Shorgul हमारे देश के उस हालात की ओर इशारा करती हैं जहां ऐसी फिल्में आसानी से विवाद में सिर्फ इसलिए फंस जाती हैं क्योंकि यह उस कस्बे की कहानी पर आधारित है जहां सांप्रदायिक तनाव के बाद हत्याएं हुई हैं। और तो और, इस तरह की फिल्मों में किरदार भी ऐसे होते हैं, जो हकीकत की दुनिया के लोगों से मिलते-जुलते हैं। यह वैसी फिल्म भी है, जिसके रिलीज रोकने के लिए शायद ही किसी राजनीतिक दखलंदाजी की जरूरत थी।
साफ पता चलता है कि फिल्म में जिसे यूपी का छोटा कस्बा दिखाया गया है, वो मुजफ्फरनगर है। यह वो जगह है, जहां 2013 में भीषण दंगे हुए थे। फिल्म में दिखाए गए और वास्तविक जीवन के चरित्रों को लेकर अंदाजा लगाना बेहद दिलचस्प है। संगीत सोम और रंजीत ओम या आजम खान और अलीम खान को दिखाने में कितना फर्क रखा गया है? शोरगुल एक धारविहीन फिल्म है।
फिल्म की शुरुआत में संभावनाएं दिखती हैं। एक दुर्भाग्यपूर्ण हिंदू-मुस्लिम प्रेम। हाथों में लहराते हथियार। किसी भी कीमत पर सत्ता हासिल करने की कोशिश करते नेता। ‘घर वापसी’ जैसे हालात। कुछ लोग ‘गौमाता’ का जिक्र करते और दूसरे भड़काऊ शब्द बोलते सुनाई देते हैं। माहौल ऐसा मानो शब्दों के उच्चारण मात्र से बड़ी हिंसा और आगजनी हो सकती है। हालांकि, इन सब के बाजवूद शोरगुल एक घिसीपिटी मेलोड्रामा साबित होती है, जिसमें तलवारधारी ‘मुसलमानों’ और त्रिशूलधारी ‘हिंदुओं’ के बीच खूनी संघर्ष होता है।
जैनब (सुहा गेजेन) सलीम (हितेन तेजवानी) की मंगेतर है। लेकिन रघु (अनिरुद्ध दवे) जैनब को चाहता है और यही सबसे बड़ी समस्या है। सुहा की एक्टिंग सिर के ऊपर से गुजरती है। वह अति भावुक 60 की दशक की अभिनेत्रियों की तरह नजर आती हैं। आशुतोष राणा ने रघु के अमनपसंद पिता का किरदार निभाया है। जिम्मी शेरगिल हिंदू जबकि नरेंद्र झा मुस्लिम नेता बने हैं जो हर अवसर का फायदा उठाने के फिराक में हैं।
मुजफ्फरनगर दंगों पर बनी डॉक्यूमेंट्रीज (इन दिनों मुजफ्फरनगर और मुजफ्फरनगर बाकी है) ने दोनों संप्रदायों के लोगों के बीच दरार पैदा करने वाले राजनेताओं के खिलाफ बेहतर ढंग से आवाज उठाई है। इन डॉक्यूमेंट्रीज के थिएटर में रिलीज होने की उम्मीद बेहद कम है। शोरगुल वो आवाज उठाने में नाकाम रहती है। शोरगुल का एक डायलॉग है-सुरेश मरे या सलीम, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। यह संवाद एक शक्तिशाली हथियार के बजाए एक लोकलुभावन प्रहार भर है।
स्टार कास्ट: जिम्मी शेरगिल, आशुतोष राणा, हितेन तेजवानी, एजाज खान, सुहा गेजेन, अनिरुद्ध दवे, नरेंद्र झा
डायरेक्टर: जितेंद्र तिवारी
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