गरमी में कपड़ों की हालत
छी-छी-छी।
मौसम ने तो खोल रखी है
उमस भरी संदूकें।
धक-धक-धक-धक चलती बाहर
लू वाली बंदूकें।
नहीं सुनाई दे चिड़ियों की
चीं-चीं-चीं।

बजे शाम के पांच मगर यह
धूप मुई न जाए
बाहर जाकर खेलूं कैसे
सिर अपना चकराए।
हंसे निगोड़ा सूरज हम पर

खीं-खीं-खीं।
बिट्टू भैया ने दो बोतल

पिया बरफ का पानी
छुटकी से पूछा पापा ने
क्या कुल्फी है खानी
उछल, खुशी से छुटकी बोली
जी-जी-जी।