एक स्त्री को जानना

मैंने एक स्त्री को जानना चाहा
उसके दुखों के सहारे
और नहीं जान पाया
मुझे
एक समूचा जीवन यह जानने में लग गया
कि एक स्त्री को जानना
केवल उसके दुखों को जानना नहीं है
एक स्त्री को जानना
उसके सपनों को जानना है
उसके उल्लास
और आनंद को
जानना है।
जो हारी हुई लड़ाई लड़ रहे हैं

टूट चुका है रथ
कीचड़ में धंस गए हैं पहिए
लहूलुहान आत्मा पर
वाणों की बारिश जारी है

फंसे हुए पहिए
और धंसे हुए वाणों को
निकालने तक का
अवकाश नहीं है

युद्ध और प्यार में
सब कुछ को जायज मानने वाले
किसी नियम या नैतिकता के गुलाम नहीं
हारी हुई लड़ाई लड़ने वालों के लिए
नियम है
नैतिकता ही विधान है

हारी हुई लड़ाई लड़ने वाले
सहानुभूति की भीख नहीं मांगते
समर्पण नहीं करते
पीठ नहीं दिखाते
वे क्षत-विक्षत अस्त्रों
और आहत आत्मा से युद्ध करते हैं
वे हार भले जाएं
पराजित नहीं होते।

पत्थर का दुख

दलदल और कीचड़ से
बचने के लिए
सब आ खड़े होते हैं

और
सूखने के बाद
चहकते हुए चले जाते हैं

न दुआ न सलाम
न शुक्रिया न खुदा हाफिज

कैसे लोग हैं
निरा पत्थर ही मान लिया है
मुझे।