यह फिल्म दहशतगर्दों के सामने सिर न झुकाते हुए अपनी जान देकर सैकड़ों निर्दोषों को बचाने वाली नीरजा भनोट के अदम्य साहस की कहानी है। फिल्म 1986 में मुंबई से न्यूयॉर्क जा रही फ्लाइट के अपहरण की कहानी पर आधारित है। नीरजा भनोट इसी विमान पर सवार थीं। यात्रियों को बचाने के दौरान आतंकियों ने नीरजा की हत्या कर दी थी। उस वक्त वे महज 23 साल की थीं। उन्हें मरणोपरांत अशोक चक्र मिला था। निर्देशक राम माधवानी ने इसी सच्ची गाथा को आधार बनाकर यह फिल्म बनाई है।
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फिल्म में एक जगह नीरजा की भूमिका निभा रहीं सोनम कपूर का संवाद है- ‘जिंदगी बड़ी होनी चाहिए लंबी नहीं।’ यही फिल्म का फलसफा भी है। हालांकि फिल्म कुछ जगहों पर धीमी जरूर हो गई है, फिर भी दर्शक को भावनात्मक रूप से बांधे रखती है। दृश्य ऐसे हैं जो दर्शकों को कई जगह भावुक करते हैं। एक युवा लड़की के साहस की कहानी ‘नीरजा’ बॉलीवुड की मसाला फिल्मों से बिलकुल अलग है। सोनम कपूर ने नीरजा की भूमिका निभाते हुए शानदार अभिनय किया है। नीरजा के ब्वॉयफ्रेंड की भूमिका शेखर रावजियानी ने निभाई है। नीरजा की मां की भूमिका में शबाना आजमी हैं। शबाना का अभिनय भी बेहतरीन है। फिल्म में नीरजा के बचपन से लेकर युवावस्था की कई यादें हैं। फिल्म की स्किप्ट बहुत कसी हुई है और संवाद अच्छे हैं। गीत प्रसून जोशी ने लिखे हैं और उनमें से ज्यादातर के बोल अच्छे हैं। खास कर ‘जीते हैं चल’। मां से संबंधित गीत भी दिल को छूनेवाला है। ‘नीरजा’ एक अलग तरह की शौर्यगाथा है।