आपको बेहद दिलचस्‍प हॉलीवुड फिल्‍म सेवेन याद ही होगी, जिसमें दो जासूस एक सीरियल किलर की तलाश करते हैं और पूरा मामला सात अपराधों से जुड़ा है। TE3N फिल्‍म का नाम इससे काफी मिलता जुलता है। इसमें तीन कैरेक्‍टर हैं जो एक अपराधी की तलाश में हैं। हालांकि, इसमें हॉलीवुड फिल्‍म जैसा दिलचस्‍प कुछ नहीं है। यह आधिकारिक तौर पर कोरियाई फिल्‍म की रिमेक है, जिसका विषय किडनैपिंग और मौत पर केंद्र‍ित है। हालांकि, फिल्‍म का अधिकतर हिस्‍सा थकाऊ है और कहीं कहीं ही कुछ दृश्‍य या संवाद बेहतर बन पड़े हैं।

READ ALSO: अमिताभ बच्चन, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, विद्या बालन की TE3N का फर्स्ट लुक जारी, देखें Photos

बच्‍चन ने जॉन का किरदार निभाया है। जॉन एक बूढा शख्‍स है जो एक छोटी लड़की की मौत की वजह से बीते आठ साल से पीड़ा झेल रहा है। वह उस शख्‍स की तलाश में है, जो लड़की की मौत की वजह बना। हालांकि, उसकी व्‍हीलचेयर पर बैठी पत्‍नी (पद्मावती राव), उसके प्रति संवेदनशील रवैया रखने वाली पुलिसवाली (विद्या बालन) और पुलिसवाले से पादरी बने फादर मार्टिन (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) शुरुआत में उसकी इस मुहिम का समर्थन नहीं करते।

READ ALSO: PHOTOS: अमिताभ ने बच्चों संग लिया फुटबॉल का मज़ा, TE3N की शूटिंग करने आए थे कोलकाता

एक और किडनैपिंग का मामला सामने आता है और पुराने केस पर फिर से लोगों का ध्‍यान जाता है। कुछ नए सुराग हाथ आते हैं। बूढ़े जॉन की तलाश को मकसद मिल जाता है। आखिर में जॉन की तलाश पूरी होती है। हमें एहसास होता है कि जॉन को उसके कुछ सवालों के जवाब भी मिले और संतुष्‍ट‍ि भी।

इस तरह की डार्क स्‍टोरी पर एक बेहतरीन फिल्‍म बन सकती थी। किस तरह से एक छोटे बच्‍चे की मौत जिंदगी पर असर डाल सकती है? क्‍या कोई ऐसा दुख है, जिससे आप निजात नहीं पा सकते? इस दुख में अपराधबोध क्‍या भूमिका निभाता है? दुखद है कि TE3N एक अच्‍छी फिल्‍म बनने का मौका गंवा देती है। ऐसा इसलिए क्‍योंकि इसमें शानदार एक्‍टर्स थे। इस फिल्‍म के लिए कोलकाता एक परफेक्‍ट लोकेशन था। हावड़ा-हुगली बीच के दृश्‍य आपको ज्‍यादा बेहतर सुजॉय घोष की फिल्‍म ‘कहानी’ की याद दिला सकते हैं। फिल्‍म का ट्रीटमेंट लोकेशन और चरित्र, दोनों को चिंता और दुख की पर्तों में घिरा दिखाता है। फिल्‍म में हर कदम पर तेज बैकग्राउंड म्‍यूजिक का इस्‍तेमाल किया गया है ताकि डार्कनेस को कम किया जा सके।

प्‍लॉट में काफी अस्‍पष्‍टता है। चरित्र सतही हैं यानी हमें उनके अंदर झांकने का मौका नहीं मिलता। पता नहीं विद्या बालन के रोल को गेस्‍ट अपीयरेंस क्‍यों कहा गया? अपराधबोध से ग्रस्‍त नवाज के पादरी के किरदार को एकबारगी खुलकर सामने आने का मौका मिलता है। हालांकि, आखिर में जब‍ दोषी का खुलासा होता है तो आप तभी चौकेंगे जब कहानी से गुजरने के दौरान आप कुछ स्‍वाभाविक चीजों पर ध्‍यान नहीं दे पाए हों। सस्‍पेंस उतना चौंकाने वाला नहीं है, जितना कि हो सकता था। ऐसी जासूसी कहानी के लिए यह सबसे बड़ा अपराध है।

स्‍टारकास्‍ट: अमिताभ बच्‍चन, नवाजुद्दीन सिद्दीकी, विद्या बालन, सब्‍यासाची चक्रवर्ती, पद्मावती राव
डायरेक्‍टर: रिभु दासगुप्‍ता