संता-बंता के चुटकुले मशहूर हैं और बॉलीवुड में हर मशहूर चीज पर फिल्म बनाने की लालसा और परिपाटी रही है। चुटकुले हंसने-हंसाने के लिए बनाए जाते हैं और ये फिल्म भी उसी मकसद से बनाई गई है। कुछ हद तक ये दर्शकों को हंसाने में कामयाब भी हुई है, हालांकि हंसी का डोज और भी अधिक हो सकता था। लेकिन निर्देशक ने शायद उतना होमवर्क नहीं किया जितना करना चाहिए था। बहरहाल, जैसे हर चुटकुले में हंसाने और मन बहलाने की कुछ न कुछ ताकत होती है वैसी इस फिल्म में भी है। ये कोई बड़ी फिल्म नहीं है। जैसे चुटकुले बड़े आशय लिए हुए नहीं होते हैं। वे पल भर मुस्कुराने के लिए होते हैं। वही इस फिल्म का भी लक्ष्य है।

किस्सा कुछ यूं है कि फिजी में भारतीय उच्चायुक्त का अपहरण हो जाता है और उसे खोजने के लिए रॉ अधिकारी संतेश्वर सिंह सोलाड उर्फ संता सिंह (बोमन ईरानी) और बंतेश्वर सिंह बोलाड (वीर मुंशी) नाम के दो ऐसे लोगों को फिजी भेजती है जो किसी काम के नहीं हैं और सिर्फ चुटकुले बाजी करते हैं। वहां उनको मिलती है क्यूटी (लिजा हेडन) जो एक भारत सरकार के लिए काम करने वाली एक खुफिया अधिकारी है और जूडो कराटे भी जानती है। इसके साथ ही मिलती है करीना (नेहा धूपिया) जो अपहृत उच्चायुक्त की पत्नी है। फिर उनकी अकबर इलाहाबादी (संजय मिश्रा) से मुलाकात होती है, जो अपहृत उच्चाय़ुक्त की रिहाई में लगे हैं। क्या संता बंता उच्चायुक्त की रिहाई करा पाएंगे, क्या उच्चायुक्त का अपहरण उसी के एक दोस्त की साजिश है –इसी को लेकर फिल्म आगे बढ़ती है।

`संता बंता प्राइवेट लिमिमेट’ में तर्क कम है और मसखरी ज्यादा है। हालांकि, यह सदाबहार हास्य फिल्म नहीं है, जैसी `हेरी फेरी’ या `अंदाज अपना अपना’ थीं। फिर भी कुछ पलों के लिए मन को चहका देती है।

निर्देशक-आकाशदीप
कलाकार-बोमन ईरानी, वीर दास, लिजा हेडन, नेहा धूपिया