म्यांमार में जारी रोहिंग्या मुसलमानों का संकट बढ़ता जा रहा है। रोज की तादाद में कई हजार रोहिंग्या मुसलमान अपने देश छोड़कर दूसरे देशों में शरण लेने को मजबूर हैं। बांग्लादेश ने जहां और ज्यादा शरणार्थी लेने में असमर्थता जता दी है तो वहीं भारत भी अब और छूट देने की स्थिति में नहीं दिख रहा है। इधर पाकिस्तान में मुस्लिम देश होने के नाते रोहिंग्या मुसलमानों के पक्ष में मजबूती से खड़े होने का दबाव बढ़ता जा रहा है। वहां की मीडिया में उन्हें शरण देने और नाम देने को दो तरह के विचार सामने आ रहे हैं। इधर पूर्व पाकिस्तान पीएम बेनजीर भुट्टो की भतीजी फातिमा भुट्टो ने इस मसले पर ट्वीट करके रोहिंग्या मुसलमानों के शरण देने की बात कही है। फातिमा ने ट्वीट करके लिखा है कि पाकिस्तान क्यों नहीं, दुनिया का एकमात्र देश जो मुसलमानों को शरण देने के लिए बनाया गया। अपने द्वार रोहिंग्या के लिए क्यों ना खोल दे”?
Why won't Pakistan, the only country on earth specifically created as a refuge for Muslims, open its doors to the Rohingyas?
— fatima bhutto (@fbhutto) September 3, 2017
हालांकि ट्विटर पर कई लोगों ने उन्हें इस ट्वीट का जवाब भी दिया कुछ ने उन्हें 1971 के युद्ध के समय बांग्लादेशी मुसलमानों के नरसंहार की याद दिलाई तो कुछ ने पाकिस्तान को आतंकियों को शरण देने वाला बताया। इससे पहले संयुक्त राष्ट्र के एक अधिकारी ने सोमवार को बताया कि पिछले सप्ताह म्यांमार से कम से कम 87 हजार रोहिंग्या मुस्लिम बांग्लादेश पहुंचे हैं। म्यांमार के उत्तरी पश्चिमी रखाइन प्रांत में सांप्रदयिक हिंसा के कारण यह लोग पलायन करने को मजबूर हुए हैं। 25 अगस्त को म्यांमार सेना ने अराकन रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (एआरएसए) के 100 से ज्यादा विद्रोहियों द्वारा कई पुलिस चौकियों पर हमला करने के बाद एक ऑपरेशन चलाया हुआ है।
अक्टूबर 2016 में भी विद्रोहियों के समूह द्वारा सीमावर्ती चौकियों पर इसी तरह के हमले के बाद सेना द्वारा की गई कथित कार्रवाई के बीच कम से कम 70 हजार रोहिंग्या रखाइन से भाग निकले थे। रखाइन प्रांत में दस लाख से ज्यादा मुस्लिम रोहिंग्या रहते हैं, जहां वे बड़े पैमाने पर भेदभाव का सामना कर रहे हैं।3 से 5 लाख के बीच रोहिंग्या बांग्लादेश में रह रहे है, जिनमें से केवल 32 हजार को ही शरणार्थी का दर्जा प्राप्त है। म्यांमार रोहिग्या लोगों को अपना नागरिक नहीं मानता जबकि बांग्लादेश का कहना है कि इन लोगों का संबंध म्यांमार से है।