क्या स्मार्टफोन में इंस्टॉल फेसबुक ऐप के जरिए हमारी फोन पर की गई बातें सुनी जा रही हैं? एक एक्सपर्ट ने कुछ ऐसी ही आशंका जताई है। दावे के मुताबिक, ऐप शायद लोगों के फोन पर हुई बातचीत को सुनकर यह जानकारी जुटाता है कि वे किस बारे में बातचीत कर रहे हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ साउथ फ्लोरिडा के मास कम्यूनिकेशन की प्रोफेसर केली बर्न्स के इस दावे से पहले, बेल्जियम की पुलिस ने भी अपने नागरिकों को चेतावनी दी थी कि अगर वे अपनी प्राइवेसी चाहते हैं तो वे फेसबुक का रिएक्शंस टूल का इस्तेमाल न करें।
द इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रोफेसर बर्न्स ने कहा कि ऐसा मालूम होता है कि फेसबुक का टूल ऑडियो का इस्तेमाल यूजर्स की मदद करने के लिए नहीं, बल्कि उनकी बातचीत सुनने और उन्हें ज्यादा प्रासंगिक विज्ञापन दिखाने के लिए करता है। उन्होंने बताया कि ऐप के फीचर के टेस्ट करने के लिए उन्होंने फोन के आसपास कुछ विषयों पर चर्चा की। इसके बाद, उन्होंने पाया कि फेसबुक पर बातचीत से संबंधित विज्ञापन नजर आए।
हालांकि, प्रोफेसर बर्न्स ने कहा कि वे पूरी तरह इस बात से आश्वस्त नहीं हैं कि फेसबुक हमारी बातचीत सुन रहा है। हो सकता है कि उन्होंने जिन चीजों के बारे में स्मार्टफोन के करीब चर्चा की, वे उन्हीं के बारे में ऑनलाइन सर्च कर रही हों। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि वेबसाइट अगर ऐसा करता है तो इसमें हैरानी वाली कोई बात नहीं होगी। प्रोफेसर का यह दावा उन ऑनलाइन किस्सों के बेहद करीब है, जिनमें दावा किया गया है कि साइट वही विज्ञापन दिखाने लगता है, जिनके बारे में लोग गाहे बगाहे चर्चा करते हैं।
फेसबुक का कहना है कि वह ऑडियो को सुनती है और यूजर्स की जानकारी जुटाती है, लेकिन इन दोनों चीजों को आपस में मिलाया नहीं जाता। यानी कि जो जिन बातों की चर्चा फोन के आसपास की जाती है, उनके हिसाब से विज्ञापन दिखाने का फैसला नहीं लिया जाता। फेसबुक के एक प्रवक्ता ने द इंडिपेंडेंट से बातचीत में कहा- फेसबुक माइक्रोफोन ऑडियो का इस्तेमाल विज्ञापन या न्यूज फीड के लिए किसी भी हालत में नहीं करता। कंपनी के मुताबिक, कंपनियां प्रासंगिक विज्ञापन लोगों की रूचि और अन्य जनसांख्यिकीय सूचनाओं के आधार पर दिखाते हैं, लेकिन इसके लिए ऑडियो कलेक्शन का कत्तई इस्तेमाल नहीं होता।
बता दें कि फेसबुक ऐप का यह फीचर फिलहाल सिर्फ अमेरिका में है। 2014 में जब इस फीचर को पहली बार पेश किया गया तो कंपनी ने इससे जुड़े विवादों को यह कहते हुए खत्म करने की कोशिश की कि फोन ‘हमेशा नहीं सुनता’ या फिर सुनते वक्त ‘रॉ ऑडियो’ कलेक्ट नहीं करता। फेसबुक का कहना है कि उसके हेल्प पेजों पर बातचीत रिकॉर्ड नहीं की जाती, लेकिन ऑडियो का इस्तेमाल यह जानने के लिए किया जाता है कि फोन के आसपास क्या हो रहा है। साइट का यह फीचर आप क्या सुन रहे हैं या क्या देख रहे हैं, यह जानकर आपको यह सुविधा देता है कि आप आसानी से वो पोस्ट कर सकें, जो घटित हो रहा है।