Online Gaming Bill: भारत सरकार विवादित और लुभाने वाली रियल-मनी ऑनलाइन गेमिंग की दुनिया पर लगाम कसने की तैयारी में है। इसके लिए एक नया विधेयक लाया जा रहा है जिसके तहत गेमिंग प्लेटफॉर्म्स और उनके सेलिब्रिटी प्रमोटर्स पर बड़े पैमाने पर प्रतिबंध और भारी जुर्माना लगाया जा सकता है। आज (20 अगस्त 2025) लोकसभा में ऑनलाइन गेमिंग बिल को पेश कर दिया गया है।
इस बिल को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं और सामाजिक नुकसान के जवाब के रूप में पेश किया जा रहा है। प्रस्तावित कानून की बात करें तो इसमें ऑनलाइन मनी गेम्स पर पूर्ण प्रतिबंध, मल्टी-क्रोर जुर्माने और संभावित जेल की सजा जैसे प्रावधान मुख्य तौर पर शामिल हैं। अधिकारी गेमिंग इंडस्ट्री को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे हैं, जिस पर लगातार मनी लॉन्ड्रिंग, लत (addiction) और कानून से बचने जैसे आरोप लगते रहे हैं। उम्मीद है कि यह सेक्टर 2029 तक 9 अरब डॉलर का बाजार बनने की ओर बढ़ रहा है।
ऑनलाइन गेमिंग के प्रोत्साहन और विनियमन विधेयक, 2025 (The Promotion and Regulation of Online Gaming Bill, 2025), जिसे मंगलवार देर रात संसद सदस्यों के साथ साझा किया गया और आज संसद में पेश किया गया। इस विधेयक को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है।
ऑनलाइन गेमिंग बिल में क्या-क्या शामिल है?
इन चिंताओं में मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध फंड ट्रांसफर के लिए डिजिटल वॉलेट्स और क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल, इन प्लेटफॉर्म्स का आतंकी संगठनों द्वारा मैसेज और कम्युनिकेशन के साधन के रूप में इस्तेमाल होने की आशंका और विदेशी (ऑफशोर) संस्थाओं द्वारा भारतीय कर और कानूनी दायित्वों से बच निकलना शामिल है।
इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए यह बिल तैयार किया गया है ताकि ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म्स को नियंत्रित किया जा सके और संभावित खतरों को रोका जा सके।
हालांकि इस विधेयक का मसौदा आईटी मंत्रालय ने तैयार किया है। लेकिन माना जा रहा है कि इस बिल से जुड़े सुझाव देने में गृह मंत्रालय ने अहम भूमिका निभाई है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने यह भी कहा कि सरकार ने एक संतुलित और सोच-समझकर फैसला किया है कि इस सेक्टर से होने वाली जीएसटी वसूली में नुकसान उठाना पड़े तो भी सही क्योंकि यह रेगुलेशन जनहित में जरूरी है।
आपको बता दें कि यह विधेयक का वर्तमान स्वरूप करीब दो साल पहले लिए गए रुख से बिल्कुल अलग है। अप्रैल 2023 में IT मंत्रालय ने ऑनलाइन गेमिंग के लिए नए नियम पेश किया था। ज्यादातर लोगों का मानना था कि ये नियम प्रो-इंडस्ट्री (pro-industry) यानी गेमिंग उद्योग के सपोर्ट में थे। हालांकि, उन नियमों को लागू करना मुश्किल साबित हुआ क्योंकि उनमें कई संभावित टकराव (conflict of issues) थे। नियमों के तहत एक स्वनियामक ढांचा (self-regulatory structure) बनाने के बारे में सोचा गया था, जिसे खुद इंडस्ट्री प्रभावित कर सकती थी। नतीजतन, ये नियम अधर में ही अटके रहे। जबकि इस बीच ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म्स से जुड़े राष्ट्रीय सुरक्षा और सामाजिक-आर्थिक खतरे और भी ज़्यादा चर्चा में आने लगे।
ऑनलाइन गेमिंग बिल: दांव पर क्या-क्या है?
अगर ऑनलाइन गेमिंग बिल को इसके मौजूदा स्वरूप में लागू किया जाता है तो ऑनलाइन रियल मनी गेमिंग इंडस्ट्री के लिए यह तबाही होगी, जिसके 2029 तक 9 बिलियिन डॉलर की इंडस्ट्री होने का अनुमान लगाया गया है। इस इंडस्ट्री पर 28 प्रतिशत Goods and Services Tax (GST) लगता है जिसे बढ़ाकर 40 प्रतिशत तक करने का प्रस्ताव दे दिया गया है। भारत में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग एक उभरता हुआ सेक्टर माना जा रहा है, जिसका कुल एंटरप्राइज वैल्यूएशन 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक आंका गया है।
आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि जीएसटी राजस्व में बड़ा उछाल देखा गया जब जीएसटी काउंसिल ने जुलाई 2023 में ऑनलाइन गेमिंग, घुड़दौड़ और कसीनो पर 1 अक्टूबर 2023 से समान 28% टैक्स लगाने का फैसला लिया। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले साल सितंबर में कहा था कि ऑनलाइन गेमिंग से होने वाला राजस्व 412% बढ़ गया और सिर्फ छह महीनों में 6,909 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जबकि नोटिफिकेशन से पहले यह आंकड़ा 1,349 करोड़ रुपये था।
ऑनलाइन गेमिंग में बंपर FDI
इंडस्ट्री के मुताबिक, यह प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष (Direct and indirect) टैक्स के तौर पर 20,000 करोड़ से ज्यादा की रकम चुकाई। इस सेक्टर में जून 2022 तक 25,000 करोड़ से ज्यादा का विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (foreign direct investment) हुआ और अभी इस इंडस्ट्री में 2 लाख से ज्यादा डायरेक्ट और इनडायरेक्ट जॉब्स हैं।
मार्च 2025 में FICCI और EY की रिपोर्ट के मुताबिक, ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां भारत में कुल-मिलाकर 2.7 बिलियन डॉलर के करीब रेवेन्यू अर्जित किया। आम तौर पर ये कंपनियां, यूजर की जीत में से हिस्सा काटकर कमाई करती हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2024 में 15.5 करोड़ से ज्यादा भारतीयों ने रियल मनी गेमिंग के सब-सेगमेंट्स जैसे फैंटेसी स्पोर्ट्स, रमी, पोकर और अन्य ट्रांजैक्शन-बेस्ड गेम्स में हिस्सा लिया। यह संख्या 2023 की तुलना में 10% ज्यादा है। औसतन, लगभग 11 करोड़ लोग हर दिन इन खेलों को खेले।
मंगलवार देर रात गृह मंत्रालय को लिखे एक पत्र में, तीन प्रमुख गेमिंग इंडस्ट्री एसोसिएशंस – ई-गेमिंग फेडरेशन (EGF), ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन (AIGF) और फेडरेशन ऑफ इंडियन फैंटेसी स्पोर्ट्स (FIFS) ने कहा कि पूर्ण प्रतिबंध “इस वैध, रोजगार पैदा करने वाले उद्योग के लिए मौत की घंटी होगी, और भारतीय यूजर्स वर नागरिकों को गंभीर नुकसान पहुंचाएगा”।
कांग्रेस एमपी कार्ति चिदम्बरम ने कहा कि इंडस्ट्री की सलाह के बिना बिल पेश किया गया है और इससे विदेशो में वित्तीय लेनदेन को बढ़ावा देने और यूजर्स को डार्क वेब की ओर धकेलने का जोखिम भी है। उन्होंने इस विधेयको को सेलेक्ट कमेटी को सौंपने को भी कहा है।
ऑनलाइन गेमिंग बिल में क्या-कुछ है खास?
ड्राफ्ट कानून के मौजूदा संस्करण के अनुसार, सरकार भारत में किसी भी शख्स को ऑनलाइन गेम्स ऑफर करने से प्रतिबंधित करेगी। इसका उल्लंघन करने पर संबंधित व्यक्ति को तीन साल तक की कैद और 1 करोड़ रुपये का जुर्माना हो सकता है।
इसी तरह, इन प्लेटफॉर्म्स को प्रमोट करने वाले सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर्स और सेलिब्रिटीज को भी दो साल तक की जेल और 50 लाख रुपये का जुर्माना भुगतना पड़ सकता है।
इसके अलावा, सरकार बैंकों और वित्तीय संस्थानों को भी इन प्लेटफॉर्म्स पर किसी भी प्रकार के वित्तीय लेन-देन की सुविधा देने से रोक देगी।
यह नया कानून सभी ऑनलाइन मनी गेमिंग प्लेटफॉर्म्स पर लागू होता है, चाहें वह किसी तरह का स्किल या चांस गेम हो,एक ऐसा अंतर जिसकी उद्योग ने पहले कड़ी पैरवी की थी।
‘ऑनलाइन मनी गेम’ की परिभाषा
एक “ऑनलाइन मनी गेम” को एक ऐसी सर्विस के रूप में परिभाषित किया गया है जो यूजर द्वारा जीतने की उम्मीद में शुल्क का भुगतान करके, पैसे जमा करके या अन्य दांव लगाकर खेली जाती है जिसमें पैसे या अन्य दांव के बदले में मौद्रिक और मूल्यवृद्धि जैसी चीजें शामिल होती हैं; लेकिन इसमें कोई ई-स्पोर्ट्स शामिल नहीं होगा। यह एक विस्तृत परिभाषा है, और इसमें Dream11, Winzo, MPL आदि जैसे सभी प्रमुख गेमिंग प्लेटफॉर्म शामिल होने की संभावना है।
हालांकि, सरकार देश में ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री के अहम हिस्से के तौर पर कम्पेटिटिव ई-स्पोर्ट्स और गेम डेवलपमेंट को देख रही है और प्रस्तावित कानून के जरिए इन्हें बढ़ावा देने के पक्ष में है। इसी क्रम में सरकार ई-स्पोर्ट्स को देश में एक वैध प्रतिस्पर्धी खेल (competitive sport) के रूप में मान्यता देना चाहती है। इसके अलावा सरकार गेम डेवलपमेंट और डिस्ट्रीब्यूशन को प्रोत्साहन देने के लिए प्लेटफॉर्म्स या कार्यक्रमों को बनाने भी मदद करेगी।
प्रस्तावित बिल में एक केंद्रीय प्राधिकरण (Central Authority) के गठन का प्रावधान किया गया है, जिसका मकसद कम्पेटिटिव ई-स्पोर्ट्स को बढ़ावा देना और साथ ही कानून के तहत पूरी तरह से अनुपालन सुनिश्चित करना होगा। केंद्र सरकार इस प्राधिकरण के जरिए “ऑनलाइन सोशल गेम्स” को मान्यता, श्रेणीबद्ध (categorise) और पंजीकृत (register) करेगी। इन खेलों को मनोरंजन और शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए विकसित करने और उपलब्ध कराने की सुविधा दी जाएगी।
इन खेलों में खिलाड़ियों से सब्सक्रिप्शन फीस या एक्सेस फीस के रूप में भुगतान लेने का विकल्प हो सकता है, बशर्ते यह शर्त (stake) या सट्टे (wager) के रूप में न हो।
ऑनलाइन गेमिंग बिल: बिना वारंट तलाशी
सरकार ने हाल ही में पेश किए गए इनकम टैक्स बिल में डिजिटल सर्च और सीजर (Digital Search & Seizure) को लेकर जिस तरह का प्रावधान किया है, उसी तर्ज पर ऑनलाइन गेमिंग बिल में भी ऐसा प्रावधान शामिल किया गया है। इस बिल के तहत अधिकृत अधिकारी को यह अधिकार होगा कि वे भौतिक स्थानों (physical premises) और वर्चुअल प्लेटफॉर्म्स (virtual places) पर भी बिना वारंट के तलाशी कर सकें।
बिल में साफ तौर पर कहा गया है कि, “…कोई भी (अधिकृत) अधिकारी…किसी भी स्थान पर, चाहे वह भौतिक (physical) हो या डिजिटल (digital), प्रवेश कर सकता है और बिना वारंट के तलाशी ले सकता है तथा वहां मौजूद उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है जिस पर इस अधिनियम के तहत अपराध करने, अपराध कर रहे होने या अपराध करने वाले होने का यथोचित संदेह हो।”
बिल के ड्राफ्ट में साफ़ कहा गया है कि, “Any place” (किसी भी स्थान) का मतलब केवल घर या दफ्तर नहीं है, बल्कि इसमें ये सभी शामिल हैं- कोई भी परिसर / भवन (premises, building), वाहन (vehicle), कंप्यूटर संसाधन (computer resource), वर्चुअल डिजिटल स्पेस (virtual digital space), इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स (electronic records), इलेक्ट्रॉनिक स्टोरेज डिवाइस (electronic storage devices)।
अधिकृत अधिकारी को इन सभी तक पहुंचने का अधिकार होगा, और जरूरत पड़ने पर वह किसी भी सुरक्षा कोड या एक्सेस कंट्रोल को बायपास (override) करके इन्हें एक्सेस कर सकता है।
बिल में कहा गया है कि ऑनलाइन मनी गेमिंग सेवाओं का बेतहाशा विस्तार कई गैरकानूनी गतिविधियों से जुड़ा हुआ है। इनमें वित्तीय धोखाधड़ी (Financial Fraud, मनी लॉन्ड्रिंग, टैक्स चोरी (Tax Evasion) और कुछ मामलों में आतंकवाद को वित्तीय मदद (Financing of Terrorism) शामिल हैं। बिल के अनुसार, यह स्थिति राष्ट्रीय सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था और राज्य की अखंडता के लिए गंभीर खतरा पैदा करती है।