नागर विमानन मंत्रालय ने शनिवार (1 दिसंबर) को कहा कि उसने देश में ड्रोन का परिचालन करने वालों के पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी है। एक आॅनलाइन पोर्टल ‘डिजिटल स्काई’ के जरिए पंजीकरण का काम किया जा रहा है। सरकार ने अगस्त में ड्रोन के परिचालन के लिए नियम तय किये थे। ये नियम एक दिसंबर से प्रभावी हो गए हैं। इन नियमों के अंतर्गत ड्रोन का इस्तेमाल करने वालों को अपने ड्रोन का एक बार पंजीकरण कराना होगा। उन्हें ड्रोन के पायलट और मालिक का विवरण भी दर्ज कराना होगा।

नागर विमानन मंत्री सुरेश प्रभु ने ट्वीट कर कहा, ‘‘हमें ड्रोन उड़ाने की अनुमति देने के लिए आॅनलाइन पंजीकरण पोर्टल ‘डिजिटल स्काई’ की आज शुरुआत करते हुए खुशी हो रही है। यह प्लेटफार्म अब चालू हो गया है। भारत इस क्षेत्र का नेतृत्व करेगा और दुनिया के देशों के साथ मिलकर मानक तैयार करेगा। इस उद्योग में मेक इन इंडिया और भारत से ड्रोन और सेवाओं के निर्यात की विशाल क्षमता है।’’ मंत्रालय ने ड्रोन नीति-2.0 की सिफारिश करने के लिए नागर विमानन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा के नेतृत्व में एक कार्यबल का गठन किया था। यह कार्यबल अपनी अंतिम रपट इस वर्ष के अंत तक जारी कर सकता है। इस नीति में ड्रोन की स्वायत्त उड़ानों , ड्रोन के जरिए माल पहुंचाने और दृष्टि से दूर तक की उड़ानों के लिए नियम तय किए जा सकते हैं।

मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “नैनो से ऊपर के स्तर के ड्रोन को उड़ाने के लिए ड्रोन्स, ऑपरेटर्स और पायलट को डिजिटल स्काई पोर्टल पर पंजीकरण करने की जरूरत है।” बयान में कहा गया कि इस प्लेटफार्म पर यूजर्स का पंजीकरण शुरू हो गया है। अनमैन्ड एरियल ऑपरेटर्स परमिट (यूएओपी) और यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर (यूआईएन) के भुगतान भारत कोष पोर्टल (भारतकोष डॉट गॉव डॉट इन) पर स्वीकार किए जाएंगे।

रिमोटली पायलेटेड एरियल प्रणाली (आरपीएएस) उडा़न की अनुमति के ऑपरेटर्स या रिमोट पायलट्स को फ्लाइट प्लान दाखिल करना होगा। ‘ग्रीन जोन्स’ में उड़ान के लिए केवल पोर्टल या एप पर केवल समय और गंतव्य की जानकारी देनी होगी। ‘येलो जोन्स’ में उड़ान के लिए पहले अनुमति लेनी होगी और ‘रेड जोन्स’ में उड़ान की अनुमति नहीं दी जाएगी। बयान में कहा गया, “तीनों जोन्स की घोषणा जल्द की जाएगी और उड़ान की अनुमति डिजिटल तरीके से पोर्टल पर उपलब्ध होगी।”