आज नए साल की पूर्व संध्या (New Year Eve) पर दिल्ली और आसपास के इलाकों में क्विक कॉमर्स और फूड डिलीवरी सर्विसेज में रुकावट की उम्मीद है। डिलीवरी वर्कर्स यूनियनों ने वेतन पारदर्शिता (pay transparency) की कमी, वर्कर आईडी ब्लॉक किए जाने और 10-मिनट डिलीवरी मॉडल के बढ़ते इस्तेमाल व इस मॉडल पर प्रतिबंध की मांग को लेकर हड़ताल बुलाई है।
गौर करने वाली बात है कि इससे पहले यह हड़ताल 25 दिसंबर (Christmas) को हुई थी। और अब आज एक बार फिर हड़ताल के बाद हो रही है। क्रिसमस के दिन हुई हड़ताल पर बड़े स्तर पर भागीदारी नहीं हुई थी लेकिन गुरुग्राम, नोएडा और गाज़ियाबाद में दोपहर और शाम के दौरान स्विगी और ज़ोमैटो की डिलीवरी सेवाओं पर असर जरूर हुआ था।
इन दोनों हड़तालों का आह्वान तेलंगाना की Telangana Gig and Platform Workers Union (TGPWU) और कर्नाटक स्थित Indian Federation of App-based Transport (IFAT) वर्कर्स यूनियन ने किया है। इन्हें दिल्ली आधारित Gig Workers Association (GiGWA) का भी समर्थन मिला है।
डेढ़ लाख गिग वर्कर्स के शामिल होने की उम्मीद
टीजीपीडब्ल्यूयू (TGPWU) के अध्यक्ष शेख़ सलाउद्दीन ने कहा कि क्रिसमस के दिन करीब 50,000 कर्मचारियों ने हड़ताल में हिस्सा लिया था। जबकि आज, बुधवार को होने वाली हड़ताल में लगभग 1.5 लाख कामगारों के शामिल होने की उम्मीद है।
सरकारी अनुमानों के मुताबिक, 2024–25 में देश में गिग वर्कर्स की संख्या 1 करोड़ के पार पहुच चुकी है। Zepto, Swiggy, Zoamto, Amazon और Uber के प्रवक्ताओं ने इस मामले पर टिप्पणी के अनुरोधों का कोई जवाब नहीं दिया।
जनसत्ता के सहयोगी The Indian Express ने कुछ डिलीवरी पार्टनर्स से बात की और 10 मिनट डिलीवरी में होने वाले खतरे व वेतन पारदर्शिता की कमी पर बात की। ईस्ट ऑफ कैलाश में एक ब्लिंकिट वेयरहाउस में डिलीवरी पार्टनर ने कहा, ‘अगर हम डिलीवरी के लिए एक सेकंड भी देर हो जाते हैं तो हमारे पूरे दिन का इंसेंटिव काट लिया जाता है। हम रेड लाइट जंप करते हैं और कम विज़िबिलिटी में भी ड्राइव करते हैं।’
‘खून चूस रही हैं कंपनी’
गुड़गांव सेक्टर 52 में Swiggy ऑर्डर डिलीवर करने के बाद एक पार्टनर ने कहा, ‘खून चूस रही हैं कंपनी अब तो।’
एक अन्य डिलीवरी पार्टनर आकाश ने कहा, “हम रोज़ कम से कम 13–15 घंटे काम करते हैं। पिछले कुछ महीनों में न्यूनतम काम के घंटे 10 से बढ़ाकर 13 कर दिए गए हैं। अगर हम 13 घंटे से कम काम करते हैं या रात 11:30 बजे से पहले काम बंद कर देते हैं तो हमारी रोज़ के इंसेंटिव में कटौती कर दी जाती है।”
GiGWA के संगठन सचिव नितेश कुमार दास ने कहा, “फिलहाल कामगारों को उनके काम के घंटों के आधार पर नहीं बल्कि पूरे किए गए टास्क के आधार पर भुगतान किया जाता है। लेकिन इस व्यवस्था में इंतज़ार का समय, कम मांग, खराब मौसम और ट्रैफिक में होने वाली देरी को शामिल नहीं किया जाता। प्लेटफ़ॉर्म जब चाहें तब पे स्ट्रक्चर बदल देते हैं जिससे कामगारों को यह अंदाज़ा ही नहीं होता कि उनकी कमाई कितनी होगी।”
गुरुग्राम के आर्डी मॉल के बाहर मौजूद एक डिलीवरी एजेंट ने कहा, “पहले हमें प्रति ऑर्डर 20–25 रुपये मिलते थे और पिकअप व डिलीवरी 2 किलोमीटर के दायरे तक सीमित रहती थी। अब दूरी 5 किलोमीटर तक हो गई है। वीकेंड पर 34 डिलीवरी पूरी करने पर 450 रुपये का इंसेंटिव मिलता है जबकि पहले 25 डिलीवरी पर यही इंसेंटिव मिल जाता था।”
नेशनल रेस्टोरेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के वाइस-प्रेसिडेंट प्रणव रुंगटा ने कहा कि वे Zomato और Swiggy कॉन्टैक्ट में हैं। उन्होंने आगे कहा, “हम उनसे हड़ताल की स्थिति को लेकर औपचारिक सूचना का इंतज़ार कर रहे हैं। 25 दिसंबर को एनसीआर खासकर गुरुग्राम में कारोबार प्रभावित हुआ था। राइडर्स समझदार हैं, उन्हें पता है कि इन तारीखों पर असर सबसे ज़्यादा पड़ेगा।”
रेस्टोरेंट्स की मुख्य चिंता कारोबार पर असर के साथ-साथ खाने की बर्बादी को लेकर भी है और इसका प्रभाव ग्राहकों पर भी पड़ता है। इस बीच, गुरुग्राम के कामगारों ने कहा कि लगभग 30% डिलीवरी पार्टनर हड़ताल में शामिल होंगे।
टीजीपीडब्ल्यूयू अध्यक्ष शेख सलाउद्दीन ने कहा, “10-मिनट डिलीवरी मॉडल के दबाव के कारण कई कामगारों की जान जा चुकी है। उनकी मौत की ज़िम्मेदारी कौन लेगा?”
काम बंद करने के ‘जोखिम’
कई ऐसे डिलीवरी वर्कर्स भी हैं जो हड़ताल में शामिल होने का जोखिम नहीं उठा सकते। एक स्विगी डिलीवरी पार्टनर ने कहा, “हड़ताल से ज़्यादा फर्क नहीं पड़ता। मैंने 25 दिसंबर की हड़ताल में हिस्सा नहीं लिया क्योंकि वेतन कटने और मेरी आईडी बंद हो जाने का जोखिम मैं नहीं उठा सकता।”
एक डिलीवरी पार्टनर दिन में 14-15 घंटे काम करके करीब 700-800 रुपये कमाता है। ब्लिंकिट के एक डिलीवरी पार्टनर ने बताया,“हमें पेट्रोल, खाना और अपने वाहन व घर का किराया देना पड़ता है। इसके बाद हाथ में मुश्किल से 300-400 रुपये बचते हैं जो परिवार चलाने के लिए काफ़ी नहीं हैं।”
यह भी देखा गया है कि जब किसी एक स्टोर के डिलीवरी एजेंट हड़ताल पर होते हैं तो ग्राहकों को दूसरे स्टोर से ऑर्डर मिल जाता है। बुधवार की हड़ताल को लेकर ज़ोमैटो ने अपने राइडर्स को भेजे गए एक इंटरनल मैसेज में कहा कि किसी भी पार्टनर को डिलीवरी करने से नहीं रोका जाएगा। ज़ोमैटो ने स्थानीय प्रशासन के साथ भी जरूरी इंतजाम किए हैं।
‘खड़क सिंह दा ढाबा’ के ग्रोथ एंड इन्वेस्टमेंट हेड अक्षित बहल ने कहा कि न्यू ईयर ईव पर कमाई किसी भी अन्य छुट्टी के मुकाबले 3–4 गुना तक बढ़ जाती है और इस दिन डिलीवरी ऑर्डर्स की संख्या भी सबसे ज़्यादा होती है।
25 दिसंबर के अनुभव से सबक लेते हुए कई ग्राहकों ने मंगलवार को ही बल्क ऑर्डर दे दिए। बहल ने कहा, “हमने अपने ग्राहकों को व्हाट्सऐप पर मैसेज भेजकर बताया है कि डिलीवरी ऐप्स पर असर पड़ सकता है और हम बल्क ऑर्डर खुद डिलीवर करेंगे। हालांकि, बल्क ऑर्डर भी हड़ताल की स्थिति में होने वाले नुकसान की भरपाई पूरी तरह नहीं कर सकते।”
