सिर्फ 18 साल की उम्र में कोरिया के एक युवा ने कमाल कर दिया है। हाईस्कूल सीनियर एलेक्स यांग ने ग्लोबल AI रिसर्च स्टार्टअप खड़ा किया है। इस एआई का मकसद ने अल्ज़ाइमर की पहचान (डायग्नोसिस) को बेहतर बनाना है। सबसे खास बात यह है कि अपनी स्कूल लाइफ को नियमित तौर पर जारी रखते हुए एलेक्स ने इस स्टार्टअप को बनाया है। और वह कई देशों में फैली अपनी टीम को मैनेज भी कर रहे हैं। Business Insider की एक रिपोर्ट से यह पता चला है।
यह छात्र अमेरिका में मौजूद सहयोगियों के साथ कॉर्डिनेशन के लिए सुबह 3 बजे से ही अपना दिन शुरू कर देता है। एलेक्स ने एक ही उद्देश्य के साथ इस स्टार्टअप की शुरुआत की और वो था- अल्ज़ाइमर की शुरुआती पहचान को ज्यादा आसान और किफायती बनाना। बिज़नेस इनसाइडर की रिपोर्ट के मुताबिक, उस समय उसके पास कोई प्रोफेशनल नेटवर्क नहीं था लेकिन उसने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स की मदद से अपना नेटवर्क की नींव रखी और इसे तैयार किया।
अल्ज़ाइमर से पीड़ित परिवार के सदस्यों की कहानियों के बीच बड़े होने से एलेक्स को यह प्रेरणा मिली। इस बीमारी ने उन पर गहरा असर छोड़ा और स्कूल में पढ़ते हुए ही समाधान पर काम करने का उनका संकल्प मजबूत हुआ।
ऑनलाइन सहयोगियों की तलाश और Reteena की शुरुआत
बिना किसी एकेडमिक सपोर्ट या इंडस्ट्री कनेक्शन के इस छात्र ने Discord सर्वर्स पर अपनी डिटेल्स रिसर्च प्रपोज़ल पोस्ट करने शुरू किए और GitHub पर शुरुआती कोड शेयर किया। रिपोर्ट के अनुसार, कई हफ्तों तक लगातार अस्वीकृतियां मिलने के बाद धीरे-धीरे कैलिफ़ोर्निया, फ्लोरिडा और मिशिगन में रहने वाले छात्रों से जवाब आने लगे।
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आखिरकार, दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से छह हाई स्कूल छात्र एक टीम के रूप में जुड़े। उन्होंने अपने स्टार्टअप का नाम Reteena रखा, जो रेटिना से प्रेरित वर्डप्ले है। और अल्ज़ाइमर डायग्नोस्टिक्स में और ज्यादा स्पष्ट समझ (clearer insight) लाने के उनके मकसद का प्रतीक है।
टीम ने मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग टेक्नोलॉजीज़ की मदद से लो-फील्ड MRI स्कैन की क्वॉलिटी सुधारने पर काम किया। रिपोर्ट के मुताबिक, लो-फील्ड MRI मशीनें ट्रेडिशनल सिस्टम्स की तुलना में ज्यादा पोर्टेबल और किफायती होती हैं। और उनकी इमेज क्वालिटी बेहतर बनने से कम सुविधाओं वाले क्षेत्रों तक डायग्नोस्टिक्स पहुंचाने में मदद मिल सकती है।
अलग-अलग टाइम ज़ोन में फैली टीम को मैनेज करना एक बड़ी चुनौती साबित हुआ। संस्थापक ने बताया कि यह जिम्मेदारी उन पर काफी भारी थी क्योंकि किसी भी देरी या गलती से टीम की महीनों की सामूहिक मेहनत बेकार हो सकती थी। समय के साथ उन्होंने स्ट्रक्चर्ड वर्कफ़्लो, विस्तृत डॉक्युमेंटेशन और असिंक्रोनस कोऑर्डिनेशन अपनाया, जिससे रिसर्च अलग-अलग क्षेत्रों में लगातार आगे बढ़ती रही।
रिसर्च पब्लिकेशन, प्रोडक्ट लॉन्च और मौजूदा स्टेटस
टीम को शुरुआती वैलिडेशन तब मिला जब उनका पहला रिसर्च पेपर IEEE BigData 2024 कॉन्फ्रेंस में स्वीकार किया गया। यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस रिसर्च का एक प्रमुख इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म है। इसके बाद टीम एक्सपेंड होकर 12 मेंबर्स तक पहुंच गई और उन्होंने स्पीच पैटर्न में बदलाव तथा जेनेटिक इंडिकेटर्स पर आगे की स्टडी की जो अल्ज़ाइमर की शुरुआती पहचान से जुड़े हैं।
LinkedIn पर अपने सफर को डॉक्यूमेंट करने से स्टार्टअप को रिसर्चर्स, स्टार्टअप फाउंडर्स और निवेशकों के बीच पहचान मिली। इनमें Y Combinator और Pear VC से जुड़े मेंटर्स भी शामिल थे। इस एक्सपोज़र के चलते अलग-अलग देशों के छात्रों से भी मैसेज आने लगे जो हेल्थ टेक्नोलॉजी प्रोजेक्ट्स बनाने को लेकर सलाह मांग रहे थे।
हाल ही में टीम ने अपना पहला कंज़्यूमर-फेसिंग प्रोडक्ट ‘Remembrance’ लॉन्च किया है। यह एक AI आधारित थेरेप्यूटिक सर्विस है जिसका उद्देश्य अल्ज़ाइमर मरीजों को उनकी पुरानी यादों से रीकनेक्ट करना है। यह सर्विस रिमिनिसेंस थेरेपी का इस्तेमाल करती है जिसमें मरीजों से हल्के और सहज सवाल पूछे जाते हैं। और फिर उनकी यादों को एक स्ट्रक्चर्ड डेटाबेस में ऑर्गनाइज़ किया जाता है ताकि उन्हें समय-समय पर दोबारा देखा और इस्तेमाल किया जा सके।
हालांकि, इस प्रोडक्ट को क्लिनिकल सेटिंग्स में टेस्ट करने की कोशिशों को नियामकीय बाधाओं का सामना करना पड़ा। अस्पतालों से कॉन्टैक्ट करने की प्रक्रिया कंप्लायंस जरूरतों और इंस्टीट्यूशनल रिव्यू बोर्ड (IRB) प्रक्रियाओं के चलते रोक दी गई जिससे हेल्थकेयर सेक्टर में एंट्री की चुनौतियां सामने आईं।
स्टार्टअप का लॉन्गटर्म भविष्य भले ही अभी स्पष्ट न हो लेकिन संस्थापक का मानना है कि यह पूरा अनुभव ही सबसे बड़ी उपलब्धि है। कम उम्र में कुछ बनाने, रिसर्च करने और असफलताओं से गुजरने की सीख ने टीम और उनके मिशन- दोनों को आकार दिया है।
फिलहाल Reteena अपनी रिसर्च और प्रोडक्ट को और बेहतर बनाने में जुटा हुआ है। टीम आगे की स्टडी पूरी करने और रियल-वर्ल्ड डिप्लॉयमेंट के रास्ते तलाशने पर काम कर रही है। वहीं इसके संस्थापक हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के साथ-साथ स्टार्टअप की जिम्मेदारियां भी निभा रहे हैं।
उन्होंने कहा, “यही असली प्रयोग है। और रातों की नींद पूरी ना होना (sleepless night) मायने नहीं रखती है।”
