2जी स्कैम पर गुरुवार को फैसला आया है। 1.76 करोड़ के इस घोटाले में सभी 17 आरोपी बरी किए गए हैं। सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर इसे लेकर लोगों ने अपनी प्रतिक्रियाएं दीं, जिनमें बॉलीवुड एक्ट्रेस और मॉडल गुल पनाग भी शामिल हैं। उन्होंने 2जी घोटाले को लेकर कोर्ट पर तंज कसा है। कोर्ट की नीयत पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा है कि ये सब सबूतों के रूप में कोर्ट के पास आता है। मगर मुकदमा चलाने के लिए नीयत भी अहमियत रखती है। आपको बता दें कि गुल पनाग एक्ट्रेस के साथ एक्टिविस्ट हैं। सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर खासा सक्रिय भी रहती हैं। साल 2014 में वह आम आदमी पार्टी (आप) के टिकट पर चंडीगढ़ से लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुकी हैं। गुरुवार को 2जी घोटाले पर उन्होंने टि्वटर के जरिए इस बारे में अपनी राय जाहिर की। ट्वीट में लिखा, “आखिरकार, यह सब अदालतों में “कानूनी रूप से स्वीकार्य सबूत” के तहत आता है। और ट्रिब्यूनल में। और खासकर- मुकदमा चलाने के लिए ‘इरादा’।”
Ultimately, it all comes down to “legally admissible evidence” in courts. And tribunals.
And of course- the ‘intent’ to prosecute. #2GJudgement— Gul Panag (@GulPanag) December 21, 2017
गुल के इस ट्वीट पर कुछ लोगों ने उनका समर्थन किया। वहीं, कुछ ने उनसे असहमति जताई। देखिए लोगों ने उन्हें कैसे-कैसे रिप्लाई दिए-
2जी घोटाले में सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है। जज ओपी सैनी की सीबीआई की विशेष अदालत मनमोहन सिंह सरकार के समय स्पेक्ट्रम आवंटन में हुए घोटाले पर गुरुवार को निर्णय दिया। इसमें पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा और द्रमुक सांसद कनीमोझी के अलावा अन्य को आरोपी बनाया गया था। राजा और कनीमोझी सुबह में कोर्ट पहुंच गए थे। आरोपियों के खिलाफ सीबीआई के साथ ही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी मामला दर्ज किया था। सीबीआई की चार्जशीट पर विशेष अदालत ने वर्ष 2011 में मामले के 17 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए थे।
सीबीआई और ईडी ने आरोपियों के खिलाफ कई आरोप लगाए हैं। विशेष अदालत ने राजा और कनीमोझी के अलावा अन्य आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के साथ मनीलांड्रिंग रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत आरोप तय किए गए थे। इन पर आपराधिक षडयंत्र रचने, धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज बनाने, पद का दुरुपयोग करने और घूस लेने जैसे आरोप लगाए गए थे। सीबीआई ने 2जी घोटाला मामले में अप्रैल 2011 में आरोपपत्र दाखिल किया था। जांच एजेंसी ने आरोप लगाया था कि स्पेक्ट्रम के लिए 122 लाइसेंस जारी करने में गड़बड़ी के कारण 30,984 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने 2 फरवरी 2012 को लाइसेंस को रद कर दिया था।