Pegasus spyware: पेगासस ने भारत में एक नए विवाद को जन्म दे दिया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पेगासस स्पाईवेयर रैंडम स्पाईवेयर नहीं है, जो ऑनलाइन मिलता है। इसे इस्राइल की एक कंपनी ने तैयार किया है, जिसका नाम NSO है। कंपनी के मुताबिक, यह केवल विशेष व्यक्तियों के मोबाइल फोन से डाटा इकट्ठा करने का काम करता है, जो आपराधिक और आतंकी गतिविधि में शामिल होते हैं।

NSO ग्रुप के मुताबिक, वह सिर्फ अधिकृत सरकार के साथ ही काम करती है। पेगासस को सार्वजनिक रूप से मैक्सिको और पनामा सरकारों द्वारा उपयोग कि लिए जाना जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 40 देशों में इसके 60 कस्टमर हैं, जिनमें से 51 प्रतिशत यूजर्स इंटेलीजेंस एजेंसी, 38 कानून प्रवर्तन एजेंसियां और 11 प्रतिशत सेना से संबंधित यूजर्स हैं।

व्हाट्सएप की मिस्ड कॉल से भी इंस्टॉल हो सकता है पेगासस

इंडियाटुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, वैसे तो पेगासस जैसे स्पाईवेयर शुरुआती तौर पर मैसेज और ईमेज के जरिए फोन में अपनी जगह बनाते थे। लेकिन अब यह फोन में सिर्फ व्हाट्सएप की मिस्ड कॉल के माध्यम से ही इंस्टॉल हो सकता है। पेगासस जैसे स्पाइवेयर जीरो क्लिक अटैक करते हैं। यानी अगर आप किसी लिंक या मैसेज आदि पर क्लिक भी नहीं करेंगे तब भी यह फोन में इंस्टॉल हो जाएगा।

एक बार पेगासस फोन में इंस्टॉल हो जाता है तो उसे दूर बैठा व्यक्ति रिमोटली कमांड दे सकता है। साथ ही फोन में मौजूद डाटा को बड़ी ही आसानी से एक्सेस कर सकता है। इसमें वह लॉगइन डिटेल्स समेत पासवर्ड और अन्य डाटा को ट्रांसफर भी कर सकता है। यह स्पाईवेयर SMS रिकॉर्ड कर सकता है, कॉन्टैक्ट डिटेल ले सकता है, कॉल हिस्ट्री ले सकता है, ईमेल और ब्राउजिंग हिस्ट्री को उठा सकता है।

पेगासस को इस्तेमाल करने पर आता है कितना खर्चा

पेगासस स्पाइवेयर बतौर लाइसेंस पर बेचा जाता है और कॉन्ट्रैक्ट पर ही इसकी कीमत निर्भर करती हैं। बताते चलें कि एक कॉन्ट्रैक्ट की कीमत करीब 70 लाख रुपये तक हो सकती है। एक कॉन्ट्रैक्ट के तहत कई फोन को ट्रैक किया जा सकता है।

कौन-कौन से स्मार्टफोन को बना सकता है निशाना

पेगासस स्पाइवेयर गूगल के एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम समेत विंडोज, ब्लैकबेरी फोन, एप्पल के आईओएस फोन और सिंबियन ओएस पर काम करने वाले फोन को अपना टागरेट बना सकता है। बता देते हैं कि सिंबियन ओएस फीचर फोन में भी इस्तेमाल किया जाता है।