बच्चों, आप में से किस- किस के पास गुल्लक है?’ विज्ञान की शिक्षिका डॉ अनुभा ने जब बच्चों से यह सवाल किया तो पांचवीं कक्षा के लगभग सभी बच्चों ने हाथ ऊपर करके एक स्वर में कहा, मेरे पास। सभी के हाथ खड़े देखकर डॉ अनुभा मुस्कुरा कर बोली, वाह तुम सब बच्चे बड़े होशियार हो। अभी से गुल्लक रखते हो। यह सुनकर नटखट काव्या बोली, मैडम, केवल गुल्लक रखते ही नहीं है, बल्कि उसमें रुपए भी जमा करते हैं। ओ उसमें रुपए भी जमा करते हो। डॉ अनुभा मुस्कुरा कर काव्या की नकल करते हुए बोली तो सभी बच्चे खिलखिला कर हंसने लगे।
डॉ अनुभा विज्ञान विषय को इतने रोचक तरीके से पढ़ाया करती थी कि बच्चों को पीरियड के खत्म होने का पता ही नहीं चलता था। बच्चों को गुल्लक में रुचि देखकर अनुभा बोली, आज मैं तुम सबको पानी की गुल्लक के बारे में बताऊंगी। पानी की गुल्लक। भला वह कैसी गुल्लक होती होगी? अणर्व ठोढ़ी पर हाथ रखकर कुछ सोचते हुए बोला। मैडम बताइए न कि पानी की गुल्लक कैसी होती है? संस्कृति बोली। अरे तुम बच्चे सोचकर बताओ न। फिर मैं बताऊंगी। मैडम पानी की गुल्लक नाम से तो ऐसा लग रहा है कि उसमें शायद पानी जमा होता होगा। ऐषनी बोली। ऐषनी की बात सुनकर कक्षा के सभी बच्चे खिलखिला कर हंसने लगे और बोले, बुद्धू भला ऐसी कोई गुल्लक थोड़ी होती है, जिसमें पानी जमा करते हों। अगर गुल्लक में पानी जमा करेंगे तो उसमें थोड़ा सा छेद होने पर पानी निकल नहीं जाएगा। बच्चों को पानी की गुल्लक में रुचि उत्पन्न होते देख डॉ अनुभा बोली, ऐशनी सही कह रही है। पानी की गुल्लक में पानी ही जमा करते हैं। पर मैडम ऐसा भला कैसे संभव है? क्या पानी की भी कोई गुल्लक होती है? रोहन बोला। बिल्कुल संभव है और पानी की भी गुल्लक होती है। कैसे? पूरी कक्षा आश्चर्यचकित होकर बोली।
ऐसे क्योंकि पानी की गुल्लक धरती है। मिट्टी की बनी इस विशाल गुल्लक में प्रकृति वर्षा के रूप में खूब पानी बरसाती है। तब वर्षा के पानी को हमें इस विशाल गुल्लक में जमा करके रख लेना चाहिए। अब बच्चों की जिज्ञासा बढ़ने लगी थी। वह बोले, मैडम भला धरती में हम पानी को कैसे जमा कर सकते हैं? देखो बच्चों, आप सभी के घरों में टंकी लगी होती है। जिस तरह टंकी में पानी जमा रहता है, उसी तरह धरती की गुल्लक में भी पानी जमा किया जा सकता है। यह बहुत सरल है। धरती की गुल्लक हमारे छोटे- बड़े तालाब, झील आदि हैं। ये सभी धरती की गुल्लक में पानी जमा करने का काम करते हैं। इनमें जमा पानी जमीन के नीचे छिपे जल के भंडार में धीरे-धीरे रिसकर, छनकर जा मिलता है। इससे हमारा भूजल भंडार समृद्ध होता है। पानी का यह खजाना हमें नजर नहीं आता लेकिन इसी खजाने से वर्षा का मौसम बीत जाने के बाद पूरे साल भर तक लोग अपने घरों व फसलों के उपयोग के लिए पानी ले सकते हैं। अणिमा डॉ अनुभा की बातें बड़े ध्यान से सुन रही थी। वह बोली, मैडम, यह जल संरक्षण भी कहलाता है न। इन दिनों धरती पर पानी की समस्या उत्पन्न हो रही है। इसलिए लोगों को जागरूक करने के लिए 22 मार्च को विश्व जल दिवस भी मनाया जाता है। वाह अणिमा, बिल्कुल सही कह रही हो तुम। तुम्हें पता है कि हमारे देश में अनेक लोग ऐसे हैं जो पानी की गुल्लक के प्रति यानी जल संरक्षण के प्रति बेहद गंभीर एवं संवेदनशील है। राजेन्द्र सिंह भारत के एक ऐसे ही पर्यावरण कार्यकर्ता हैं।
वे अभी तक लोगों के साथ मिलकर लगभग साढ़े छह हजार जोहड़ों यानी जलाश्यों का निर्माण कर चुके हैं। उन्हें लोग पानी बाबा के नाम से भी जानते हैं। मैडम फिर तो हम सब को भी पानी की गुल्लक रखनी चाहिए, समृद्ध बोला। बिल्कुल बच्चों, अगर आप अभी से छोटे-छोटे प्रयास करो तो पानी की बचत करने में बहुत बड़ा योगदान दे सकते हो। मैं आपको छोटी-छोटी बातें बताती हूं, जिनके माध्यम से आप पानी बचाने में अपना योगदान दे सकते हो। जी मैडम, आप बताइए। हम बिल्कुल पानी को बचाने में अपना योगदान देंगे। ऐशनी बोली। कपड़े धोकर बचे पानी का प्रयोग नाली की सफाई और घर का पौंछा लगाने में किया जा सकता है। पीने के लिए केवल उतना ही पानी लो जितना आपको आवशयकता है। नहाते समय नल को खोलकर रखने के बजाय बाल्टी का प्रयोग करो। दांत साफ करते समय नल को खुला मत रखो। घर और बाहर यदि कहीं भी नल खुला है तो उसे तुरंत बंद कर दो। ऐसा करके आप सभी पानी को सुरक्षित रखने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हो।
तभी अनुपम बोला, ‘मैडम मैंने इंटरनेट पर देखा था कि जापान के लोग वॉश बेसिन का पाइप अपने टॉयलेट के टैंक से जोड़ देते हैं और फिर उस पानी का प्रयोग फ्लश करने में करते हैं। बिल्कुल सही कह रहे हो अनुपम। विकसित देश समस्याओं के प्रति जागरूक रहते हैं और उनके नागरिकों को भी सदैव जागरूक रहना चाहिए। ऐसा करके ही हम अपने देश के विकास में योगदान दे सकते हैं। पानी की समस्या तो ऐसी है कि यदि जल नहीं तो हम नहीं। इसके साथ-साथ हमारा एक और कर्तव्य है, वो है पशु-पक्षियों को पीने के लिए जल उपलब्ध कराना। इसके लिए छोटे-छोटे मटकों को मजबूत वृक्ष पर बांधा जा सकता है और पेड़ों के नीचे मटकों को भर कर रखा जा सकता है। इससे पशु-पक्षी और मनुष्य सभी को भरपूर जल प्राप्त होगा। यदि हमारे जलाशय पानी से लबालब भरे रहेंगे तो सूखा अथवा जल की किल्लत होने पर उनका आवश्यक कार्यों के लिए प्रयोग किया जा सकेगा, बिल्कुल वैसे ही जैसे हम गुल्लक के रुपयों का प्रयोग मुसीबत के समय करते हैं। वाह मैडम, आज तो आपने हम सभी को पानी की गुल्लक कैसे बनाकर उसका उपयोग करना है, इस बारे में बहुत ही बढ़िया बातें बताई हैं, अपेक्षा बोली। आप सब पानी की गुल्लक बनाने में अपना योगदान करेंगे न, डॉ अनुभा बोली। यस मैडम, सभी बच्चे एक स्वर में बोले। तभी पीरियड की घंटी बज उठी। घंटी बजते ही कक्षा के बच्चे बोले, हम सभी आज अपने घरों में जाकर अपने माता- पिता से पानी की गुल्लक बनाने के लिए कहेंगे। डॉ अनुभा यह सुनकर पुलकित हो गई कि बच्चे अभी से पानी की गुल्लक बनाने को आतुर हैं। वह मुस्करा कर अगली कक्षा की ओर बढ़ गई।
