दिसंबर 2025 में इस साल भारत एक नया इतिहास रचने के लिए तैयार है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) पहला महिलारूपी ह्यूमनॉइड रोबोट अंतरिक्ष में भेजेगा जो अंतरिक्ष अन्वेषण (space-exploration) में मदद करेगा और मानव दल को भेजने से पहले कई पर्यावरण से जुड़े कई अलग-अलग टेस्ट भी करेगा।

व्योमित्रा (Vyommitra) भारत का पहला ह्यूमनॉइड रोबोट है जिसे ISRO ने मानव अंतरिक्ष मिशनों में मदद के लिए विकसित किया है। इंसानों जैसे हावभाव, स्पीच और इंटेलिजेंस वाला व्योमित्रा, भारत के पहले स्पेसफ्लाइट प्रोग्राम गगनयान का मुख्य हिस्सा है।

व्योमित्रा का मतलब क्या है?

ISRO ने व्योमित्रा को 2020 की शुरुआत में पेश किया था। इसका नाम संस्कृत से लिया गया है- “व्योमा” का अर्थ है अंतरिक्ष और “मित्रा” जो है मित्र यानी ‘अंतरिक्ष में मित्र’। इस पहली महिलारूपी ह्यूमनॉइड रोबोट को अंतरिक्ष यात्रियों के लिए बुद्धिमान, इंसानी की तरह एक साथी (anthropomorphic companion) के रूप में डिजाइन किया गया है जो भारत के मानवयुक्त अंतरिक्ष यान में मेकैनिकल कामों और कम्युनिकेशन से जुड़ी ड्यूटी को संभालेगा।

आपको बता दें कि व्योमित्रा महज एक टेस्ट डमी नहीं है। यह एक सेमी-ह्यूमनॉइड रोबोट है जिसमें एडवांस्ड सेंसर, वॉइस रिकग्निशन सिस्टम और फैसले लेने के लिए एल्गोरिद्म जैसे फीचर्स हैं। इसका मुख्य मिशन अंतरिक्ष यात्रियों के अपनी यात्रा पर निकलने से पहले अंतरिक्ष में ह्यूमन फंक्शन को फॉलो करना और अंतरिक्ष यान के क्रू मॉड्यूल सिस्टम्स को मान्य करना है।

गगनयान मिशन पर व्योमित्रा क्या करेगी?

गगनयान भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों जिन्हें ISRO ‘व्योमानॉट्स’ कहता है। उन्हें पहली बार लो-अर्थ ऑर्बिट में भेजेगा। इसके पहले, ISRO कई बिना क्रू वाले टेस्ट फ्लाइट्स की योजना बना रहा है जिनमें व्योमित्रा भी शामिल रहेगी।

इन मिशन के दौरान व्योमित्रा ये काम करेगी:
-कंट्रोल पैनल संचालित करना और ग्राउंड स्टेशन से बातचीत करना।
-पर्यावरणीय मापदंडों की निगरानी जैसे केबिन का तापमान, आर्द्रता और ऑक्सीजन स्तर।
-स्विच ऑपरेशन्स और सिस्टम चेक्स को परफॉर्म करना
-रियल-टाइम में स्टेटस अपडेट देना।
-एम्बेडेड सेंसर की मदद से मानव जैसी शारीरिक प्रतिक्रियाओं का अनुकरण।

व्योमित्रा की प्राकृतिक इंटरैक्शन क्षमता ग्राउंड टीमों को यह अध्ययन करने में मदद करेगी कि ऑनबोर्ड सिस्टम मानव जैसे यात्रियों की स्थितियों पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं जिससे भविष्य के मानव मिशनों की सुरक्षा और विश्वसनीयता सुनिश्चित हो सके।

व्योमित्रा कैसे करती है काम?

व्योमित्रा को इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह सक्षम और मानव-सदृश दोनों लगे। इसकी कुछ प्रमुख क्षमताएं हैं:

-इंसानी बातचीत और आदेशों को पहचानना व उनका उत्तर देना (अंग्रेज़ी और हिंदी में)।
-मानव इशारों का अनुकरण, जिसमें सिर और अंगों की गति शामिल है।
-विज़न-आधारित तकनीक के माध्यम से विभिन्न कंट्रोल पैनलों की पहचान करना।
-ISRO द्वारा प्रोग्राम किए गए कार्यों का स्वायत्त रूप से निष्पादन, या मिशन कंट्रोल के साथ समन्वय में कार्य करना।

व्योमित्रा का AI मॉड्यूल सीमित फैसले लेने में सक्षम है जिससे यह रूटीन घटनाओं या उड़ान के दौरान पाई गईं असामान्यताओं पर संज्ञानात्मक प्रतिक्रियाओं का अनुकरण कर सकती है। यह स्वायत्तता डीप-स्पेस मिशनों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, जहां कम्युनिकेशन में देरी रियल-टाइम कंट्रोल को प्रभावित कर सकती है।

व्योमित्रा का भविष्य और संभावनाएं
पिछले महीने ISRO के प्रमुख V. Narayanan ने कहा कि व्योमित्रा प्रोजेक्ट एडवांस्ड स्टेज में है। उन्होंने बताया, “इस दिसंबर, हम पहला बिना क्रू वाला मिशन भेजने की योजना बना रहे हैं जिसमें मानव के बजाय आधा-ह्यूमनॉइड व्योमित्रा शामिल होगा। इसके सफल होने के बाद, अगले साल दो और बिना क्रू वाले मिशन पूरे किए जाएंगे।”

भारत अपने अंतरिक्ष यात्रियों को 2027 की पहली तिमाही तक भेजेगा।

व्योमित्रा केवल एक रोबोट नहीं है, यह भारत की स्वदेशी, मानव-अनुकूल अंतरिक्ष तकनीक की छलांग का प्रतीक है। इसके जरिए ISRO रोबोटिक्स, AI और मानव अंतरिक्ष यात्रा को जोड़ रहा है, एक ऐसी जुगलबंदी जो एजेंसी की multi-disciplinary पावर को दिखाता है।

व्योमित्रा की तकनीक का विकास भविष्य में सैटेलाइट्स, प्लैनेटरी रोवर्स या चंद्रमा पर रहने योग्य हैबिटेट में भी किया जा सकता है। एक बार पूरी तरह मान्य होने के बाद, उसके सिस्टम माइक्रोग्रेविटी वातावरण में मुश्किल रखरखाव या शोध कार्यों में अंतरिक्ष यात्रियों की मदद कर सकते हैं।