सिकंदर ने पोरस (राजा पुरु) का जीता हुआ राज्य तोहफे के रूप में उसे वापस कर दिया था। पुर्तगाल के बादशाह ने अपनी पुत्री के विवाह में अपने दामाद यानी ब्रिटेन के राजकुमार को तोहफे (दहेज) के रूप में बॉम्बे द्वीप (आधुनिक मुंबई) दिया था। ब्रिटेन की मशहूर अभिनेत्री सराह बनहार्ट को उसके एक प्रशंसक ने ताबूत भेंट किया था, जिसमें अकसर सराह लेट जाती। उनके मरने पर उन्हें उसी ताबूत में दफनाया गया। रूस के जार ने अपनी बेटी को तोहफे में एक पहाड़ दिया था। वैसे भी दुनिया में राजा-महाराजा अपनी संतानों, रिश्तेदारों, मित्रों आदि को हाथी, घोड़े, धन-संपत्ति के अलावा दास-दासियां तोहफे में देते थे। इतना ही नहीं रणक्षेत्र से पीठ दिखाकर भागने वाले सैनिकों को जनता अकसर चूड़ियां भेंट करती थीं।
1996 में एक अमेरिकी धनाढ्य के मरणोपरांत उसकी वसीयत पढ़ी गई जो इस तरह थी-‘सभी खटारा कारें ड्राइवरों को दी जाएं, ये ड्राइवर नए पुर्जों के पैसे लेकर पुराने पुर्जों से काम चलाते रहें और मुझे बेवकूफ बनाते रहें, अब ये खटारा कारें इनका सिरदर्द बनी रहेंगी। मेरी बीवी और बेटे को एक-एक डॉलर दिया जाए, इन निकम्मों की नजर मेरी दौलत के अधिकतम उपयोग पर रहीं, मेरे दामाद को सौ डालर दिए जाएं, उसने सिर्फ एक अक्लमंदी का काम किया मेरी बेटी से शादी की। मेरी बेटी को मेरी दौलत का अस्सी प्रतिशत भाग दिया जाए, उसने सदा मेरा ध्यान रखा। शेष धन मेरे दोस्तों में बांटा जाए, जिन्होंने मुझे हमेशा सहयोग दिया।’
दक्षिण भारत के एक व्यक्ति ने एक प्रसिद्ध मंदिर की किताबों की दुर्दशा देखकर वसीयत की कि उसके मरणोपरांत उसके शरीर की खाल उतारकर धार्मिक पुस्तकों पर उसकी जिल्द चढ़ा दी जाए। एक अमेरिकी ने वसीयत की कि मरने पर उसका दायां हाथ काटकर उसके पुत्र को भेज दिया जाए। इससे उसे मेरे प्यार और ईश्वर की याद आती रहेगी। एक ब्रिटिश धनी ने वसीयत की कि उसकी शोकसभा में जो जितना अधिक रोए उसे उतना ही अधिक धन मेरी दौलत में से दिया जाए। ०

