योगी आदित्यनाथ सरकार ने राज्य के सभी गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे 5 अक्टूबर तक कराने का निर्देश जिला अधिकारियों को दिए हैं। मदरसों के सर्वे को लेकर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कई तरह के सवाल उठाए हैं। उन्होंने इसे छोटा एनआरसी भी बताया है। इन्हीं तमाम विषयों को लेकर उन्होंने एक टीवी चैनल से बातचीत की।
ओवैसी ने कही ऐसी बात
समाचार चैनल ‘न्यूज़ 24’ के रिपोर्टर द्वारा सवाल किया गया कि आप मदरसों के आधुनिकरण के खिलाफ हैं? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि मदरसे डॉक्टर और इंजीनियर बनाने के लिए नहीं खोले जाते हैं बल्कि वहां पर इस्लाम के बारे में जानने के लिए पढ़ाया जाता है। वहां पर पढ़ने वाले बच्चे हदीस के एक्सपर्ट बने या फिर कुरान के एक्सपर्ट बने, इसके लिए पढ़ाई की जाती है। उन्होंने कहा कि मदरसों का बुनियादी मकसद इस्लाम की शिक्षा देना है।
बीजेपी पर बरसे AIMIM प्रमुख
उन्होंने एनडीए सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्हें इंग्लिश या मॉडर्न स्कूल खोलने के लिए किसने रोका है? उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि यह लोग मुसलमानों के इलाके में मॉडर्न स्कूल नहीं खोलते हैं। वहां पर थाने खोले जाते हैं और अस्पताल की जगह शराब की दुकानें खोली जाती हैं। मदरसों की बात करते हुए उन्होंने कहा कि आजकल वहां पर कंप्यूटर के साथ अंग्रेजी की भी तालीम दी जा रही है।
लोगों ने पूछे ऐसे सवाल
रजत त्रिपाठी नाम के ट्विटर हैंडल से सवाल किया गया कि क्या आप मुसलमान बच्चों को आगे बढ़ते नहीं देखना चाहते हैं? मुस्लिमों के ज्यादातर बच्चे तो मदरसे में ही जाते हैं ना। सिद्धार्थ जैन नाम के टि्वटर यूजर ने ओवैसी पर तंज कसते हुए लिखा – यह खुद विदेशी यूनिवर्सिटी से पढ़ पाए हैं और यह चाहते हैं कि इनकी कम्युनिटी के लोग मदरसे से पढ़ें। क्या आप मुसलमानों के नाम पर वोट नहीं लेना चाह रहे हैं?
दया नाम के ट्विटर यूजर पूछते हैं कि जब मदरसों का मकसद सिर्फ इस्लामिक शिक्षा देना है तो सरकार पैसे क्यों देती है?
रजनीश नाम के एक ट्विटर यूजर द्वारा सवाल किया गया, ‘अगर मदरसों का मकसद केवल इस्लाम की तालीम देना है तो रोजगार की बात आप क्यों करते हैं। अगर बच्चे के पास शिक्षा ही नहीं रहेगी तो सरकार उसे नौकरी कैसे दे देगी? उमाकांत यादव नाम के एक यूजर द्वारा लिखा गया – धर्म के नाम पर केवल पढ़ाई हो रही है तो सरकारें अपना पैसा क्यों खर्च कर रही हैं?