WhatsApp Alternatives:इंस्टेंट मैसेजिंग ऐप वॉट्सऐप ने प्राइवेसी पॉलिसी में बदलाव किए हैं और 8 फरवरी तक पॉलिसी एक्सेप्ट नहीं किए जाने पर यूजर्स का अकाउंट बंद कर दिया जाएगा। इसके लिए कंपनी ने बीते सप्ताह 40 करोड़ भारतीय यूजर्स को एप में नोटिफिकेशन भी भेजा था और उन्हें पॉलिसी स्वीकारने को कहा था। ऐसे में अगर आपको अपनी प्राइवेसी कि चिंता सता रही है और आप व्हाट्सएप के कुछ विकल्प तलाश रहे हैं तो हम आज आपको कुछ विकल्प बताने जा रहे हैं, जो आपके लिए उपयोगी और सुरक्षित साबित हो सकते हैं।

Signal: व्हॉट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी आने के बाद सबसे ज्यादा फायदा सिग्नल एप को हुआ है और यह भारत में भी लोकप्रिय हो रहा है। इतना ही नहीं गूगल प्लेस्टोर और एप्पल स्टोर पर यह सबसे ज्यादा डाउनलोड होने वाला एप बन गया है। यह एप एंड टू एंड इनक्रिप्टेड की सुविधा देता है। अगर आप व्हाट्सएप का उपयोग करते हैं तो सिग्नल को इस्तेमाल करने में आपको किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना होगा क्योंकि इसमें मैसेजिंग, वीडियो और वॉयस कॉल करने का तरीका लगभग व्हाट्सएप का जैसा ही है। इसमें read receipt और dark mode जैसे फीचर्स भी हैं। यह ऐप एंड्रॉयड, आईओएस, विंडोज, मैक ओएस और लिनक्स सॉफ्टवेयर पर काम करता है।

Telegram:सिग्नल के अलावा आप टेलीग्राम ऐप का भी उपयोग कर सकते हैं। यह गूगल प्लेस्टोर और एप्पल ऐप स्टोर पर मौजूद है। व्हाट्सएप और टेलीग्राम को कंपेयर करें तो यह एक दूसरे से काफी अलग हैं। टेलीग्राम क्लाउड आधारित सेवा है। बता दें कि व्हाट्सएप पर फोटो शेयर करने पर उनकी क्वालिटी खराब हो जाती है लेकिन टेलीग्राम से फोटो सेंड करने पर उसकी क्वालिटी बनी रहती है। इस ऐप के जरिये यूजर्स 1.5 जीबी तक की फाइल्स दूसरे यूजर्स के साथ शेयर कर सकते हैं। वहीं, एक ग्रुप में 2 लाख यूजर्स तक शामिल किए जा सकते हैं। यह ऐप एंड्रॉयड, आईओएस, विंडोज, विंडोज एनटी, मैक ओएस और लिनक्स सॉफ्टवेयर पर काम करता है।

Viber: अगर आप व्हाट्सएप का एक अन्य विकल्प खोज रहे हैं तो आप वाइबर को चुन सकते हैं। यह ऐप वॉयस और टेक्स्ट मैसेज के लिए एंड टू एंड इनक्रिप्शन की सुविधा उपलब्ध कराता है। कंपनी का कहना है कि यूजर्स अपडेटेड वर्जन का इस्तेमाल करें। वॉट्सऐप की तरह ही बाइबर की चैट्स का बैकअप गूगल ड्राइव पर तैयार किया जा सकता है। Viber के मुताबिक, एक बार चैट Google ड्राइव पर जाने के बाद यूजर्स के डेटा की जिम्मेदारी कंपनी की नहीं होगी और वह गूगल की नीति पर निर्भर करेगी।