कविता: बड़ी नहर का पुल
नहीं भरोसा कब ढह जाए
बड़ी नहर का पुल।
उसे बताते मेरे नाना
सौ वर्षों से अधिक पुराना
देखो तो अब उसकी हालत
जर्जर है बिल्कुल।
जब-जब भारी वाहन चलते
गाय-भैंस के झुंड निकलते
तब-तब वह बूढ़ा बेचारा
जाता है हिल-डुल।
उस पर से मैं रोज गुजरता
दिल ही दिल में बेहद डरता
टूट गया तो हो जाएगी
जीवन बत्ती गुल।
उसी नहर की एक खबर है
उसमें आदमखोर मगर है
दहशत वाली खिड़की मन में
अक्सर जाती खुल।
शब्द-भेद: कुछ शब्द एक जैसे लगते हैं। इस तरह उन्हें लिखने में अक्सर गड़बड़ी हो जाती है। इससे बचने के लिए आइए उनके अर्थ जानते हुए उनका अंतर समझते हैं।
दावा/धावा: किसी चीज पर अपना हक जताने को दावा करना कहा जाता है। इसी तरह किसी संपत्ति की प्राप्ति के लिए चलाया हुआ मुकदमा, नालिश आदि को दावा कहते हैं। इसके लिए अंग्रेजी में क्लेम शब्द है। जबकि धावा का अर्थ है दौड़ते हुए आक्रमण करना, चढ़ाई करना।
अकुंठ / आकंठ: जो कुंठित न हो उसे अकुंठ कहते हैं। इसके अलावा तीखा, तीव्र के लिए भी अकुंठ शब्द का प्रयोग होता है। जबकि आकंठ का अर्थ होता है कंठ तक। जब कहते हैं कि आकंठ डूबा हुआ तो उसका यही अर्थ होता है कि गले तक डूबा हुआ।