संसद में महंगाई पर चर्चा हुई, एक तरफ जहां विपक्ष सरकार पर महंगाई को लेकर हमला बोल रहा है तो वहीं सत्ता पक्ष का कहना है कि महंगाई अन्य देशों की तुलना संतुलित है। संसद में सांसदों ने वित्त मंत्री से महंगाई को लेकर कई सवाल पूछे और वित्त मंत्री ने उस पर जवाब भी दिया है। हालांकि टीएमसी सांसद ने पीएम मोदी को टैग कर ट्वीट किया कि मैंने वित्त मंत्री से सवाल पूछा था लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया। इस पर निर्मला सीतारमण ने जवाब दिया है।
दरअसल टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने ट्वीट कर लिखा कि’ श्री नरेंद्र मोदी आपके वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में महंगाई और जीएसटी पर बहस का जवाब दिया। हमने 6 खास मुद्दे उठाए थे। उन्होंने सब टाल दिया। संसद में कोई जवाब नहीं दिया है। ट्विटर पर ही जवाब दे दें तो मैं भाग्यशाली समझूंगा।’ इस जवाब खुद वित्त मंत्री सीतारमण ने दिया है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जवाब देते हुए लिखा कि ‘डेरेक ओ ब्रायन जी, जैसे ही मैंने पश्चिम बंगाल में कहा आप सभा में से निकल गये। जीएसटी से पहले पनीर पर वैट लगा था। आपकी अनुपस्थिति में भी मैंने उन सभी बिंदुओं का उत्तर दिया है, जिन पर आप उत्तर चाहते थे – उपकर, एलपीजी, जीएसटी, और विशेष रूप से रुपये की स्थिति पर। कृपया कुछ समय निकाल कर संसद टीवी देख लें।”
आशीष कुमार नाम के यूजर ने लिखा कि ‘महोदय, आप सदन से क्यों भागे? ये किस प्रकार के प्रतिनिधि हो सकते हैं, जो प्रश्न पूछकर भाग जाते हैं?’ प्रदीप पंत नाम के यूजर ने लिखा कि ‘मुझे समझ में नहीं आता कि जब मंत्री जी तथ्यों और आंकड़ों के साथ उठाए गए लगभग सभी बिंदुओं का जवाब दे रही थीं तो टीएमसी के माननीय सदस्यों ने सदन छोड़ने का फैसला क्यों किया?संसद टीवी के जरिये जवाब जरूर सुन सकते हैं!’
हिमांशु मिश्रा ने लिखा कि ‘हफ्ते भर से महंगाई पर चर्चा करने के लिए विधवा विलाप कर रहे थे, जब चर्चा शुरू हुई तो एक एक करके सब भाग खड़े हुए। यही इनका लोकतंत्र है। अब ये टीवी चैनलों और ट्विटर पर जनता को दिखाने के लिए जवाब मांगेंगे। इसलिए तो जनता अब इन लोगों को अपने दिलों से बाहर करते जा रही है। दीनू नाम के यूजर ने लिखा कि ‘संसद बंद कर देते हैं, यहीं ट्विटर पर बहस कर लो, जो पैसा बचेगा उसका पनीर खा लेना।’
बता दें कि वित्त मंत्री के संबोधन के दौरान तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने सदन से वॉकआउट कर लिया। आंकड़े पेश करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी से पहले कई चीजों पर 22 राज्यों में वैट लगाया गया था। ये कहना बहुत आसान है कि ये पहले कभी हुआ ही नहीं है।
