बच्चा पैदा करने के लिए मां-बाप का होना जरूरी है। क्या आपने कभी कल्पना की होगी कि बिना मां के भी बच्चे पैदा हो सकते हैं? हालांकि अब वैज्ञानिकों ने जो दावा किया है, उसके मुताबिक बच्चे पैदा करने के लिए मां की जरूरत नहीं। प्रोफेसर कात्सुहिको हयाशी के नेतृत्व वाली जापानी वैज्ञानिकों की टीम ने दावा किया है कि वे कृत्रिम गर्भ में अंडे और शुक्राणु को विकसित करके प्रयोगशाला में मानव शिशुओं को विकसित करने के बेहद करीब हैं।
वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि प्रयोगशाला में बच्चों के निर्माण में एक बड़ी सफलता हासिल की है। उनके दावों के मुताबिक, लैब में अंडे और शुक्राणु सफलतापूर्वक तैयार किए जा चुके हैं और उनका अनुमान है कि अगले पांच साल में यह तकनीक इंसानों पर भी लागू हो जाएगी। इसे चूहों पर टेस्ट भी किया जा चुका है। क्यूशू विश्वविद्यालय के प्रोफेशर कात्सुहिको हयाशी और उनकी टीम ने दो मेल बायोलॉजिकल पैरेंट्स की स्किन के सेल से उनके 7 बच्चे तैयार किए।
2028 तक पूरा हो जाएगा शोध
अगर प्रोफेशर कात्सुहिको हयाशी का दावा सच साबित हुआ तो साल 2028 तक बच्चे बिना मां-बाप के जन्म ले सकेंगे। इतना ही नहीं, उन्हें डिजाइन करके का भी विल्कप मिल सकता है। हालांकि डॉ. हयाशी कहना है कि कि मनुष्यों में अंडे जैसी कोशिका उत्पादन शुरू करने में लगभग आधा दशक लगेगा, और कृत्रिम प्रजनन विधि क्लीनिकों में उपयोग के लिए सुरक्षित है, यह सुनिश्चित करने के लिए 10-20 साल लग सकते हैं।
प्रोफेसर कात्सुहिको के अनुसार, इस तकनीक का एक महत्वपूर्ण लाभ यह है कि यह किसी भी उम्र की महिलाओं को गर्भधारण करने और बच्चे पैदा करने में सक्षम हो सकती है। बता दें कि प्रयोगशाला में मानव शुक्राणु और अंडों को विकसित करने के लिए अपनाई जाने वाली पद्धति को इन विट्रो गैमेटोजेनेसिस के रूप में जाना जाता है।
इस शोध के पूर्णत: सफल होने के बाद दो पुरुष इन विट्रो गैमेटोजेनेसिस के उपयोग से पिता बन सकते हैं। इससे एलजीबीटीक्यू+ समुदाय के लोग भी माता-पिता बन सकते हैं। हालांकि इस शोध को लेकर चिंताएं भी हैं। यह भी अंदेश जताया जा रहा है कि बाल या त्वचा के टुकड़े का उपयोग करके इच्छा के विरुद्ध लोगों को बच्चा पैदा करने के लिए मजबूर भी किया जा सकता है।