ISRO के LVM3-M6 को BlueBird Block-2 मिशन के नाम से भी जाना जाता है। LVM3 रॉकेट के जरिए किया जाने वाला एक कमर्शियल प्रक्षेपण है। इसका मकसद अमेरिका के AST SpaceMobile के BlueBird Block-2 कम्युनिकेशन सैटेलाइट को कक्षा में स्थापित करना है। यह मिशन LVM3 लॉन्च वाहन की छठी ऑपरेशनल फ्लाइट है जो कमर्शियल स्पेस लॉन्च में भारत की बढ़ती भूमिका को और ज्यादा रेखांकित करता है।
इस मिशन को कल यानी 24 दिसंबर को सुबह 8 बजकर 54 मिनट पर लॉन्च किया जाएगा। यह प्रक्षेपण श्रीहरिकोटा में सतीश धवन स्पेस सेंटर से होगा। इस ऐतिहासिक लॉन्च की लाइवस्ट्रीमिंग आप ऑनलाइन यहां देख सकते हैं…
BlueBird Block-2 Mission क्यों है खास?
LVM3 इसरो का हैवी-लिफ्ट लॉन्च सिस्टम है और इसमें थ्री-स्टेज कॉन्फिगरेशन है। यह रॉकेट दो सॉलिड स्ट्रैप-ऑन बूस्टर (S200), एक लिक्विड-ईंधन वाला कोर स्टेज (L110) और एक क्रायोजेनिक अपर स्टेज (C25) का इस्तेमाल करता है। लगभग 640 टन के प्रक्षेपण भार और 43.5 मीटर ऊंचाई के साथ यह रॉकेट जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में अधिकतम 4,200 किलोग्राम तक का पेलोड ले जाने में सक्षम है।
पिछले मिशनों में LVM3 चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 जैसे प्रमुख पेलोड्स को सफलतापूर्वक ले गया है। इसके साथ ही दो OneWeb मिशनों के जरिए कुल 72 उपग्रहों की तैनाती भी की गई है। इसकी सबसे हालिया उड़ान LVM3-M5 / CMS-03 मिशन थी जिसे 2 नवंबर 2025 को सफलतापूर्वक पूरा किया गया।
BlueBird Block-2 Mission को कहां किया जाएगा तैनात?
LVM3-M6 मिशन के तहत यह रॉकेट BlueBird Block-2 सैटेलाइट को लो अर्थ ऑर्बिट (LEO) में स्थापित करेगा। LEO अंतरिक्ष का वह स्पेस है जहां उपग्रह पृथ्वी की सतह के सबसे नजदीक परिक्रमा करते है जो लगभग 160 किलोमीटर से 1,600 किलोमीटर की ऊंचाई तक फैला होता है।
यह स्पेसक्राफ्ट अब तक LEO में भेजा गया सबसे बड़ा कमर्शियल कम्युनिकेशन सैटेलाइट है। और साथ ही भारतीय धरती से LVM3 द्वारा लॉन्च किया गया सबसे भारी पेलोड भी है। BlueBird Block-2 उन सैटेलाइट्स की एक नई जेनरेशन का हिस्सा है जिसे अंतरिक्ष-आधारित सेल्युलर ब्रॉडबैंड सर्विसेज इनेबल करने के लिए विकसित किया गया है। इसके जरिए बिना किसी खास टूल के सामान्य मोबाइल स्मार्टफोन को सीधे कनेक्टिविटी मिल सकेगी।
