11 बजकर 15 मिनट पर हुई।
उन्होंने आगे कहा, ‘‘इसलिए यह कहना गलत होगा कि मरीज की मौत आग लगने या दूसरे कमरे में शिफ्ट किए जाने के दौरान हुई।’’ डीन ने यह भी कहा कि ट्रॉमा सेंटर में केवल गंभीर हालत वाले मरीज ही भर्ती थे और उन्हें वेंटिलेटर के साथ ही स्थानांतरित किया गया। उन्होंने कहा कि यह कहना गलत होगा कि
ट्रांसफर किए जाने के दौरान ऑक्सीजन की आपूर्ति बंद हो गई, क्योंकि वेंटिलेटर में बैकअप सिस्टम होता है। धाकड़ ने यह भी कहा कि यहां भर्ती अन्य नौ मरीज फिलहाल सुरक्षित हैं। वहां रखे अग्निशमन यंत्रों का उपयोग कर चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मियों ने खुद आग को बुझाया।
