‘एक बड़े राक्षस को मारने के लिए उससे भी बड़ा राक्षस बनना पड़ता है’ यह संवाद शायद दशर्कों के एक बड़े समूह को अच्छा ना लगे लेकिन अपनी नई फिल्म में राम गोपाल वर्मा ने यही दिखाया है। कभी दक्षिण के दुर्दांत अपराधी वीरप्पन को मारने के लिए बने टास्क फोर्स ने जो रास्ता अपनाया उसमें भी नैतिकता और कानूनी प्रक्रिया को तिलांजलि दी गई। हाथी दांत और चंदन की लकड़ी का तस्कर वीरप्पन 2004 में मारा गया था। उसके पहले वह अपराध की दुनिया का ऐसा सरगना बन चुका था जिस पर दंतकथाएं कही जाने लगीं। कई पुलिसवालों को उसने नृशंसता से मारा था। राम गोपाल वर्मा पहले भी उस पर कन्नड़ में फिल्म बना चुके हैं। इस बार उसी वृंतात को हिंदी में पेश करते हुए उन्होंने वीरप्पन के मिथक को फिर से भुनाने की कोशिश की है ।
संदीप भारद्वाज ने इसमें मुच्छड़ वीरप्पन का किरदार निभाया और उन्होंने उसके खूंखार रूप और काम को बखूबी पेश किया है। भारद्वाज की भूमिका में वीरप्पन की चालाकी भी नजर आई। वैसे हर बड़ा अपराधी शातिर होता है लेकिन उसके भीतर एक ऐसा कोना भी रहता है जहां वह अपनी ही चाहत का शिकार हो जाता है। राम गोपाल वर्मा ने ये दिखाया है (और ऐसा कई लोग कहते हैं) कि वीरप्पन तमिल मूल के श्रीलंकाई आतंकवादी प्रभाकरण का प्रशंसक था और इसी कारण स्पेशल टास्क फोर्स के बनाए जाल में फंसा।
राम गोपाल वर्मा ने वीरप्पन की पत्नी मुत्तुलक्ष्मी के किरदार को भी सही जगह दी है। आखिर में मुत्तुलक्ष्मी वीरप्पन के शव को देखकर चक्कर खाकर गिरती है या पुलिस जासूस की किरदार निभाने वाली लिजा रे को देखकर, जिस पर उसे अपने वीरप्पन से भी अधिक भरोसा था, दर्शक इसका सिर्फ अनुमान ही लगा सकते हैं। यहां यह भी जोड़ना जरूरी होगा कि मुत्तुलक्ष्मी का किरदार निभाने वाली उषा यादव ने जिस तरह वीरप्पन की पत्नी का किरदार निभाया है वो लंबे समय तक याद रहेगा। यहां मुत्तुलक्ष्मी एक ऐसी औरत के रूप में उभरती है जो हालात की मारी है, निश्छल है और परिस्थितियों का दोहरा शिकार होती है। वह अपने पति का प्यार भी नहीं पा पाती और पुलिस का मोहरा भी बन जाती है।
एसटीए प्रमुख के रूप मे सचिन जोशी ने अपनी छाप एक ऐसे पुलिस अधिकारी के रूप में छोड़ी है जो शांत रहता और भीतर से कुछ हद तक निदर्यी भी है। आखिर उसे एक राक्षस को मारना है और ऐसा करने के लिए कुछ हद तक राक्षस भी बनना है।
निर्देशक- राम गोपाल वर्मा
कलाकार-संदीप भारद्वाज, सचिन जोशी, लिजा रे, उषा यादव