भेड़िया मकड़ी’ अंटार्कटिका को छोड़कर दुनिया भर में लगभग सभी जगहों पर पाई जाती है, लेकिन इस मकड़ी की विशेषता यह है कि यह अन्य मकड़ियों की भांति जाला तो बुनती है, लेकिन शिकार को जाले में फंसाकर नहीं मारती बल्कि बिना जाले की मदद के शिकार पकड़ती है।जिस प्रकार थूकने वाली मकड़ी अपने शिकार पर अपने मुंह से विषैली लार की दो पिचकारियां छोड़कर उसे गतिहीन कर देती है। उसी प्रकार भेड़िया मकड़ी एक भेड़िए की भांति शिकार का पीछा करके उसे अपनी गिरफ्त में लेती है। जब यह किसी शिकार को देखती है तो एक भेड़िए की ही तरह जमीन पर दौड़कर अपने शिकार का पीछा करती है और फिर एकाएक उस पर झपटकर उसे अपने मजबूत जबड़ों में दबोच लेती है। इसके शरीर का आकार करीब एक इंच होता है और करीब इतने ही लंबे इसके पैर शरीर पर बाल होते हैं। इसके सिर पर छह से आठ आंखें होती हैं। मनुष्यों से सदा दूर रहने वाली इस मकड़ी की नजर बहुत तेज होती है। यह जमीन के अंदर मांद बनाकर या पेड़ों की गिरी हुई पत्तियों के भीतर रहती है। दिन के समय यह छिपकर रहती है जबकि रात होते ही शिकार की तलाश में निकल पड़ती है।
मेंटिंस मक्खी और शिकारी बर्र, भेड़िया मकड़ी के सबसे बड़े दुश्मन हैं, जो इसे जीवित नहीं छोड़ते। यह मकड़ी सफेद रंग के रेशमी कोकून के भीतर अपने अंडे देती है और इस कोकून को अपने पेट के पिछले भाग पर चिपकाकर रखती है। अगर कोकून गिर जाए तो यह उसे उठाकर फिर वहीं चिपका लेती है, अगर इसका बच्चा कभी इसकी पीठ से नीचे गिर जाए तो यह उसे फिर नहीं उठाती और अगर पीठ पर लदा बच्चा कभी इसकी आंख के ऊपर आ जाए तो यह ख्ुाद उसे नीचे गिरा देती है। ०