बॉलीवुड फिल्मों के लेखक और गीतकार जावेद अख्तर ने अपने एक पुराने ट्वीट में मदरसा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के स्कूलों की तुलना की थी, जिसे लेकर वह खूब निशाना बने थे लेकिन कई दिन बीतने के बाद भी ट्विटर यूजर उन्हें घेर रहे हैं। एक यूजर ने फिर से पुराना जख्म कुरेदा और कहा कि आपने इसमें मिशनरी स्कूलों को शामिल नहीं किया। दरअसल, जावेद अख्तर ने मदरसा और मुस्लिम छात्रों के बारे में लोगों की समझ की ओर ध्यान खींचते हुए जून में एक ट्वीट किया था, जिसमें उन्होंने लिखा, ”क्या आपको पता के जो मुस्लिम बच्चे विद्यार्थी हैं उनमें से कितनी फीसदी मदरसा जाते हैं- 4 फीसदी! लेकिन समझ देखो जिसे बनाया गया है।” इस पर डॉक्टर विजय सिंह नाम के यूजर ने मदरसों के होने पर ही सवाल उठा दिया और लिखा, ”प्रिय जावेद, मदरसों की जरुरत ही क्यों है? अगर वे हैं तो उनमें भी अन्य स्कूलोंरी तरह पाठ्यक्रम एक जैसा होना चाहिए। नैतिक शिक्षा पर एक किताब अलग से होनी चाहिए।”
Do you know out of those Muslim children who are students what is the percentage that goes to Madrasas.- 4% !!! But look at the perception that has been created .
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) June 22, 2018
जावेद अख्तर ने इस बात के जवाब में मदरसों की तुलना आरएसएस की स्कूलों से करते हुए लिखा, ”मैं आपसे पूरी तरह सहमत हूं । यह अजीब बात है कि हम फिल्मों को सेंसर करते हैं लेकिन शिक्षा को नहीं। हम मदरसों और आरएसएस के स्कूलों को वह सब बच्चों को पढ़ाने देते हैं जिससे वे उनके निर्दोष दिमागों को हमेशा प्रदूषित करना चाहते हैं।”
I totally agree with you . It is strange thar we censor films but not the education . We let the madrasas and RSS run schools teach the children what ever they want and pollute the innocent minds for ever .
— Javed Akhtar (@Javedakhtarjadu) June 25, 2018
लोगों ने उन्हें कठुआ रेप मामले पर भी घेरा था। देवराज राजवेदी नाम के यूजर ने लिखा, ”सर कभी आप आरएसएस के स्कूल गये हैं? उनकी तुलना मदरसों से ना कीजिए। इलाहबाद आइए तो आपको आरएसएस के स्कूल दिखाऊं।”एक यूजर ने लिखा, ”आरएसएस के स्कूल मदरसों के द्वारा चलाईं जाने वाली पवित्र किताब से भिन्न सरकारी किताबों के पाठ्यक्रम को चलाते है।” डॉ. विजय सिंह ने एक और ट्वीट में लिखा, ”ये देश का दुर्भाग्य है कि यहां राष्ट्रवादी-आरएसएस और आतंकी जेहाद में लोग अंतर करने के बजाय आतंकियों को बचाने के लिए आरएसएस बीच में लाते हैं।” रमेश चंद्र नाम के यूजर ने लिखा, ”जावेद अख्तर साहब आपको कठुआ रेप में बहुत ज्यादा बातें आ रही थीं, मंदसौर रेप केस में क्या हुआ, जुबां पे ताला लग गया?
बुधवार (11 जुलाई) को संक्रांत सानू नाम के यूजर ने लिखा, ”अजीब बात है कि आपने इसमें क्रिश्चियन मिशनरी स्कूलों को शामिल नहीं किया, है न? उनकी परिभाषा बिना प्रदूषण वाले स्कूलों की है क्योंकि जीसस ने ऐसा कहा था? मदरसा और मिशनरी स्कूल ही धार्मिक स्कूल हैं। आरएसएस के स्कूल राष्ट्रवादी हैं, न कि धार्मिक।”
Strange that you didn't include Christian missionary schools, no? They are "non-polluting" by definition because Jesus said so? Only religious schools are madrassas and missionary schools. RSS schools are nationalistic, not religious.
— Sankrant Sanu सानु संक्रान्त ਸੰਕ੍ਰਾਂਤ ਸਾਨੁ (@sankrant) July 12, 2018
सर कभी आप RSS के स्कूल गये हैं? उनकी तुलना मदरसों से ना कीजिये। इलाहबाद आइये तो आपको RSS के स्कूल दिखाऊँ।
— Devraj Rajvedi (@djrajvedi) June 30, 2018
ये देश का दुर्भाग्य है कि यहाँ राष्ट्रवादी-RSS और आतंकी जेहाद में लोग अंतर करने के बजाय
आतंकियों को बचाने के लिए RSS बीच में लाते हैं— Dr.Vijay Singh (@DrVijaydholpur) June 26, 2018
RSS run schools follow curriculum and books suggested by Govt, unlike holy book followed by Madrasas…..
— Nation First (@rahulgupta1976) June 30, 2018
Javed akhtr sahb Aapko katuuua rape me bahut jayda baate aarhi thi manddsor rape case me Kya huwa jubaan pe taala lag gya
— Ramesh Chandra (@RameshC79347901) June 30, 2018
Javed akhtr sahb Aapko katuuua rape me bahut jayda baate aarhi thi manddsor rape case me Kya huwa jubaan pe taala lag gya
— Ramesh Chandra (@RameshC79347901) June 30, 2018