धूप हो गई तेज-गरम

मौसम में फिर नई कहानी,
आई-आई हंसती आई
प्यारी-प्यारी गरमी रानी।
आम और लीची की थैली
गरमी रानी ले आई,
और एक बोरी में भरकर
तरबूजें-ककड़ी लाई।
नई किताबें, नई पढ़ाई
साथ में लाई गरमी रानी,
और हमें पीने को देती
ठंढा-ठंढा मीठा पानी।
तुम जो आई गरमी रानी
छुट्टी भी फिर मिलनेवाली,
झूम-झूमकर हम सब बच्चे
खूब बजाएंगे ताली।

आई गरमी आई

गरमी रानी आई चढ़ कर
सबके माथे-बदन पसीना,
हांफ रहे सब गरम हवा में
धू-धू लू में मुश्किल जीना।
गरमी से लड़ने को घर में
ऑन हो गया पंखा-कूलर,
ठंढी-ठंढी हवा को पाने
भाग रहे सब इधर-उधर।
सजी किनारें सड़कों पर फिर
शरबत-लस्सी की दूकानें,
गन्ना रस है सबको भाता
नींबू-पानी को भी मानें।
कुल्फी-बरफ ही लगते अच्छे
ये सब गरमी की सौगातें,
खा कर हम सब गरमी भूलें
मिलकर हैं फिर हंसते-गाते।