काश! कहीं से जादू पाऊं

फिर जादू का पेड़ लगाऊं

गरमी जब महसूस करूं मैं
पत्तों को वह खूब हिला दे

भूख लगे तो मेरी खातिर
आम,अलूचे, सेब गिरा दे

लगे नाचने झूम-झूम वह
जब उसको देखूं-मुस्काऊं

उस पर चढ़कर आसानी से
चंदा की मैं चुम्मी ले लूं

उसकी ऊंची डाल पकड़कर
तारों के संग जाकर खेलूं

उसके पत्ते पर ज्यों बैठूं
उड़ूं हवा में गोते खाऊं

आंधी-अंधड़, शीतलहर, लू
मौसम चाहे जैसा आए

रहे हमेशा हरा-भरा वह
न टूटे-सूखे-मुरझाए

नींद लगे जब मुझको तो मैं
उसके कोटर में सो जाऊं