Muthulakshmi Reddi Google Doodle (मुथुलक्ष्मी रेड्डी): गूगल ने आज एक खास डूडल बनाया है। आज का यह खास डूडल भारत की पहली महिला विधायक डा. मुथुलक्ष्मी रेड्डी पर बनाया गया है। आज उनका 133वां जन्मदिन है। डा. रेड्डी ऐसी पहली छात्रा थी जिन्होंने महाराजा कॉलेज और मद्रास मेडिकल कॉलेज जैसे प्रतिष्ठित भारतीय संस्थानों में दाखिला लिया। इतना ही नहीं रेड्डी सरकारी अस्पताल में सर्जन के रूप में काम करने वाली पहली महिला थीं। सोमवार 29 जुलाई को तमिलनाडु सरकार ने घोषणा की कि हर साल 30 जुलाई को राज्य में ‘अस्पताल दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा। 30 जुलाई 1883 को साउथ स्टेट तमिलनाडु में जन्मीं रेड्डी ने खुद को सार्वजनिक स्वास्थ्य और लैंगिक असमानता के खिलाफ लड़ाई के लिए समर्पित किया, अनगिनत लोगों – विशेष रूप से युवा लड़कियों के जीवन को बदल दिया।
Muthulakshmi Reddi Google Doodle: सरकारी अस्पताल में थीं सर्जन, महात्मा गांधी के स्वतंत्रता संग्राम में भी दिया था योगदान
Muthulakshmi Reddi Google Doodle (मुथुलक्ष्मी रेड्डी): 29 जुलाई को तमिलनाडु सरकार ने घोषणा की कि हर साल 30 जुलाई को राज्य में 'अस्पताल दिवस' के रूप में मनाया जाएगा।
Written by जनसत्ता ऑनलाइन
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First published on: 30-07-2019 at 09:33 IST 
वह महिला भारतीय संघ की संस्थापक भी थीं, जिसकी उन्होंने 1918 में सह-स्थापना की थी। वह भारतीय स्वतंत्रता के लिए महात्मा गांधी के प्रयासों की भी समर्थक थीं।
मुथुलक्ष्मी के पिता एस नारायण स्वामी चेन्नई के महाराजा कॉलेज के प्रिंसिपल थे। मुथुलक्ष्मी की मां चंद्रामाई ने समाज के तानों के बावजूद उन्हें पढ़ने के लिए भेजा। जिस समय भारत पर अंग्रेज़ों का राज था उस समय वह सरकारी अस्पताल में सर्जन के तौर पर काम करने वाली पहली महिला बनीं थी।
मुथुलक्ष्मी को साल 1927 में मद्रास लेजिस्लेटिव काउंसिल से देश की पहली महिला विधायक बनने का गौरव भी हासिल हुआ। उन्हें समाज के लिए किए गए अपने कामों के लिए काउंसिल में जगह दी गई थी।
उनका जन्म 1886 में हुआ था। जब उनकी शादी की बात शुरू हुई तो उन्होंने जल्दी शादी को ठुकराते हुए मेडिकल स्कूल में पढ़ाई करना ज्यादा बेहतर समझा। ग्रेजुएशन के बाद मुथुलक्ष्मी ने मद्रास मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया, जहां उनकी दोस्ती एनी बेसेंट और सरोजिनी नायडू से हुई।
उस समय बाल विवाह प्रचलित था। मुथुलक्ष्मी ने इसके खिलाफ आवाज उठाई और मद्रास विधानसभा में काम करते हुए शादी के लिए तय उम्र को बढ़ाने की मांग की।
साल 1968 में 81 वर्ष की आयु में डॉक्टर मुथुलक्ष्मी रेड्डी का निधन हो गया था। तमिलनाडु सरकार ने सोमवार को घोषणा की थी कि वह हर साल 30 जुलाई को 'हॉस्पिटल डे' के तौर पर मनाएगी।
1918 में वूम इंडियन एसोसिएशन की को फाउंडर भी रहीं, और मद्रास विधान परिषद की पहली महिला सदस्य (और उपाध्यक्ष) के रूप में - उन्हें भारत की पहली महिला विधायक चुना गया।
उन्होंने नमक सत्याग्रह का समर्थन करने के लिए काउंसिल से इस्तीफा दे दिया। जब तीन युवा देवदासी लड़कियों ने 1930 में उनके दरवाजे पर दस्तक दी, तो उन्होंने उन जैसी लड़कियों को आश्रय देने और शिक्षित करने के लिए अवीवीएआई होम की स्थापना की।
कैंसर अस्पताल अभी भी दुनिया के सबसे सम्मानित कैंसर हॉस्पिटल्स में से एक है। यहां पर हर वर्ष 80,000 से ज्यादा कैंसर से पीड़ित लोगों का इलाज किया जाता है।
डॉ. रेड्डी की बहन की मृत्यू कैंसर से हुई थी जिसके बाद से0 वो गहरे सदमे में थी। उन्होंने लोगों के लिए वर्ष 1954 में चेन्नई में अद्यार कैंसर इंस्टिट्यूट की शुरुआत की।
मुथुलक्ष्मी रेड्डी (Muthulakshmi Reddi) भारत की पहली विधायक (India's First Woman Legislator) होने के साथ-साथ शिक्षक, सर्जन और समाज सुधारक थीं।
अपने महान योगदान के चलते मुथुलक्ष्मी को 1956 में पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 22 जुलाई 1968 को चेन्नई में उनका निधन हो गया था।
मुथुलक्ष्मी रेड्डी सामाजिक असमानता, लिंग आधारित असमानता और आम जनता को पर्याप्त स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने की दिशा में अपने प्रयासों के लिए भी जानी जाती हैं। मुथुलक्ष्मी तमिलनाडु के सरकारी अस्पताल में सर्जन के रूप में काम करने वाली पहली महिला भी थीं।
अपने जीवनकाल में मुथुलक्ष्मी ने कम उम्र में लड़कियों की शादी रोकने के लिए नियम बनाए और अनैतिक तस्करी नियंत्रण अधिनियम को पास करने के लिए परिषद से आग्रह किया।
उनका जन्म 1886 में हुआ था। जब उनकी शादी की बात शुरू हुई तो उन्होंने जल्दी शादी को ठुकराते हुए मेडिकल स्कूल में पढ़ाई करना ज्यादा बेहतर समझा। ग्रेजुएशन के बाद मुथुलक्ष्मी ने मद्रास मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया, जहां उनकी दोस्ती एनी बेसेंट और सरोजिनी नायडू से हुई।