मकान और शहर बदलने पर अक्सर पुराने मोबाइल का नेटवर्क भी दिक्कत देने लगता है। क्योंकि कई बार जिस नए शहर या कॉलौनी में शिफ्ट होते हैं वहां पर उक्त कंपनी का नेटवर्क काफी कमजोर होता है। इस वजह से आपको फोन और इंटरनेट यूज करने में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। वहीं पुराना नंबर छोड़ना भी आपके लिए ठीक नहीं होता क्योंकि परिवार, रिश्तेदार, दोस्त और ऑफिस के ज्यादातर लोगों के पास पुराना ही मोबाइल नंबर होता है।
लेकिन इस सब परेशारियों का एक समाधान है सिम पोर्ट कराना। जिसमें मोबाइल नंबर बदलने की जरूरत नहीं होती और आप अपने क्षेत्र में अच्छी मोबाइल सेवा प्रदान करने वाली कंपनी की सर्विस सिम पोर्ट कराके फायदा उठा सकते हैं। आइए जानते हैं सिम पोर्ट सर्विस के बारे में….
क्या होता है सिम पोर्ट कराना – सिम पोर्ट कराने पर आपका मोबाइल नंबर नहीं बदला। इस सर्विस में आपके पुराने नंबर पर ही नई टेलीकॉम कंपनी की सर्विस शुरू हो जाती है। इसके लिए आपको केवल सर्विस प्रदान करने वाली कंपनी की सिम लेनी होती है। ट्राई के नियम के अनुसार आप कितनी भी बार आपने मोबाइल नंबर को पोर्ट करा सकते हैं।
सिम पोर्ट कराने के नियम – अगर आप भी सिम पोर्ट कराना चाहते हैं तो इसके लिए आपका सिम 90 दिन पुराना होना चाहिए। यानी आपको 90 दिनों तक पुरानी कंपनी की सर्विस लेनी होगी। जिसके बाद ही सिम पोर्ट कराने के लिए प्रोसेस किया जा सकता है। इसके अलावा सिम में कोई माईनस में बैलेंस नहीं होना चाहिए। इसके अलावा मैन बैलेंस में कम से कम 1 रुपये होना चाहिए और सिम की वैलिडिटी भी होनी चाहिए।
कैसे करा सकते है सिम पोर्ट
>> सिम पोर्ट कराने के लिए अपने मौजूदा मोबाइल नंबर से 1900 पर SMS भेजना होगा।
>> उदाहरण के लिए PORT टाइप करके मोबाइल नंबर लिखकर 1900 पर SMS भेज दें।
>> इसके बाद आपके नंबर पर एक यूनिट पोर्टिंग कोड आएंगा। यह 15 दिन तक मान्य होगा।
>> इसके बाद नजदीकी रिटेल स्टोर पर जाएं और उन्हें सिम पोर्ट करने के लिए कहें।
>> ध्यान रखें कि अपने साथ पासपोर्ट साइज की फोटो और पहचान प्रमाण की स्वप्रमाणित कॉपी ले जाएं। एड्रेस प्रूफ के तौर पर आप रेंट एग्रीमेंट, लैंडलाइन बिल, बिजली बिल या तीन महीने के बैंक स्टेटमेंट की कॉपी जमा कर सकते हैं।
>> डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन पूरा करने के बाद मौजूद सिम बंद हो जाएगी और नई सिम मिल जाएगी। इस प्रोसेस में लगभग एक सप्ताह का समय लग सकता है।
