Smartphone Camera to identify malaria carrying mosquitoes: मलेरिया को फैलने से रोकने के मच्छरों की पहचान जरूरी है। युगांडा जैसे देशों में स्वास्थ्यकर्मियों को दूरदराज जगहों पर जाकर मच्छरों को कलेक्ट करने लाना होता है ताकि लैब में उनकी स्पीसीज की पहचान की जा सके। इसके बाद यह डेटा स्थानीय हेल्थ अथॉरिटीज के साथ शेयर किया जाता है। लेकिन अब, मच्छरों की प्रजाति को पहचानना बेहद आसान हो गया है। जी हां, VectorCam नाम का ऐप मच्छर की फोटो से ही इसकी प्रजाति का पता लगा देता है।
अमेरिका की हॉपकिंस यूनिवर्सिटी (Hopkins University) के बायोइंजीनियर्स की एक टीम ने VectorCam को डिवेलप किया है। इस ऐप से कोई भी स्मार्टफोन कैमरा लेंस के जरिए मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों की अलग-अलग प्रजाति की पहचान कर सकता है। बता दें कि मलेरिया फैलाने वाले मच्छर genus Anopheles स्पीसीज से ताल्लुक रखते हैं।
जारी है मच्छरों की पहचान करने वाले VectorCam की टेस्टिंग
इस ऐप के डिवेलपर्स को गेट्स फाउंडेशन, Makerere University और युंगाडा की सरकार से फंडिंग मिली थी। माइक्रोसॉफ्ट के को-फाउंडर बिल गेट्स ने एक ब्लॉग पोस्ट में VectorCam को ‘ज्ञानवर्धक इनोवेशन’ करार दिया और कहा कि युगांडा के कुछ हिस्सों में मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों को खत्म करने में ही ऐप पहले से ही काफी उपयोगी साबित हो रहा है। युगांडा में फिलहाल इस ऐप का परीक्षण किया जा रहा है।
गेट्स ने कहा, ‘कई जगहों पर, मच्छरों की निगरानी के लिए अभी भी हाथ से कागजी फॉर्म भरना होता है जिसके बाद इन्हें ट्रांसपोर्ट किया जाता है और फिर कम्प्यूटर सिस्टम में इन्हें मैनुअली एंटर किया जाता है। जब तक यह डेटा डिसीजन मेकर्स यानी अधिकारियों के पास पहुंचता है, तब तक यह कई सप्ताह या महीनों पुराना हो चुका होता है। VectorCam के साथ डेटा को डिजिटाइज और एक साथ इकट्ठा किया जाता है, जिससे स्वास्थ्य अधिकारियों को अप-टू-डेट इन्फोर्मेशन मिल सके।’
पंखों की आवाज से मच्छर की पहचान
मच्छरों की फोटो को स्कैन करके, यह ऐप मच्छर के लिंग जैसी जानकारी मुहैया कराता है। इसके अलावा ऐप से यह भी पता चलता है कि मच्छर है हाल ही में खून पिया है या फिर अंडे भी डिवेलप किए हैं। ब्लॉग पोस्ट के मुताबिक, वेक्टरकैम संभावित रूप से उन मच्छरों की प्रजातियों की भी पहचान कर सकता है जो डेंगू और जीका जैसी अन्य वेक्टर जनित बीमारियों को फैलाते हैं।
इसके अलावा बिल गेट्स ने मच्छरों की निगरानी करने वाले एक और ऐप HumBug का जिक्र भी किया। यह ऐप मच्छरों के पंखों की आवाज सुनकर उनकी प्रजाति का पता करता है जिसे स्मार्टफोन के बिल्ट-इन माइक्रोफोन द्वारा कैप्चर किया जाता है। गेट्स ने कहा, ‘HumBung अभी भी शुरुआती स्टेज में है, लेकिन अगर यह अपना काम कर पाता है तो इससे और ज्यादा ऑटोमैटेड और रेगुलर मॉनिटरिंग हो सकती है।’