Meena Kumari Google Doodle, मीना कुमारी: बॉलीवुड एक्ट्रेस मीना कुमारी की आज 85वीं जयंती है। गूगल ने मीना कुमारी को डूडल बनाकर याद किया है। मीना कुमारी का असली नाम महजबीन बेगम था। बॉलीवुड में महजबीन बेगम को मीना कुमारी नाम मिला। मीना कुमारी की असल जिंदगी में काफी संघर्ष रहा। इसलिए उन पर “ट्रेजडी क्वीन” का टैग बिलकुल ठीक लगता है। साल 1962 में रिलीज हुई उनकी फिल्म ‘साहिब बीवी और गुलाम’ में निभाए ‘छोटी बहू’ के किरदार की ही तरह मीना कुमारी ने असली जीवन में भी काफी ज्यादा शराब पीना शुरू कर दिया था।
ज्यादा शराब पीने की वजह से उनकी सेहल काफी खराब रहने लगी थी। मीना कुमारी को फिल्मों में रोते हुए देखकर उनके चाहने वालों की आंखों में भी आंसू निकल आते थे। शायद यही कारण था कि मीना कुमारी को हिन्दी सिनेमा जगत की ‘ट्रेजडी क्वीन’ के नाम से पहचाना जाने लगा। 31 मार्च 1972 को लीवर सिरोसिस के कारण उनकी मौत हो गई।
1952 में रिलीज हुई फिल्म 'बैजू बावरा' से मीना कुमारी को हिरोइन के रूप में पहचान मिली। इसके बाद 1953 में 'परिणीता', 1955 में 'आजाद', 1956 में 'एक ही रास्ता', 1957 में 'मिस मैरी', 1957 में 'शारदा', 1960 में 'कोहिनूर' और 1960 में 'दिल अपना और प्रीत पराई' से पहचान मिली।
मीना कुमारी की पहली फिल्म 'फरजंद-ए-वतन' नाम से 1939 में रिलीज हुई। बड़ी होने के बाद उनकी पहली फिल्म जिसमें उन्होंने मीना कुमारी के नाम से एक्टिंग की वो थी 1949 में रिलीज हुए फिल्म 'वीर घटोत्कच' थी।
मीना कुमारी ने छोटी उम्र में अपने पिता से कहा, 'मैं फिल्मों में काम नहीं करना चाहती, मैं स्कूल जाना चाहती हूं और दूसरे बच्चों की तरह ही सीखना चाहती हूं,' लेकिन उन्हें 7 साल की उम्र में ही फिल्मों में काम करना पड़ा और उसी दौरान वो महजबीन से बेबी मीना बन गईं।
मीना कुमारी के पिता अली बक्श ने 'ईद का चांद' जैसी कुछ छोटे बजट की फिल्मों में एक्टिंग की और 'शाही लुटेरे' जैसी फिल्मों में संगीत भी दिया। कहा जाता है कि मीना कुमारी स्कूल जाना चाहती थी, लेकिन उनके पिता ने उन्हें बचपन से ही फिल्मी दुनिया में धकेल दिया।
मीना कुमारी के पिता एक पारसी थिएटर में हार्मोनियम बजाते थे, म्यूजिक सिखाते थे और उर्दू शायरी भी लिखा करते थे। मीना कुमारी की मां उनके पिता की दूसरी बीवी थीं और वे स्टेज डांसर थीं।
माता-पिता ने निर्णय किया की नन्हीं बच्ची को किसी मुस्लिम अनाथालय के बाहर छोड़ दिया जाए, उन्होंने ऐसा किया भी, लेकिन बाद में मन नहीं माना तो मासूम बच्ची को कुछ ही घंटे बाद फिर से उठा लिया।
मीना कुमारी अपने माता-पिता इकबाल बेगम और अली बक्श की तीसरी बेटी थीं। इरशाद और मधु नाम की उनकी दो बड़ी बहनें भी थीं। कहा जाता है कि जब मीना कुमारी का जन्म हुआ उस समय उनके पिता के पास डॉक्टर की फीस चुकाने के लिए भी पैसे नहीं थे।