हर शख्स के भीतर उसका स्वभाविक टैलेंट होता है। उसे नजरअंदाज करके अगर कोई दुनिया के मानकों के हिसाब से तय कामयाबी को पाने की होड़ में शामिल हो जाए तो क्या उसकी जिंदगी का मकसद पूरा जाता है? फिल्म में इस सवाल का जवाब है-नहीं।
जुबान’ के मुख्य किरदार विकी कौशल हैं, जिन्हें हम पहले ‘मसान’ में भी देख चुके हैं। हालांकि, ‘मसान’ बननी बाद में शुरू हुई लेकिन पहले रिलीज हो गई। फिल्म ने विकी कौशल की पहचान एक संजीदा कलाकार की बना दी। ‘जुबान’ में विकी ने दिलशेर नाम के युवा की भूमिका निभाई है। वह पंजाब में एक गुरुद्वारा में सबद-भजन गानेवाले पिता की संतान है। पिता की आत्महत्या के बाद वह दिल्ली आ जाता है। उसके भीतर संगीत का स्वभाविक टैलेंट है लेकिन वो शहर आकर बदल जाता है। यहां वो अपने गांव के ही बाशिंदे गुरुचरण सिकंद से मिलता है, जो बहुत बड़ा बिल्डर बन चुका है। सिकंद को न अपने बेटे से प्यार है और न अपनी पत्नी से। वो दिलशेर को अपने साथ रख लेता है और अपने बेटे के खिलाफ खड़ा कर देता है।
क्या दिलशेर इस निर्दयी दुनिया का हिस्सा बनेगा या फिर गांव लौटकर दोबारा से अपने भीतर छिपे संगीत को जीएगा? फिल्म थोड़ी धीमी है लेकिन यह बॉलीवुड की पारंपरिक मसाला फिल्मों से अलग है। सारा जेन डायस ने अमीरा नाम की लड़की की भूमिका निभाई है। वो अपने भाई के निधन के बाद उसकी याद में ध्रुवतारा नाम का आयोजन करती है, जिसमें लोग गाते बजाते हैं। अमीरा खुद भी गाती है। उसके संगत में दिलशेर अपने दिल की आवाज को पहचानता है। टेलिविजन की चर्चित अभिनेत्री मेघना मलिक ने इसमें सिकंद की पत्नी की भूमिका निभाई है। एक ऐसी औरत जिसका रहस्यपूर्ण अतीत है और जो शब्दों से अधिक अपनी आंखों से बोलती है। सिंकद की भूमिका में मनीष चौधरी ने एक शख्स को जीया है, जो सफलता की सीढियां चढ़ने के लिए साजिशों का जाल बुनता है लेकिन बाद में उसी में फंस जाता है। गाने ठीक-ठाक हैं, लेकिन इनमें से कोई याद रह जाए, ऐसा होने की उम्मीद कम है।
निर्देशक- मोजेज सिंह
कलाकार- विकी कौशल, सारा जेन डायस, मनीष चौधरी, मेघना मलिक, राघव चानना