अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए अपनी सहमति देने से इनकार कर दिया है। ओवैसी ने जस्टिस जीवन लाल कपूर कमीशन की जांच का हवाला देते हुए कहा था कि वीडी सावरकर महात्मा गांधी की हत्या में शामिल थे। एजी का कहना है कि जस्टिस कपूर सुप्रीम कोर्ट से 1962 में रिटायर हो गए थे। 1966 में कमीशन का गठन हुआ। ओवैसी ने जो आरोप लगाया वह जस्टिस कपूर के कमीशन की रिपोर्ट पर था, ना कि सुप्रीम कोर्ट पर। लिहाजा उनके खिलाफ सर्वोच्च अदालत की अवमानना नहीं बनती।

वीडी सावरकर को महात्मा गांधी की हत्या में शामिल बताने संबंधी कथित टिप्पणी पर एक थिंक टैंक ने अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल को पत्र लिखकर AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए उनकी सहमति मांगी थी। अभिनव भारत कांग्रेस और इसके संस्थापक पंकज फडनीस के पत्र में 28 मार्च, 2018 के एक फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि याचिकाकर्ता का यह कहना कि सावरकर को गांधीजी की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया है, गलत है।

थिंक टैंक ने 23 अक्टूबर को वेणुगोपाल को लिखे अपने पत्र में कहा था कि इसमें ओवैसी को लिखे हमारे 15 अक्टूबर, 2021 के पत्र का संदर्भ है। उम्मीद की जा रही थी कि वह सीधे स्पष्टीकरण जारी करेंगे। लेकिन उस पत्र को उन्होंने स्वीकार भी नहीं किया। वह इस मामले पर ओवैसी की टिप्पणी के लिए सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए आपकी सहमति चाहते हैं। थिंकटैंक का कहना था कि सावरकर बहुत से लोगों की आस्था का प्रतीक हैं और ओवैसी ही टिप्पणी से बहुत से लोगों को ठेस पहुंची है।

ओवैसी ने हाल ही में कहा था कि सावरकर की तस्वीर संसद भवन के सेंट्रल हाल में लगाकर यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि महात्मा गांधी की जगह सावरकर लेने वाले हैं। उनका कहना है कि गांधी की हत्या के मामले से सावरकर साक्ष्यों के अभाव में बरी हो गए। उन्होंने संघ प्रमुख मोहन भागवत के उस दावे को भी खारिज किया था कि सावरकर ऊर्दू के विरोधी नहीं थे। भागवत के मुताबिक सावरकर ने उर्दू में गजलें लिखी थीं। ओवैसी का कहना था कि जस्टिस कपूर कमीशन की जांच का हवाला देकर पूछा था कि इस पर उनका क्या कहना है?