सूफी शैली के प्रसिद्ध कव्वाल नुसरत फतह अली खान ने बहुत पहले एक गजल गाई थी ‘मेरे रश्क ए क़मर तू ने पहली नज़र, जब नज़र से मिलाई मज़ा आ गया…।’ यह गजल खूब हिट हुई और अब भी खासी पसंद की जाती है। आपको इंटरनेट पर इसके सैकड़ों वर्जन सुनने और देखने को मिल जाएंगे। बाद में राहत फतेह अली खान ने भी इसे गाया। वह भी काफी प्रसिद्ध हुआ।

जब यह गजल गाई गई तो बहुत से लोगों ने इसको ‘रक़्स-ए-कमर’ समझा। ऐसे लोगों ने ‘रक़्स’ का मतलब ‘नृत्य’ और ‘क़मर’ का मतलब कमर (Waist) निकाला। हालांकि, यहां क़मर का मतलब कमर से नहीं है। दरअसल, यह गलतफहमी ‘क़मर’ और ‘कमर’ में फर्क नहीं जानने के कारण पैदा हुई। इस लेख में हम जानेंगे कि क़मर और कमर में क्या अंतर होता है। यही नहीं, यह भी जानेंगे कि उर्दू में मित्र को क्या पुकारते हैं?

क़मर का मतलब होता है चांद

चलिए पहले क़मर और कमर में अंतर जानते हैं। क़मर का मतलब होता है चांद। उपरोक्त गजल में भी क़मर का अर्थ चांद के लिए ही इस्तेमाल हुआ है। क़मर एक अरबी का शब्द है जो उर्दू में भी इस्तेमाल भी होता है, इसलिए लोगों के नाम भी क़मर होता है। उदाहरण के तौर पर क़मरजहां। वहीं पेट और पीठ के नीचे पड़ने वाले घेरे को परिभाषित करने के लिए कमर का इस्तेमाल किया जाता है। कुश्ती में एक दांव कमर भी होता है। इस दांव का इस्तेमाल कमर या कूल्हे द्वारा किए जाने के कारण ही इसे कमर वाला दांव बोलते हैं।

दोस्त को कहते हैं अहबाब

मित्र, दोस्त, प्रियजन या मित्र मंडली को उर्दू में अहबाब कहते हैं। अहबाब एक अरबी शब्द है। उर्दू में भी इसका दोस्त के लिए ही इस्तेमाल होता है। नासिर काजमी की एक गजल है:- ‘ये हकीकत है कि अहबाब को हम याद ही कब थे, जो अब याद नहीं।’ कतील शिफाई ने भी अपनी नज्म में अहबाब का कुछ इस तरह इस्तेमाल किया है। उन्होंने लिखा, ‘अहबाब को दे रहा हूं धोखा, चेहर पर खुशी सजा रहा हूं।’ अहबाब का अर्थ सर्वाधिक प्रिय, सबसे प्यारा या बहुत प्यारा और बहुत मिलनसार भी होता है।