Zoho के CEO श्रीधर वेम्बू ने डिजिटल संप्रभुता (Digital Sovereignty) और लोकल डिजिटल सॉल्यूशंस की जरूरत पर बहस को एक बार फिर से हवा दी है। देश में विकसित देसी चैट ऐप Arratai के लॉन्च और चर्चा में आने के बाद श्रीधर वेम्बू ने इस बात पर जोर दिया है कि अमेरिका की टेक्नोलॉजी और सिस्टम्स पर भारत की निर्भरता देश को कितना असुरक्षित बना सकती है।
श्रीधर वेम्बू का क्या कहना है?
‘X’ पर एक पोस्ट में श्रीधर वेम्बू ने कहा है कि टेक रेज़िलियंस (Tech Resilience) के लिए अगले 10 साल का एक राष्ट्रीय मिशन (National Mission) शुरू करने की तत्काल जरूरत है।
Zoho के संस्थापक ने यह बात उद्योगपति हर्ष गोयनका की एक पोस्ट के जवाब में कही। गोयनका ने भी यही विचार साझा किया कि अगर कभी अमेरिका भारत के सॉफ्टवेयर एक्सेस को रोक देता है तो देश के पास अपने स्थानीय समाधान और सॉफ्टवेयर तैयार होने चाहिए, न सिर्फ विकल्प के तौर पर, बल्कि उस निर्भरता को चुनौती देने के लिए-जैसा चीन ने किया है।
हर्ष गोयनका ने क्या कहा?
हर्ष गोयनका की ओरिजिनल पोस्ट में उन्होंने भारतीयों से यह कल्पना करने को कहा था कि अगर Google, Instagram, X, Facebook और ChatGPT जैसे प्लेटफॉर्म अचानक बंद हो जाएं तो क्या होगा। उन्होंने लिखा, “डरावना है, है ना! बस जरा गंभीरता से इसके नतीजों के बारे में सोचिए और यह भी कि हमारा प्लान B क्या हो सकता है।”
इसके जवाब में, अमेरिका-भारत डिजिटल ट्रेड में 15 से ज्यादा वर्षों के अनुभव वाले एक टेक विश्लेषक ने चेतावनी दी कि ऐसा कदम “भयावह आर्थिक संकट” ला सकता है। NASSCOM के 2025 के अनुमान के अनुसार, यदि यह कटऑफ होता है, तो यह भारत की 200 अरब डॉलर की डिजिटल इकॉनमी को भारी झटका दे सकता है, 50 करोड़ से अधिक यूजर्स को प्रभावित कर सकता है और विज्ञापन राजस्व को 60% तक खत्म कर सकता है।
विश्लेषक ने एक ‘प्लान B’ को तेजी से लागू करने की सलाह दी। जिसमें भारतीय विकल्पों को बढ़ावा देने की बात कही गई – जैसे Zoho और Nextcloud को क्लाउड सेवाओं के लिए, Arattai मैसेजिंग के लिए और Bhashini जैसे ओपन-सोर्स एआई मॉडल के लिए। उन्होंने कहा, “हमने UPI सिर्फ पांच साल में बनाया था तो डिजिटल संप्रभुता 18 महीनों में हासिल करना संभव है।”
क्याहै भारत में डिवेलप हुए देसी डिजिटल ऐप्स का भविष्य?
हालांकि कई भारतीय ऐप्स और प्लेटफॉर्म पहले से विकसित किए जा चुके हैं, लेकिन भारतीय यूजर्स अब तक उन्हें अपनाने के लिए तैयार नहीं दिखते। उदाहरण के लिए, Mappls (MapMyIndia) भारतीय सड़कों पर नेविगेशन के लिए एक कहीं बेहतर ऐप है, जबकि Google Maps अक्सर अधूरी दिशा-निर्देश जानकारी देता है और भारतीय परिस्थितियों के अनुरूप पूरी तरह से लोकलाइज्ड नहीं है।
इसी तरह, Arattai भी WhatsApp का देसी विकल्प है, धीरे-धीरे अपने प्रतिद्वंद्वियों जैसे फीचर्स देने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। हालांकि, तस्वीर पूरी तरह से सकारात्मक नहीं है क्योंकि भारतीय ऐप्स और डिजिटल सॉफ़्टवेयर को अभी और सुधार और काम करने की जरूरत है। ऐसा करने से उनकी लोकल और वैश्विक स्तर पर इन ऐप्स और सॉफ्टवेयर के इसतेमाल में बढ़ावा होगा।
