कर्नल (सेवानिवृत्त) संजय गंगवार
भारत के विनिर्माण सकल घरेलू उत्पाद में लगभग आधे हिस्से का योगदान करते हुए मोटर वाहन क्षेत्र पिछले कुछ दशकों में लगातार विकास की राह पर आगे बढ़ता रहा है। 2000-2010 के बीच यह क्षेत्र 15 फीसद से अधिक की गति से बढ़ता रहा है। बाद में प्रगति में थोड़ा ठहराव रहा, लेकिन यह निश्चित है कि यह क्षेत्र कोरोना विषाण्ुा संक्रमण महामारी के बावजूद जल्द ही फिर से उठ खड़ा होगा और अपनी पकड़ बना लेगा।
प्रमुख प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित करने और देश के सकल घरेलू उत्पादन में लगभग सात फीसद का योगदान देने वाला क्षेत्र होने के अलावा, मोटर वाहन उद्योग एक प्रमुख नियोक्ता भी है। इस क्षेत्र में लगभग 3.2 करोड़ लोग कार्यरत हैं। पूर्णबंदी के बाद, उद्योग एक बार फिर से लोगों को काम पर रख रहा है। इस प्रकार मोटर वाहन क्षेत्र के लिए रोजगार और अवसरों के नजरिए से अच्छी खबर है। पूर्णबंदी के कारण अप्रैल में उत्पादन और बिक्री पर पूरी तरह रोक के बाद, भारतीय कार बाजार की दो प्रमुख कंपनियों ने जून में बेहतर वापसी की सूचना दी है। इसके अलावा पूर्णबंदी के दौरान मोटर वाहन मरम्मत की दुकानों को आवश्यक सेवाओं में शामिल किया गया था, अन्य आवश्यक सेवाओं को गतिशील रखने के लिए इन्हें जरूरी माना गया था। यहां तक कि पूर्णबंदी के दौरान चली गई वर्कशॉप की नौकरियां भी जल्द ही वापस आ गईं, क्योंकि वाहन सड़क पर लौट आए थे। इस प्रकार से स्थिर करिअर की तलाश करने वाला व्यक्ति इस क्षेत्र में अपने लिए स्थायी भविष्य तलाश सकता है।
मोटर वाहन उद्योग में करिअर उतना ही विविध हो सकता है, जितनी विविधता वाहनों की श्रेणी में नजर आती है। एक मार्केटिंग एक्जीक्यूटिव से तकनीशियन तक कोई भी कौशल आप चुन सकते हैं। इस क्षेत्र की कुछ नौकरियों की बड़ी कंपनियों में अधिक उपयोगिता हो सकती है। इसके लिए विशेष शिक्षा और तकनीकी समझ की आवश्यकता भी हो सकती है, जबकि स्थानीय सेवा केंद्रों और मरम्मत की दुकानों के लिए भी ऐसे कुशल लोगों की जरूरत हो सकती है। दूसरे विकल्प की तैयारी तुलनात्मक रूप से कम समय सीमा और लागत में हासिल की जा सकती है, फिर भी यह एक प्रगतिशील प्रक्रिया है जो कार्यरत लोगों को अपने करिअर में तरक्की करने और विभिन्न मानदंडों जैसे प्रदूषण आदि में समय के साथ होने वाले तकनीकी बदलाव को देखते हुए प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आगे बढ़ने के अवसर देती है।
जो भी हो, इसमें आपको एक ऐसे पाठ्यक्रम की तलाश करनी चाहिए, जो कॉपोर्रेट और वर्कशॉप स्तरों के लिए कौशल सिखाता है। रोजगार की तत्काल आवश्यकताओं वाले लोगों के लिए एक अल्पकालिक औद्योगिक प्रशिक्षण का सुझाव दिया जा सकता है। दूसरी ओर, मोटर वाहन या मैकेनिकल में स्नातक की डिग्री किसी को भी शुरुआती स्तर का रोजगार प्राप्त करने और आगे विकास के अवसरों को हासिल करने के लिए तैयार करती है। मोटर वाहन क्षेत्र में प्रवेश के लिए इन पारंपरिक रास्तों के अलावा, कुछ संस्थान अभिनव पाठ्यक्रम की पेशकश कर रहे हैं, जैसे मोटर वाहन क्षेत्र में बी. वोक. की उपाधि।
यहां तक कि अगर कोई व्यक्ति इस उद्योग में अपना करिअर बनाने के लिए आश्वस्त है, तो एक उपयुक्त पाठ्यक्रम और संस्थान का चयन भी आवश्यक है। किसी भी पाठ्यक्रम का अध्ययन शुरू करने से पहले इच्छुक विद्यार्थी को पाठ्यक्रम को पूरी तरह से कवर करना चाहिए। भविष्य में रोजगार की जरूरतों को पूरा करने के लिए भविष्य के दृष्टिकोण और नवाचार के लिए गुंजाइश वाले कार्यक्रम को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उदाहरण के लिए, भारतीय बाजार में इलेक्ट्रिक वाहन बढ़ रहे हैं। जीवाश्म ईंधन के उपयोग और जलवायु परिवर्तन के प्रति चिंता के साथ मिलकर नई तकनीक के उद्भव ने ऐसे वाहनों की मांग को गति दी है। फिलहाल इलेक्ट्रिक वाहनों के बाजार में बहुत अधिक हलचल दिखाई नहीं दे रही है, लेकिन भविष्य ऐसे वाहनों का ही नजर आ रहा है, जहां मेक्ट्रोनिक्स (इलेक्ट्रिकल और मैकेनिकल दोनों पर फोकस) और ऐसी ही दूसरी प्रौद्योगिकी का और अधिक विस्तार होगा।
भारतीय स्किल डेवलपमेंट यूनिवर्सिटी, जयपुर जैसे कुछ संस्थानों ने बी.वोक. पाठ्यक्रम में हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों को शामिल किया है, साथ ही मैकेनिक्स और गतिशीलता से संबंधित बुनियादी बातों का अध्ययन भी कराया जा रहा है। भौतिकी के सिद्धांतों से वाहन चलते रहेंगे और इस प्रकार भविष्य के पाठ्यक्रमों में बुनियादी शैक्षणिक तत्व भी कम नहीं होने चाहिए। ऐसे पाठ्यक्रमों में कौशल के अलावा अकादमिक मूल्यों का भी ध्यान रखा जाना चाहिए, जैसे स्नातक या स्नातकोत्तर उपाधि को प्राथमिकता देनी चाहिए। भारत में 300 से अधिक संस्थान हैं, जो ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग में स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम चलाते हैं। इच्छुक उम्मीदवारों को सभी पहलुओं पर विचार करते हुए इस क्षेत्र में एक स्थायी करिअर के लिए किसी पाठ्यक्रम में दाखिला लेना चाहिए।
(स्कूल ऑफ ऑटोमोटिव स्किल्स, भारतीय स्किल डेवलपमेंट यूनिवर्सिटी, जयपुर)