करिश्मा मेहरोत्रा
फेसबुक ने अपने कंटेंट मॉडरेटर्स को निर्देश दे रखे हैं कि वह भारत में एक धर्म विशेष के खिलाफ पोस्ट्स को ‘फ्लैग’ करे क्योंकि यह स्थानीय कानून का उल्लंघन है। द न्यूयॉर्क टाइम्स (NYT) के हाथ लगे दस्तावेजों में यह खुलासा हुआ है। कंटेंट मॉडरेशन के यह निर्देश कंपनी की ग्लोबल पॉलिसी से मेल नहीं खाते। प्रेस के सामने भी फेसबुक ने जो कहा, यह प्रक्रिया उससे काफी अलग है। दिल्ली स्थित दफ्तर में फेसबुक की ग्लोबल पॉलिसी सॉल्यूशंस के वाइस-प्रेसिडेंट रिचर्ड एलन ने कहा था कि फेसबुक किसी धर्म या विश्वास की आलोचना को हेट स्पीच नहीं मानता, बल्कि व्यक्तियों के समूह पर हमले को हेट स्पीच की श्रेणी में रखता है।
एलन ने तब कहा था, “किसी धारणा पर हमले करना हेट स्पीच नहीं है लेकिन आप यह नहीं कह सकते कि आप व्यक्तियों के किसी समूह से नफरत करते हैं… हम इन्हीं कुछ क्षेत्रों पर बहस करते हैं। कुछ लोग इसे विवादित मानते हैं।” NYT की रिपोर्ट फेसबुक की कंटेंट मॉडरेशन गाइडलाइंस के बारे में बताते 1,400 से ज्यादा लीक दस्तावेजों पर आधारित है। इसमें फेसबुक के भारत और पाकिस्तान में नियमों से जुड़ी एक पावरप्वॉइंट स्लाइड भी है।
इसमें एक डायग्राम के जरिए कंटेंट मॉडरेशन के वक्त, चार श्रेणियों को ध्यान में रखने को कहा गया है। इनमें ‘तार्किक रूप से अवैध कंटेंट’, ‘जब सरकार सक्रिय होकर लागू करे तब स्थानीय कानूनों का आदर’, ‘देश में फेसबुक को ब्लॉक किए जाने का खतरा हो, या कानूनी खतरा हो’, तथा ‘फेसबुक नीतियों का उल्लंघन न करता कंटेंट’ हो।
बंद दरवाजों के पीछे हुई एक और बैठक में फेसबुक एक्जीक्यूटिव्स ने इस फर्क को समझाते हुए एक धर्म का उदाहरण दिया था। मसलन कंपनी इस्लाम के खिलाफ लिखने की अनुमति देती है मगर मुसलमानों के खिलाफ लिखने को हेट स्पीच माना जाएगा और वह कंटेंट हटाना होगा। फेसबुक के कम्युनिटी स्टैंडर्ड्स के अनुसार, “हम हेट स्पीच को लोगों पर सीधे हमले के रूप में परिभाषित करते हैं।” “धार्मिक मान्यता” फेसबुक की संरक्षित श्रेणियों में से एक है।
फेसबुक इंडिया के प्रतिनिधियों ने भारत से जुड़े खुलासों पर अलग से कुछ नहीं कहा, मगर एक फेसबुक पोस्ट में NYT रिपोर्ट का जवाब दिया है। टाइम्स रिपोर्ट के अनुसार, एक स्लाइड में कहा गया है कि भारतीय कानून ‘आजाद कश्मीर’ लिखने की इजाजत नहीं देता। इसके अनुसार, “स्लाइड मॉडरेटर्स को निर्देश देती हैं कि वह ‘Free Kashmir’ वाक्यांश का पता लगाएं- हालांकि एक्टिविस्ट्स के बीच आम यह नारा पूरी तरह कानून के तहत आता है।”
फेसबुक की ट्रांसपेरेंसी रिपोर्ट दिखाती है कि वह ऐसा कंटेंट तेजी से हटा रही है जो उसकी नजर में हेट स्पीच है। 2017 की आखिरी तिमाही में 16 लाख पोस्ट्स के मुकाबले 2018 की तीसरी तिमाही में 30 लाख पोस्ट्स हटाई गईं। इस दौरान आधे से ज्यादा कंटेंट ऐसा था जो फेसबुक ने खुद से मॉडरेट करते हुए हटाया।