Baba Car Viral Video: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी से शुरू होकर 26 फरवरी को संपन्न हुए 45 दिवसीय महाकुंभ कई लोगों के लिए लाइफ चेंजिंग एक्सपेरिएंस साबित हुआ। जो लोग छोटे-मोटे व्यवसाय के मालिक थे और अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने की उम्मीद में वहां गए थे, वे अपनी कल्पना से कहीं ज़्यादा कमा कर लौटे।
अब एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें एक साधू बाबा को महाकुंभ की कमाई से एक स्पोर्ट यूटिलिटी व्हीकल (एसयूवी) खरीदते हुए दिखाया गया है। हालांकि, जनसत्ता घटना की सटीक जगह या सत्यता की आधिकारिक तौर पर पुष्टि नहीं करता है।
20 सालों से अपना हाथ नीचे नहीं रखा
वीडियो इसलिए चर्चा में है क्योंकि बाबाओं को ऐसी किसी भी चीज़ से दूर रहने के लिए जाना जाता है जो उनके सत्य और शांति के मार्ग के विपरीत हो। पैसे, सांसारिक संपत्ति, प्रसिद्धि या अनुयायियों के प्रति आसक्ति किसी व्यक्ति को उसके आध्यात्मिक लक्ष्यों से दूर कर सकती है। इसके अलावा, वीडियो में दिखने वाले बाबा का दावा है कि उन्होंने 20 सालों से अपना हाथ नीचे नहीं रखा है।
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वीडियो की शुरुआत बादा द्वारा शोरूम में एसयूवी की डिलीवरी लेने से होती है। कार की चाबी लेने से लेकर उसे शोरूम से बाहर निकालने तक की हर चीज़ कैमरे में रिकॉर्ड की गई है। क्लिप में बाबा को एक हाथ से सड़क पर गाड़ी चलाते हुए भी देखा जा सकता है।
एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट किए गए वीडियो के कैप्शन में लिखा है, “याद है वो बाबा जी जिन्होंने दावा किया था कि उन्होंने 20 सालों से अपना हाथ नीचे नहीं रखा है, #महाकुंभ से इकट्ठा आय से बाबा जी ने एक एसयूवी खरीदी। अब तक का सबसे अच्छा व्यवसाय।”
वायरल वीडियो यहां देखें –
एक्स पर पोस्ट किया गया वीडियो देखते ही देखते वायरल हो गया। वीडियो पर कई मजेदार टिप्पणियां भी आई हैं। एक यूजर ने लिखा, “मुझे लगा कि वे दुनिया की मोह माया से ऊपर हैं।” एक अन्य ने कमेंट किया, “और बाबा जी गाड़ी भी चला सकते हैं!!” एक यूजर ने मज़ाक में कहा, “मेरा एकमात्र सवाल यह है कि वे गियर कैसे बदलेंगे??”
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एक अन्य ने कहा, “सनरूफ वाला वर्शन खरीदना चाहिए था। इस तरह हाथ सीधा रखना सुविधाजनक होता।” एक चिंतित यूजर ने पूछा, “उन्हें डीएल (ड्राइविंग लाइसेंस) किसने दिया??”
एक और यूजर ने मज़ाक में कहा, “उन्होंने गाड़ी चलाना कब सीखा? क्या उन्होंने पहले से योजना बना रखी थी? क्या अकेले गाड़ी चलाना वैध है? यह देखकर मैं निराश क्यों हो रहा हूं? मेरी ज़िंदगी मुझे कहां ले जा रही है? डिप्रेशन… और भी डिप्रेशन… और भी डिप्रेशन।”