Arecibo Message Google Doodle: अमेरिकी इंटरनेट सर्च इंजन गूगल ने शुक्रवार (16 नवंबर) को अरसीबो मैसेज (Arecibo Message) की 44वीं सालगिरह पर खास डूडल बनाया। काले रंग के बैकग्राउंड पर यह डूडल दिखने में बेहद रंग-बिरंगा नजर आ रहा था। गूगल के अंग्रेजी शब्द में आने वाले दोनों ओ (O) इसमें अनोखे संदेश वाले डिजाइन में लिखकर दर्शाए गए थे, जबकि इस डूडल पर क्लिक करने पर इससे संबंधित जानकारियां व खबरें खुलकर आई थीं।
आपको बता दें कि वैज्ञानिक और शोधार्थी सालों से इस खोज में जुटे हैं कि क्या पृथ्वी के बाहर भी जीवन है? क्या पृथ्वी पर इंसानों की तरह ही अन्य ग्रहों या जगहों पर जीवन संभव है, क्या वहां भी प्राणी रहते हैं? इन्हीं सवालों को तलाशते-तलाशते आज से तकरीबन 44 सालों पहले मनुष्यों ने पृथ्वी से बाहर तारों को पहला इंटरस्टेलर संदेश रेडियो तरंगों के जरिए भेजा था। सर्च इंजन ने उसी इंसानी उपलब्धि की याद दिलाते हुए यह खास डूडल बनाया है।
कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में एस्ट्रोनॉमी के प्रोफेसर डोनाल्ड कैंपबेल ने इस अहम घटना को लेकर कहा, "यह वाकई में खास घटना है, जो कि साफ दर्शाती है कि हम (वैज्ञानिक-एक्सपर्ट्स) ऐसा कर सकते हैं।"
यह रेडियो संदेश प्यूटरे रिको के अरसीबो वेधशाला से भेजा गया था। कॉर्नेल विश्वविद्यालय के खगोलविद् और खगोल भौतिक विज्ञानी फ्रैंक ड्रेक ने अमेरिकी खगोलविद् कार्ल सागन की मदद से संदेश लिखा था।
इस ऐतिहासिक ट्रांसमिशन का मुख्य उद्देश्य अरसीबो द्वारा हाल ही में अपग्रेड किए गए रेडियो टेलिस्कोप की क्षमताओं को प्रदर्शित करना था। गूगल के मुताबिक, चूंकि भेजा गया अरसीबो मेसेज अपने तय लक्ष्य तक पहुंचने में करीब 25 हजार साल का समय लेगा, इसलिए मानवजाति को लंबे वक्त तक इसका इंतज़ार करना होगा।
ये ब्रॉडकास्ट काफी पॉवरफुल था क्योंकि अरसीबो को 305 मीटर ऊंचे एंटीना में लगाया गया था। गूगल के मुताबिक, चूंकि भेजा गया अरसीबो मैसेज अपने तय लक्ष्य तक पहुंचने में करीब 25 हजार साल का समय लेगा। ऐसे में रिस्पॉन्स मैसेज का इतंजार करना होगा। मैसेज वापस कब आएगा इसके बारे में कोई नहीं जानता है।
गूगल के मुताबिक वैज्ञानिकों का समूह ने puerto rico के जंगलों से पहली बार अपने ग्रह पृथ्वी के बाहर रेडियो मेसेज भेजा था। यह ब्रॉडकास्ट काफी शक्तिशाली था लेकिन आज तक इसका रिस्पॉन्स मैसेज नहीं मिला है।
3 मिनट के इस रेडियो मेसेज में 1,679 बाइनरी डिजिट्स (दो प्राइम नंबरों को मल्टीपल) था, जिन्हें एक ग्रिड यानी 23 कॉलम और 73 पंक्तियों में व्यवस्थित किया जा सकता था। नंबरों की इस सीरीज का लक्ष्य सितारों का वह समूह था, जोकि पृथ्वी से M-13, 25,000 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित था।
Arecibo Message को लेकर यही उम्मीद है कि यह एक दिन परग्रहियों तक पहुंचेगा। अरसीबो मैसेज की परिकल्पना कॉर्नेल यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स की टीम द्वारा की गई थी। खगोलविद और तारा-भौतिकविद फ्रैंक ड्रेक के नेतृत्व में Arecibo Message को तैयार किया गया था। मैसेज रिसीव होने पर गणित, इंसानी डीएनए, धरती और इंसान से संबंधित जानकारी देगा।
44 साल पहले पृथ्वी से बाहर भेजा गया वह मैसेज डॉ.फ्रैंक ड्रेक ने लिखा था। वह तब कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में थे। उन्होंने उस संदेश को लिखने के लिए कार्ल सैगन व कुछ अन्य लोगों की मदद ली थी। विशेषज्ञों के हवाले से रिपोर्ट्स में कहा गया कि उस मैसेज को सही से व्यवस्थित करने पर ऐसी तस्वीर बन सकती थी, जिसमें गणित, इंसानी डीएनए, सौर्य मंडल में पृथ्वी की जगह, मनुष्य और टेलीस्कोप की आकृति नजर आ सकती है।
वैज्ञानिक अभी तक उस संदेश के जवाब का इंतजार कर रहे हैं। वे मान कर चल रहे हैं कि अगर इस ब्रह्मांड में पृथ्वी के बाहर कहीं भी जीवन हुआ, तो वहां के निवासी-प्राणी उनके भेजे हुए संदेश को डीकोड कर उसका जवाब जरूर भेजेंगे। वे उसी जवाब की 44 सालों से आस लगाए हुए हैं। पर कुछ शोधकर्ताओं-वैज्ञानिकों का मानना है कि उस संदेश का जवाब तकरीबन 25 हजार साल बाद आएगा।
अमेरिकी इंटरनेट सर्च इंजन समय समय पर थीम, त्यौहार-पर्व और चीजों को लेकर अपने होम पेज पर दिखने वाले डूडल की डिजाइन बदलता रहता है। आज उसने अरसीबो मैसेज की 44वीं सालगिरह के मौके पर खास डूडल बनाया। हो सकता है कि कई लोगों को यह डूडल सामान्य लगे या फिर कुछ को इसका मतलब समझ में न आए। मगर गूगल ने इसे अपने होमपेज पर लाकर एक बार फिर 44 साल पहले इंसानों द्वारा पृथ्वी से बाहर भेजे गए उस रेडियो संदेश की अहमियत को बताया है।
44 साल पहले भेजे गए रेडियो संदेश के जवाब के तौर पर आने वाला मैसेज 73 पंक्तियों व 23 कॉलम में होने की संभावना है, जो कि मिलकर पिक्टोग्राफ तैयार करेगा। एक्सपर्ट्स का मानना है कि उस तस्वीर में गणित, इंसानी डीएनए, पृथ्वी-ग्रह और मनुष्यों के बारे में तथ्य होंगे।
जानकारों की मानें, तो प्रसारित किया गया संदेश बेहद शक्तिशाली बताया जाता है। पर उसके जवाब में क्या संदेश आया? इसकी अभी तक कोई जानकारी नहीं है। गूगल से जुड़े विशेषज्ञों के हवाले से इस बारे में कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया कि लगभग 25 हजारों साल बाद उसकी प्रतिक्रिया के रूप में मैसेज आएगा।
कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में एस्ट्रोनॉमी के प्रोफेसर डोनाल्ड कैंपबेल ने इस अहम घटना को लेकर कहा, "यह वाकई में खास घटना है, जो कि साफ दर्शाती है कि हम (वैज्ञानिक-एक्सपर्ट्स) ऐसा कर सकते हैं।"
साल 1974 में पुर्टो रीको स्थित अरसीबो बेधशाला से संदेश भेजा गया था, जो कि लगभग तीन मिनट का था। उसमें 1,679 बाइनरी डिजिट थीं। अगर इन डिजिट्स को किसी खास क्रम में व्यवस्थित किया जाए, तो उसके जरिए मानवता और पृथ्वी से जुड़ी बुनियादी चीजों के बारे में जानकारी हासिल की जा सकती है।