World’s most expensive and cheapest space mission: एक्सिओम-4 अंतरिक्ष मिशन के मद्देनजर, जिसमें भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला को स्पेसएक्स क्रू ड्रैगन ग्रेस (SpaceX Crew Dragon Grace ) पर सवार होकर अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) तक गए, इसके बाद लोगों की स्पेस एक्सप्लोरेशन में रुचि बढ़ी है। ISS के लिए शुक्ला की इस यात्रा ने भारत को मानव मिशन के स्टेज में वापस ला दिया है। इससे पहले 1984 में रूसी सोयुज टी-11 अंतरिक्ष यान पर कॉस्मोनॉट राकेश शर्मा की उड़ान के बाद के चैप्टर को जारी रखा है।
बता दें कि भारत अपने आने वाले मानव मिशन गगनयान (Gaganyaan) की तैयारियों में लगा हुआ। आज हम आपको बता रहे हैं दुनिया के उन ऐतिहासिक स्पेस मिशन के बारे में जो कीमत के लिहाज से सबसे महंगे और सस्ते रहे। आज हम जानेंगे सबसे महंगे स्पेस मिशन के साथ-साथ उन सबसे सस्ते स्पेस मिशन के बारे में जो लिमिटेड रीसोर्स में सफल हुए।
निसंदेह, दुनिया के सबसे महंगे मिशन NASA ने पूरे किए हैं। वहीं दुनिया के सबसे टाइट बजट वाले मिशन में भारत की स्पेस एजेंसी ISRO द्वारा अंजाम दिए गए मिशन शामिल हैं।
दुनिया के सबसे महंगे स्पेस मिशन
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन: International Space Station (ISS)
प्रोजेक्ट की लागत: 150 बिलयन डॉलर
ISS ना केवल सबसे महंगा स्पेस मिशन है बल्कि मानव द्वारा बनाया गया सबसे महंगा सिंगल ऑब्जेक्ट भी है। इसकी अनुमानित लागत करीब 150 बिलियन डॉलर है। कुछ लोगों का कहना है कि आईएसएस की लागत में 160 बिलियन डॉलर या इससे ज्यादा पैसा खर्च हुआ है और दुनियाभर के देशों ने इसे बनाने में अपना योगदान दिया है। बता दें कि आईएसएम, NASA (USA), Roscosmos (रूस), ESA (यूरोप), JAXA (जापान) और CSA (कनाडा) का ज्वॉइन्ट प्रोजेक्ट है। इस स्पेस स्टेशन को बनाने में करीब 10 साल से ज्यादा का वक्त लगा और आज इसकी सालाना ऑपेरटिंग कॉस्ट पर अच्छी खासी बड़ी रकम खर्च होती है। NASA का कहना है कि 2030 तक यह चालू रहेगा और इसे पृथ्वी के वायुमंडल में लाने के लिए स्पेसएक्स ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट का इस्तेमाल 2031 में स्टेशन को बंद करने की योजना बना रहा है।
स्पेस शटल प्रोग्राम: Space Shuttle Program (NASA, USA)
प्रोजेक्ट की लागत: 113 बिलियन डॉलर
NASA का स्पेस शटल प्रोग्राम जो 1981 से 2011 तक ऑपरेट हुआ, उसकी कुल अनुमानित लागत 113 बिलियन डॉलर थी। स्पेस शटल के साथ आइडिया यह था कि रीयूजेबल स्पेस व्हीकल्स का एक बेड़ा हो जो अंतरिक्ष में माल ले जा सके। पांच शटलों ने आईएसएस के निर्माण और कई अन्य अंतरिक्ष अभियानों को शुरू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 135 मिशनों को पूरा करने के साथ, यह दुनिया के अब तक के सबसे महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष अभियानों में से एक बना हुआ है।
अपोलो प्रोग्राम: Apollo Program (NASA, USA)
प्रोजेक्ट की लागत: 1960 में 25 मिलियन डॉलर
अपोलो स्पेस प्रोग्राम ने मनुष्य को चंद्रमा पर भेजा। ऐसे महत्वाकांक्षी मिशन के लिए, जिसके बारे में किसी इंसान ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था, नासा को 1960 के दशक में कुल $25 बिलियन की लागत सहनी पड़ी थी, जो आज के पैसे में $257 मिलियन के बराबर है। मिशन 1961 से 1972 तक चला, जिनमें से आखिरी सात मिशन खासतौर पर चंद्रमा पर उतरने के लिए समर्पित थे। अपोलो मिशन ने 1969 में Apollo 11 के साथ इंसानी सभ्यता की पहली चंद्रमा लैंडिंग की, जिससे अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग चंद्रमा पर जाने वाले पहले इंसान बने।
अब तक के सबसे सस्ते स्पेस मिशन
मार्स ऑर्बिटर मिशन/ मंगलयान: Mars Orbiter Mission (MOM) / Mangalyaan (ISRO, India)
प्रोजेक्ट की लागत: 74 मिलियन डॉलर (450 करोड़ रुपये)
2013 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRRO) के मंगलयान मिशन को अब तक के सबसे सस्ते अंतरिक्ष मिशन के रूप में जाता है। इसकी लागत लगभग 74 मिलियन डॉलर (लगभग 450 करोड़ रुपये) थी, जिसने इसे अब तक का सबसे सस्ता मंगल मिशन भी बना दिया। मंगलयान ने अपने पहले ही प्रयास में सफलतापूर्वक मंगल की कक्षा में प्रवेश कर लिया, यह उपलब्धि इसरो की मितव्ययी इंजीनियरिंग, स्वदेशी पार्ट्स के निर्माण और कम बजट में कुशल योजना को प्रदर्शित करती है। पूरे अंतरिक्ष मिशन की लागत हॉलीवुड अंतरिक्ष फिल्म “ग्रेविटी” से भी कम थी।
चंद्रयान-3: Chandrayaan-3 (ISRO, India)
प्रोजेक्ट की लागत: 75 मिलियन डॉलर
मंगलयान मिशन के बाद, ISRO ने चंद्रयान-3 के साथ भी ऐसी ही उपलब्धि हासिल की, जो 75 मिलियन डॉलर के खर्च के साथ अब तक का दूसरा सबसे सस्ता अंतरिक्ष मिशन बन गया। अंतरिक्ष यान अगस्त 2023 में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा और इसमें experimental lunar vehicle के रूप में प्रज्ञान रोवर शामिल था। चंद्रयान-3 ने अपने मिशन लक्ष्यों को सफलतापूर्वक पूरा किया और जबकि चंद्र वाहन अब सेवा में नहीं हैं, प्रोपल्सन मॉड्यूल अब साइंस की स्टडीज की सुविधा के लिए पृथ्वी की परिक्रमा करता है।
Lunar Atmosphere and Dust Environment Explorer (LADEE) (NASA, USA)
प्रोजेक्ट की लागत: 280 मिलियन डॉलर
आम धारणा के विपरीत, नासा ने 2013 में एक कॉस्ट-इफेक्टिव मिशन लॉन्च किया था, जिसे LADEE कहा गया था। यह रोबोटिक मिशन चंद्रमा के बाहरी वातावरण और धूल के वातावरण का अध्ययन करने के लिए डिज़ाइन किया गया था। इसे लगभग 280 मिलियन डॉलर के बजट के साथ विकसित और संचालित किया गया था, जो नासा के ग्रह विज्ञान मिशन के लिए अपेक्षाकृत कम है।