Dr. Govindappa Venkataswamy, डॉ गोविडप्पा वेंकटस्वामी: तमिलनाडू के वडामल्लपुरम में जन्में प्रख्यात नेत्र सर्जन डॉ. गोविंदप्पा वेंकटस्वामी का आज 100वां जन्मदिन है। उनका जन्म आज ही के दिन (1 अक्टूबर) को वर्ष 1918 में हुआ था। इन्होंन अपने जीवन में लाखों लोगों की जिंदगी में रौशनी बिखेरी। वे एक दूरदर्शी नेत्र रोग विशेषज्ञ थे, जिन्होंने अंधापन दूर करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। मोतियाबिंद को हटाने के लिए सर्जरी के एक नए तरीके को शुरू किया। देश में अंधेपन से जूझ रहे लोगों को एक नई जिंदगी दी ताकि वे दुनिया को देख सकें। यही वजह है कि आज गूगल भी उनके जन्मदिवस पर डूडल बनाकर उन्हें सम्मानित कर रहा है। 87 वर्ष की उम्र में वे इस दुनिया से अलविदा हो गए लेकिन उन्होंने एक ऐसा सिस्टम बना दिया, जो आज लाखों लोगों के लिए नई सुबह लेकर आता है।

डॉ. वेंकटस्वामी का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था। उन्होंने चेन्नई के स्टैनली मेडिकल कॉलेज से चिकित्सा की डिग्री ली और फिर भारतीय सेना के मेडिकल कोर में शामिल हो गए। लेकिन इस दौरान वे रूमेटोइड गठिया से ग्रसित हो गए। इस वजह से वे ऑपरेशन करने में असमर्थन हो गए। इस घटना से उन्हें गहरा आघात पहुंचा लेकिन वे एक बार फिर से खुद को संभालने में जुट गए। उन्होंने नेत्र विज्ञान की पढ़ाई शुरू कर दी। गठिया की वजह से प्रभावित हाथ का उपयोग करने के लिए विशेष यंत्र का इस्तेमाल करने लगे।

नेत्र विज्ञान की पढ़ाई के बाद उन्होंने आंखों की रौशनी गंवा रहे लोगों की जिंदगी में एक बार फिर से प्रकाश लौटाने का काम किया। उन्होंने एक दिन में 100 मोतियाबिंद की सर्जरी की। जबकि, एक भारतीय सर्जन के द्वारा साल में औसतन 2000 सर्जरी की जाती है। धीरे-धीरे वे देश के सफल मोतियाबिंद सर्जन के रूप में विख्यात हो गए। वर्ष 1973 में आंख के क्षेत्र में सराहनीय कार्य और उल्लेखनीय योगदान के उन्हें भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया।

58 साल की उम्र में डॉ. गोविंदप्पा ने वर्ष 1976 में मदुरै में अरविंद आई हॉस्पीटल की स्थापना की। यहां उनकी बहन और बहनोई, दोनों आंख सर्जन थे, ने उनकी सहायता की। 11 बेड से इस अस्पताल की शुरूआत हुई थी। इसमें से छह उन लोगों के लिए रिजर्व था जो इलाज के लिए पैसे नहीं दे सकते थे और पांच उनके लिए जो पैसे देने में सक्षम थे। धीरे-धीरे इस अस्पताल का आकार बढ़ता गया और फिर यहां की क्षमता 250 बेड की हो गई। अपकी कोशिशों के बदौलत उन्होंने करीब 24 लाख लोगों का इलाज किया। इस अस्पताल की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि यहां अमीर और गरीब दोनों तरह के लोगों का एक समान इलाज किया गया। करीब 25 सालों तक उन्होंने मोतियाबिंद की सर्जरी की। अपनी पूरी जिंदगी में उन्होंने 1 लाख से ज्यादा मोतियाबिंद के ऑपरेशन किए। भारत के लोग डॉ. गोविंदप्पा वेंकटस्वामी के द्वारा किए गए कार्यों को हमेशा याद करेंगे।