AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने मध्य प्रदेश और दिल्ली में हाल में हुई सांप्रदायिक घटनाओं को लेकर कहा कि मस्जिदों के बाहर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने चाहिए। जहांगीरपुरी और खरगोन में हुई सांप्रदायिक हिंसा का जिक्र कर ओवैसी ने कहा कि मस्जिदों को धार्मिक जुलूसों को रिकॉर्ड करने के लिए कैमरे लगाने चाहिए। उनके बयान पर सोशल मीडिया यूजर्स कई तरह की प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
ओवैसी का बयान : AIMIM प्रमुख ने कहा कि मस्जिदों को धार्मिक जुलूसों को रिकॉर्ड करने के लिए हाई रिजॉल्यूशन वाले कैमरे लगाने चाहिए ताकि लोग जान सकें कि पथराव कौन कर रहा है। उन्होंने सांप्रदायिक घटनाओं के विषय पर कहा कि कैमरा किसी मजहब का नहीं होता, कैमरे से पत्थर फेंकने वालों का चोरों, जालिम और बदमाशों का चेहरा दिख सके। पत्थर फेंक कर हिंदू मुस्लिम के बीच कुछ लोग दंगा भड़काने की कोशिश करते हैं। मंदिरों पर भी कैमरे लगने चाहिए।
लोगों की प्रतिक्रियाएं : जमाल नाम के एक यूजर ने इसे सही बताते हुए कहा कि यह सभी लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण मैसेज है और इसका पालन किया जाना चाहिए। विशाल शर्मा नाम के ट्विटर यूजर लिखते हैं, ‘आपकी बात बिल्कुल सही है लेकिन मस्जिद के अंदर भी कैमरे लगाए जाने चाहिए।’ अनंत विजय ने कमेंट किया – लगे हाथ मंदिर के अंदर भी हाई रिजॉल्यूशन सीसीटीवी लगाने का सुझाव दे दीजिए श्रीमान।
मोहित नाम के एक यूजर ने लिखा कि मंदिर और मस्जिद दोनों में कैमरे की जरूरत बाहर से ज्यादा अंदर लगाने की है, क्योंकि बाहर से पत्थर मारने वाले लोगों को अंदर ही ट्रेनिंग दी जाती है। प्रभाकर श्रीवास्तव नाम के ट्विटर हैंडल से कमेंट किया गया, ‘ कैमरा तो अंदर भी लगना चाहिए, वो भी वॉइस रिकॉर्डर के साथ में.. ताकि पता लग सके कि अंदर कोई षड्यंत्र तो नहीं हो रहा है।’
संजय व्यास नाम के एक यूजर कमेंट करते हैं कि बिल्कुल सही बात कह रहे हैं आप.. मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाकर कैमरा ही लगा देना चाहिए। वैसे कैमरा तो अंदर भी लगाने की जरूरत है। अर्पित नाम के ट्विटर हैंडल से कमेंट किया गया आप अपने ही लोगों को क्यों परेशान रहे हैं? सुनील त्रिपाठी नाम के एक यूजर ने लिखा कि हम तो कह रहे हैं कि कैमरा अंदर लगाओ और उसका डायरेक्ट कंट्रोल पुलिस को दे दो।